वॉशिंगटन
सोमवार से शुरू हो रहे नए सुप्रीम कोर्ट सत्र में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बड़े दायरे की कार्यकारी शक्तियों की समीक्षा एक केंद्रीय परीक्षा होगी। इस सत्र में मतदान अधिकार, LGBTQ अधिकार, और ट्रम्प प्रशासन की महत्वाकांक्षी नीतियों की संवैधानिक वैधता पर फैसले आने की उम्मीद है।
अब तक सुप्रीम कोर्ट के रूढ़ पक्षपाती बहुलांश ने ट्रम्प प्रशासन की कई मुखर वादों और आदेशों को प्रारंभिक स्तर पर समर्थन दिया है। लेकिन इस सत्र में, गहरी सुनवाई में जस्टिसों को यह तय करना होगा कि कितने कदम राष्ट्रपति की शक्ति के दायरे से बाहर हैं।
लिबरल जस्टिस केटांजी ब्राउन जैक्सन ने एक ऐसे फैसले को लेकर टिप्पणी की जिसमें $783 मिलियन के अनुसंधान बजट कटौती की इजाजत दी गई थी। उन्होंने सीधा-सीधा कहा,
“यह कैल्विनबॉल विधि है — एकमात्र नियम है कि नियम ही नहीं है। यहाँ लगता है, दो नियम हैं: पहला, नियम कोई नहीं; और दूसरा, इस प्रशासन में हर बार वही जीतता है।”
अगर इस सत्र में वही पारंपरिक न्यायाधीशों का विभाजन जारी रहा — जैसा कि ट्रम्प की आपात अपीलों में देखा गया है — तो यह सत्र अमेरिका के इतिहास में एक अत्यधिक ध्रुवीकृत अवधि हो सकती है, जहां अदालत के फैसले न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक रूप से भी निर्णयात्मक साबित होंगे।
नवंबर में अदालत उस चुनौती की सुनवाई करेगी जहाँ सवाल है कि क्या ट्रम्प को एकतरफा रूप से टैरिफ लगाने की शक्ति है — विशेष रूप से आपातकालीन कानूनों के अंतर्गत। निचली अदालतों ने कहा है कि कांग्रेस की कराधान शक्ति को यह कदम usurp (अमान्य रूप से प्रभूत करना) कर सकता है। ट्रम्प प्रशासन का तर्क है कि आपातकालीन अधिकार उसमें इस तरह की निर्णयशक्ति देते हैं कि वह टैरिफ लगा सकता है।
कुछ न्यायाधीशों ने इस दलील को स्वीकार किया है, और संभव है कि सुप्रीम कोर्ट इस बात पर फैसला देगा कि राष्ट्रपति आपातकालीन अधिकारों के नाम पर कितनी छूट ले सकता है।
दिसंबर में कोर्ट यह मामला सुनेगी जहां ट्रम्प प्रशासन यह दावा कर रही है कि वह सेनिट कन्फ़र्म किए गए अधिकारियों को बिना कारण बताये हटा सकती है, यानी राष्ट्रपति को यह एकाधिकार हो। यह 90 वर्षों से अस्तित्व में एक परंपरागत निर्णय को पलटने जैसा मामला है, जिसमें कहा गया था कि किसी एजेंसी पदाधिकारी को हटाने के लिए “कारण” (Neglect of duty आदि) होना चाहिए।
इस मामले में, आवाजें उठ रही हैं कि अदालत इस पुराने सिद्धांत को बहुत सीमित कर सकती है या पूरी तरह पलट सकती है, जिससे राष्ट्रपति को व्यापक हटाने की शक्ति मिले।
एक और विवादित मामला है वह कार्यकारी आदेश जिसमे ट्रम्प प्रशासन यह प्रस्ताव दे रही है कि अमेरिका में अवैध या अस्थायी रूप से रहने वाले माता–पिता से जन्मे बच्चों को स्वतः नागरिकता न मिले। इस आदेश को निचली अदालतों ने असिंवैधानिक बताया है और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
इस मामले में यह सवाल है: क्या राष्ट्रपति संविधान की 14वीं संशोधन व्याख्या बदल सकता है या न्यायालय केवल निचली अदालतों की शक्तियों को सीमित करना है — यानी वह आदेश लागू हो सके या नहीं।
न्यायालय ने जून 2025 में एक फैसला दिया, जिसमें कहा गया कि निचली अदालतों को राष्ट्रीय स्तर पर निषेधाज्ञाएँ (nationwide injunctions) लगाने का अधिकार सीमित है, लेकिन उन्होंने आदेश की संविधानिक वैधता पर कोई अंतिम निर्णय नहीं दिया।
लूज़ियाना का क्षेत्र विभाजन (Redistricting): इस मामले में प्रश्न है कि क्या किसी राज्य को जाति (race) को ध्यान में रखे बिना निर्वाचन क्षेत्रों का निर्माण करने की अनुमति दी जाए। इस मामले का असर वोटिंग राइट्स एक्ट और अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व पर होगा।
चुनावी वित्त (Campaign Finance): रिपब्लिकन पक्ष की मांग है कि राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों के साथ सहयोग में खर्च करने की सीमाएँ हटाई जाएँ। एक पुरानी संघीय कानून की एक धारा कोर्ट में चुनौती के अधीन है।
ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों का स्कूल खेलों में भाग: अडाहो और वेस्ट वर्जीनिया से जुड़े मामलों में पूछा जाएगा कि क्या ट्रांसजेंडर महिलाएं और लड़कियाँ विद्यालय स्तर पर लड़कियों के खेलों में भाग ले सकती हैं। यह मामला संविधान के समान सुरक्षा क्लॉज और Title IX (जो महिलाओं को खेलों में भाग की गारंटी देता है) के अंतर्गत है।
अप्रैल 2026 में एलिटो 76 वर्ष के हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट स्रोतों का अनुमान है कि वह अगले वर्ष सेवानिवृत्ति की योजना कर सकते हैं, जिससे ट्रम्प को एक और युवा रूढ़ (conservative) न्यायाधीश चुनने का अवसर मिल सकता है।
एलिटो ने हाल ही एक पुस्तक लिखने का अनुबंध किया है, जो न्यायपालिका में उनकी आगे की दिशा पर संकेत माना जा रहा है।