पिथौरागढ़ (उत्तराखंड)
भारत और नेपाल के बीच चल रहा संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘सूर्यकिरण’ पिछले दो दिनों में एक अहम चरण से गुज़रा, जब राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) ने विशेष मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR) कैप्सूल आयोजित किया।
इस दौरान फ्लैश फ्लड, भूकंप के दौरान संरचनाओं के ढहने, नदी में बचाव अभियान और अन्य आपदा स्थितियों से निपटने के लिए उन्नत और सटीक बचाव अभ्यास प्रदर्शित किए गए।
हिमालयी क्षेत्र भूकंपीय रूप से बेहद सक्रिय है और भारत–नेपाल कई संवेदनशील नदी बेसिन साझा करते हैं। ऐसे में दोनों देशों को समान मानवीय और आपदा प्रबंधन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
अभ्यास की इस संयुक्त ट्रेनिंग ने—
दोनों सेनाओं की इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाई,
संयुक्त प्रतिक्रिया तंत्र को परिष्कृत किया,
और संकट की स्थिति में तेज़, समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित करने की क्षमता को और मज़बूत किया।
सोमवार से शुरू हुए इस 19वें संस्करण में दोनों देशों की सेनाएँ साथ मिलकर—
जंगल युद्धकला,
पहाड़ी इलाकों में आतंकवाद-रोधी ऑपरेशन,
और नई उभरती तकनीकों के एकीकरण पर फोकस कर रही हैं।
भारतीय सेना के सेंट्रल कमांड ने X पर लिखा—
“अभ्यास सूर्यकिरण-19 पिथौरागढ़ में जारी है, जहाँ भारत और नेपाल की सेनाएँ मिलकर पहाड़ी क्षेत्रों में जंगल युद्ध और आतंकवाद-रोधी अभियानों पर प्रशिक्षण ले रही हैं। यह सहभागिता दोनों देशों के सैन्य संबंधों को और मजबूत करती है।”
भारतीय दल: 334 सैनिक, मुख्यतः असम रेजीमेंट से
नेपाली दल: 334 सैनिक, मुख्यतः देवी दत्ता रेजीमेंट से
अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र के अध्याय VII के तहत सब–कन्वेंशनल ऑपरेशनों का अभ्यास करना है।
यह संस्करण कई उभरती सैन्य तकनीकों के इस्तेमाल पर केंद्रित है, जिनमें शामिल हैं—
अनमैन्ड एरियल सिस्टम (UAS)
ड्रोन आधारित ISR (इंटेलिजेंस–सर्विलांस–रैकॉन्सेंस)
AI–सक्षम निर्णय सहायता उपकरण
मानवरहित लॉजिस्टिक वाहन
उन्नत आर्मर्ड प्रोटेक्शन प्लेटफॉर्म
इन तकनीकों के उपयोग से दोनों सेनाएँ आधुनिक वैश्विक परिस्थितियों के अनुरूप काउंटर–टेररिज़्म ऑपरेशनों की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाएँ और बेहतर तरीके से विकसित कर सकेंगी।