न्यूयॉर्क
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में वरिष्ठ व्यापार सलाहकार और यूएस ट्रेड रिप्रेज़ेंटेटिव, जैमिसन ग्रीर ने कहा है कि भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना भारतीय अर्थव्यवस्था का “मूल आधार” नहीं है और भारत अब अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क द्वारा आयोजित एक बातचीत के दौरान ग्रीर ने कहा:"भारत हमेशा से इतनी बड़ी मात्रा में रूसी तेल नहीं खरीदता रहा है। रूस के साथ भारत के संबंध लंबे समय से मजबूत रहे हैं, लेकिन बीते दो-तीन वर्षों में ही भारत ने छूट पर रूसी तेल खरीदना शुरू किया — न केवल उपभोग के लिए बल्कि रिफाइनिंग और पुनः बिक्री के लिए भी।"
उन्होंने कहा कि यह भारत की अर्थव्यवस्था की कोई स्थायी आवश्यकता नहीं है।"हम मानते हैं कि वे (भारत) यह कर सकते हैं और करना भी चाहिए। और सच कहूं तो मैं पहले से ही देख रहा हूं कि वे विविधीकरण की ओर बढ़ रहे हैं। मुझे लगता है कि वे समझते हैं।”
ग्रीर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और वह अपने निर्णय खुद लेता है।“हम किसी देश को यह नहीं बता रहे कि उन्हें किसके साथ संबंध रखने चाहिए और किसके साथ नहीं। हमारा मकसद किसी पर दबाव बनाना नहीं है।”
हालांकि ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50% टैरिफ (आयात शुल्क) लगाया है — जिसमें से 25% शुल्क भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर लगाया गया है।
डोनाल्ड ट्रंप और उनके अधिकारी कई बार यह बयान दे चुके हैं कि भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने से मास्को को यूक्रेन युद्ध में आर्थिक मदद मिल रही है।संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने हालिया भाषण में ट्रंप ने यहां तक कहा था कि चीन और भारत यूक्रेन युद्ध के "मुख्य फंडर" बन गए हैं, क्योंकि वे अभी भी रूस से तेल खरीद रहे हैं।
ग्रीर से जब पूछा गया कि इस 50% टैरिफ का भारत पर क्या असर पड़ा है, तो उन्होंने कहा कि ये शुल्क अब कुछ सप्ताहों से लागू है।“भारत अमेरिका के साथ लगभग 40 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष रखता है। वे हमें जितना बेचते हैं, उससे कहीं ज्यादा। ऐसे में उनके पास पहले से ही अमेरिका के साथ एक बेहतरीन डील है। फिर भी, भारत इस पूरे मसले को काफी व्यावहारिक दृष्टिकोण से देख रहा है।”
उन्होंने बताया कि अमेरिका की भारत से व्यापारिक बातचीत ट्रंप प्रशासन के पहले दिन से चल रही है।ग्रीर ने समझाया कि इस 50% टैरिफ में से आधा (25%) पारस्परिक टैक्स (Reciprocal Tariff) है, जिसका मकसद व्यापारिक समझौते की दिशा में आगे बढ़ना है। बाकी 25% शुल्क भारत की रूस से बढ़ी हुई तेल खरीद के चलते लगाया गया है।
ग्रीर ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का फोकस रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना है।“हम बस यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि व्लादिमीर पुतिन पर अधिकतम दबाव बना रहे। हमने अपने यूरोपीय सहयोगियों से भी बात की है, जो आज भी रूसी तेल खरीद रहे हैं — जो कि हमारे अनुसार एक चौंकाने वाली बात है। इसलिए यह केवल भारत से जुड़ा मसला नहीं है, हम चीन से भी इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं।”
भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि उसकी ऊर्जा आवश्यकताएं राष्ट्रीय हित और बाज़ार की परिस्थितियों से तय होती हैं। पश्चिमी देशों द्वारा फरवरी 2022 में रूस पर प्रतिबंध लगाने के बाद जब वैश्विक बाज़ार में तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई, तब भारत ने सस्ते दर पर मिलने वाला रूसी तेल खरीदना शुरू किया।