पसमांदा समाज के लिए शिक्षा बनी मशाल: नूंह में क़ौमी तालीमी बेदारी सम्मेलन

Story by  यूनुस अल्वी | Published by  [email protected] | Date 08-10-2025
Education becomes a torch for the Pasmanda community: National Educational Awareness Conference in Nuh
Education becomes a torch for the Pasmanda community: National Educational Awareness Conference in Nuh

 

यूनुस अल्वी /नूह (मेवात, हरियाणा)

देश में नफ़रत का निशाना हमेशा पसमांदा तबका बनता है.इस स्थिति से निकलने का एकमात्र रास्ता शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना है, जिसके द्वारा हम अपनी और देश की तरक्की सुनिश्चित कर सकते हैं. यह कहना हैपसमांदा विकास फाउंडेशनके निदेशक मेराज राईनका.  वह  मेवात के ऐतिहासिक शहर नूह में, पसमांदा विकास फाउंडेशन के तत्वावधान मेंआयोजित 'क़ौमी तालीमी बेदारी सम्मेलन' बोल रहे थे.

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मदरसा हिफ़ज़ुल क़ुरान सैयदना इमाम-ए-हफ़्स, पुराना बस स्टैंड पर आयोजित इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य मदरसा छात्रों को आधुनिक शिक्षा की अहमियत से अवगत कराना और उन्हें समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए प्रेरित करना था.इस प्रेरणा को ज़मीन पर उतारने के लिए, बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं को तालीमी किट वितरित की गईं.

फाउंडेशन के निदेशक मेराज राईन ने अपने संबोधन में इस पहल को एक सशक्त नाम दिया— "तालीमी जिहाद".उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह तालीमी किट केवल एक भौतिक सहायता नहीं, आधुनिक शिक्षा से जुड़ने का संकल्प है.

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राईन ने स्पष्ट किया कि जिस प्रकार धार्मिक शिक्षा आवश्यक है, उसी तरह आज के दौर में आधुनिक शिक्षा भी उतनी ही ज़रूरी है.उनका मानना है कि जब मदरसा छात्र आधुनिक ज्ञान और कौशल से परिचित होंगे, तो वे केवल अपने समुदाय के लिए ही नहीं, पूरे देश के विकास के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे.

मेराज राईन ने धर्मनिरपेक्ष प्रकृति पर ज़ोर देते हुए कहा कि भारत अनेक धर्मों और भाषाओं का देश है, इसलिए हमें अन्य भाषाओं का ज्ञान भी ज़रूरी है ताकि हम एक-दूसरे को बेहतर ढंग से समझ सकें और राष्ट्रीय एकता को मज़बूत कर सकें.

उन्होंने समाज को राजनीति से ऊपर उठकर सोचने का आग्रह किया और कहा कि लोगों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए.उन्होंने तर्क दिया कि "सरकारें बदलती हैं, पर व्यवस्था नहीं बदलती", इसलिए हर नागरिक को उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाना चाहिए.

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 राईन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि समय के साथ खुद को अपडेट करना ही सफलता की कुंजी है.उन्होंने समाज की एक गंभीर सच्चाई की ओर इशारा करते हुए कहा कि देश में नफ़रत का निशाना हमेशा पसमांदा तबका बनता है.इस स्थिति से निकलने का एकमात्र रास्ता शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना ही है, जिसके द्वारा हम अपनी और देश की तरक्की सुनिश्चित कर सकते हैं.

फाउंडेशन की निदेशक निकहत परवीन ने अपने संबोधन में महिलाओं के सशक्तिकरण पर ज़ोर दिया.उन्होंने कहा कि किसी भी समाज की प्रगति महिलाओं के सक्रिय योगदान के बिना संभव नहीं है.उन्होंने शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि "अगर महिला शिक्षित होगी तो केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरी पीढ़ी शिक्षित होगी."

निकहत परवीन ने ज़ोर देकर कहा कि शिक्षा अमीरी-गरीबी नहीं देखती, वह केवल जज़्बे और हिम्मत की मांग करती है.उन्होंने विशेष रूप से पसमांदा तबके की महिलाओं में शैक्षिक जागरूकता और आत्मविश्वास बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि वे समाज में अधिक प्रभावी और निर्णायक भूमिका निभा सकें.

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सम्मेलन में नलहड़ मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एम. के. दयाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे.उन्होंने पसमांदा विकास फाउंडेशन की इस पहल की हृदय से सराहना की.डॉक्टर दयाल ने कहा कि शिक्षा किसी भी समाज की प्रगति की सबसे मज़बूत नींव है.उनका मानना था कि शिक्षित बच्चे न केवल अपना भविष्य उज्ज्वल करेंगे, बल्कि पूरे समाज में जागरूकता और सद्भाव का माहौल बनाएंगे.

उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षा किसी धर्म या वर्ग की संपत्ति नहीं, बल्कि हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है.उन्होंने मदरसों के छात्रों को भी आधुनिक वैज्ञानिक और सामाजिक शिक्षा से जोड़ने को समय की मांग बताया.

उलेमा टीम के अध्यक्ष मुफ़्ती वसीम अकरम क़ासमी और मौलाना ज़ाहिद आलम मज़ाहिरी ने अपनी सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि "इल्म (ज्ञान) की रौशनी हर दिल तक पहुँचना हम सबकी साझा ज़िम्मेदारी है."कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर क़मरुद्दीन ने की, जबकि मौलाना ज़ाहिद आलम मज़ाहिरी (अध्यक्ष, टीम उलेमा, पसमांदा विकास फाउंडेशन) ने संचालन का फ़र्ज़ निभाया.

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 मौलाना अब्बास नदवी (नाज़िम-ए-तालीमात, मदरसा हिफ़ज़ुल क़ुरान सैयदना इमाम-ए हफ़्स) ने सभी का आभार व्यक्त किया.इस अवसर पर पसमांदा विकास फाउंडेशन के संरक्षक कारी असजद ज़ुबैर, अशरफ खान, सैयद फर्रुख़ सेर, हसीन फातिमा, मुशर्रफ, और समीर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे.मंच पर उपस्थित अन्य प्रतिष्ठित उलेमा में मौलाना शरीफ़, कारी यूसुफ़, मौलाना तैय्यब, मौलाना मोहम्मद इसराइल, मौलाना तालिब, मौलाना मोहम्मद अनीस, मौलाना क़ासिम, साबिर क़ासमी, साहुन मलाब शामिल थे.