वॉशिंगटन
पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रूबिन ने कहा है कि अमेरिकी जनता का बड़ा हिस्सा—लगभग 65 प्रतिशत—रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की “भारी अक्षमता” का नतीजा मानता है। उनके अनुसार, ट्रंप की विदेश नीति की विफलताएँ भारत-रूस साझेदारी को नई मजबूती दे रही हैं।
रूबिन ने कहा, “अगर आप डोनाल्ड ट्रंप हैं, तो आप इसे ‘मैंने पहले ही कहा था’ वाले नजरिए से देखेंगे। लेकिन ट्रंप कभी मानेंगे नहीं कि गलती उनकी है। वहीं, जो 65% अमेरिकी ट्रंप को पसंद नहीं करते, उनके लिए यह स्थिति ट्रंप की गंभीर विफलताओं का प्रत्यक्ष परिणाम है।”
माइकल रूबिन ने अमेरिका की दोहरी नीति की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत को रूस से डिस्काउंटेड तेल खरीदने पर रोक लगाने का उपदेश देता है, जबकि खुद रूस से कई तरह का सामान आयात कर रहा है।
उन्होंने कहा,“अमेरिकी यह नहीं समझते कि भारत ने प्रधानमंत्री मोदी को भारत के हितों की रक्षा के लिए चुना है। भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है और उसकी अपनी ऊर्जा ज़रूरतें हैं। अमेरिका खुद रूस से खरीद करता है—ऐसे में भारत को लेक्चर देना ढोंग है।”
वे आगे कहते हैं,“अगर अमेरिका चाहता है कि भारत रूसी तेल न खरीदे, तो उसे यह बताना चाहिए कि भारत को उतनी ही मात्रा में, उससे भी सस्ता ईंधन कौन देगा? अगर इसका जवाब नहीं है, तो अमेरिका को ‘चुप रहना’ चाहिए, क्योंकि भारत को अपनी सुरक्षा और ऊर्जा ज़रूरतें पहले देखनी होंगी।”
दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता के दौरान पुतिन ने कहा कि रूस तेल, गैस, कोयला और ऊर्जा से जुड़ी हर आवश्यकता के लिए भारत को विश्वसनीय आपूर्ति जारी रखेगा।
पुतिन बोले,“भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए हम ईंधन की निर्बाध आपूर्ति देने को तैयार हैं।”
रूबिन ने कहा कि अमेरिकी नागरिक ट्रंप के फैसलों से “हैरान-परेशान” हैं, क्योंकि उन्होंने अमेरिका-भारत संबंधों को पीछे धकेला है।उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान सहित तुर्की और क़तर जैसे देशों के “चापलूसी या रिश्वत” ने ट्रंप को भारत विरोधी नीतियों की ओर धकेला।
उन्होंने कहा,“यह एक ऐसा विनाशकारी प्रभाव है, जिसका रणनीतिक नुकसान अमेरिका को आने वाले दशकों तक झेलना पड़ेगा।”