पटना
जनता दल (यूनाइटेड) ने बुधवार को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने 57 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, जिसमें पार्टी ने राजनीतिक प्रभाव, सामाजिक संतुलन और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशियों का चयन किया है।
इस सूची में तीन बाहुबली नेताओं को टिकट दिया गया है, जबकि 10 अनुसूचित जाति (एससी) के उम्मीदवार शामिल किए गए हैं। साथ ही, जद(यू) ने चिराग पासवान द्वारा दावा की गई पांच सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिससे गठबंधन सहयोगियों के बीच तनातनी की अटकलें तेज हो गई हैं।
इन प्रभावशाली उम्मीदवारों को मिला टिकट
पार्टी ने मोकामा से अनंत सिंह, एकमा से धुमल सिंह और कुचायकोट से अमरेंद्र पांडे को टिकट दिया है। ये तीनों नेता अपने क्षेत्रों में मजबूत पकड़ और प्रभावशाली छवि के लिए जाने जाते हैं। अनंत सिंह ने तो मंगलवार को ही अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया था।
मंत्रियों और पुराने चेहरों को मिला भरोसा
सरायरंजन सीट को लेकर यह चर्चा थी कि वहां से मंत्री विजय कुमार चौधरी के बेटे को टिकट मिल सकता है, लेकिन पार्टी ने फिर से विजय चौधरी को मैदान में उतारकर इन अटकलों पर विराम लगा दिया।
2020 के चुनाव में हिलसा सीट से महज 12 वोटों से जीतने वाले कृष्ण मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया को एक बार फिर मौका दिया गया है।पार्टी ने इस सूची में 18 मौजूदा विधायकों को दोबारा मैदान में उतारा है, जबकि दो विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं।
चिराग पासवान की सीटों पर भी उम्मीदवार
जद(यू) ने एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान द्वारा दावा की गई पांच सीटों – सोनबरसा, अलौली, राजगीर, एकमा और मोरवा – पर भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जो एनडीए के भीतर संभावित टकराव का संकेत देता है।
मंत्री महेश्वर हजारी और रत्नेश सादा को दोबारा मौका
कल्याणपुर सीट से मंत्री महेश्वर हजारी को फिर से प्रत्याशी बनाया गया है। हजारी के बेटे ने इस साल लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था, लेकिन हार गए थे। वहीं, मंत्री रत्नेश सादा को सोनबरसा से दोबारा मैदान में उतारा गया है।
बिजेंद्र यादव ने किया नामांकन दाखिल
पार्टी के वरिष्ठ नेता और ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने मंगलवार को ही अपना नामांकन दाखिल किया।
कम सीटों पर लेकिन ज़्यादा फोकस
इस बार जद(यू) 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि 2020 में उसने 115 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और 43 सीटें जीती थीं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस बार उन्होंने सीटों की संख्या से ज़्यादा उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है जहां जीत की संभावना अधिक है।पार्टी का मानना है कि यह रणनीति उसे मौजूदा राजनीतिक हालात में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद कर सकती है।