काबुल
अफगानिस्तान में बुधवार तड़के 3.9 तीव्रता का भूकंप आया। राष्ट्रीय भूकंपीय विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, यह भूकंप धरती की सतह से केवल 15 किलोमीटर की गहराई में आया, जिससे इसके बाद झटके (आफ्टरशॉक्स) की आशंका बनी हुई है।
NCS ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया:
"भूकंप: तीव्रता 3.9, दिनांक: 02/07/2025, समय: 00:44:52 IST, अक्षांश: 36.63° N, देशांतर: 71.38° E, गहराई: 15 किमी, स्थान: अफगानिस्तान।"
यह भूकंप पिछले तीन दिनों में अफगानिस्तान में आया तीसरा भूकंप है। इससे पहले:
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30 जून को सुबह 8:02 बजे, 4.9 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी गहराई 10 किमी थी।
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28 जून की रात 8:01 बजे, 4.3 तीव्रता का भूकंप 120 किमी की गहराई में दर्ज किया गया था।
विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे सतही (shallow) भूकंप अधिक खतरनाक होते हैं, क्योंकि इनमें ऊर्जा का अधिकतर हिस्सा धरातल के पास ही निकलता है, जिससे झटकों की तीव्रता ज़्यादा होती है और भवनों को नुकसान और जनहानि की आशंका बढ़ जाती है।
भूकंपीय दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील है अफगानिस्तान
रेड क्रॉस और संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता समन्वय कार्यालय (UNOCHA) के अनुसार, अफगानिस्तान हिंदूकुश पर्वतमाला पर स्थित है, जो एक भूगर्भीय रूप से अत्यधिक सक्रिय क्षेत्र है। यह देश भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव क्षेत्र पर स्थित है, और यहां कई सक्रिय फॉल्ट लाइनें हैं — जिनमें से एक सीधी हेरात शहर से होकर गुजरती है।
UNOCHA ने कहा है कि अफगानिस्तान प्राकृतिक आपदाओं — जैसे मौसमी बाढ़, भूस्खलन और भूकंप — के प्रति बेहद संवेदनशील है। दशकों के संघर्ष, अविकास और कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण स्थानीय समुदायों की इन आपदाओं से निपटने की क्षमता बहुत सीमित है।
लगातार आ रहे भूकंप इस भूकंपीय अस्थिरता की ओर संकेत करते हैं, जिससे पहले से संघर्षरत अफगान जनता को और अधिक संकट झेलना पड़ रहा है।