ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
भारत की कालीन नगरी भदोही ने एक बार फिर अपनी कारीगरी और कुशल कारीगरों की मेहनत से विश्वभर में भारत का नाम रोशन किया है। भदोही के प्रतिष्ठित कालीन उद्योग ने अब एक नई उपलब्धि हासिल की है, जिसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने दुनिया की सबसे बड़ी हैंड टफ्टेड कालीन के रूप में मान्यता दी है। यह विशाल कालीन कजाकिस्तान की अस्ताना ग्रैंड मस्जिद (नूर-सुल्तान) में बिछाई गई है, जो मध्य एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद है।
इस ऐतिहासिक सफलता ने न केवल भदोही के कालीन उद्योग को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दी है। इस परियोजना से भदोही को कालीन निर्माण के क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान प्राप्त हुआ है, और यह सफलता भारत के हस्तशिल्प उद्योग की शक्ति को भी प्रदर्शित करती है।
इस विश्व रिकॉर्ड को स्थापित करने वाले कालीन का निर्माण भदोही की पटोदिया कॉन्ट्रैक्ट कंपनी ने किया है, जो इस समय 12,464 वर्ग मीटर में फैले हुए इस विशाल कालीन को मस्जिद के मुख्य प्रार्थना स्थल के लिए तैयार कर रही है। यह कालीन मस्जिद के सुंदर बगीचों और जन्नत-उल-फिरदौस (स्वर्ग का सर्वोच्च स्तर) के प्रतीकात्मक तत्वों से प्रेरित है।
कंपनी के मुताबिक, कालीन के निर्माण की प्रक्रिया 2021 में शुरू हुई थी। कोविड-19 महामारी के कठिन दौर के बावजूद, भदोही के लगभग 1,000 से अधिक कुशल कारीगरों ने अपनी कला और मेहनत से इस कालीन को महज छह महीनों में तैयार किया। इसके बाद, लगभग 50 दिनों में इस विशाल कालीन को कज़ाखस्तान की मस्जिद में स्थापित कर दिया गया।
दिलचस्प बात यह है कि इस कालीन का निर्माण करने के लिए भदोही की कंपनी ने कई देशों की प्रमुख कंपनियों से प्रतिस्पर्धा की। इस टेंडर प्रक्रिया में चीन और अमेरिका की कंपनियां भी शामिल थीं, लेकिन भदोही की कंपनी ने अपनी गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता से यह प्रतिष्ठित कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया।
कालीन को मस्जिद में बिछाने के बाद, पटोदिया कॉन्ट्रैक्ट कंपनी ने इस अद्वितीय कालीन को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में पंजीकरण के लिए भेजा। कई महीनों की सघन जांच और सत्यापन प्रक्रिया के बाद, 7 अक्टूबर 2025 को एक विशेष ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने आधिकारिक रूप से इसे "दुनिया की सबसे बड़ी हैंड टफ्टेड कालीन" घोषित किया। इस घोषणा के दौरान आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कंपनी के प्रतिनिधियों ने गर्व से कहा कि यह उपलब्धि भदोही के कारीगरों की बेहतरीन कला का प्रतीक है।
इस सफलता ने भदोही के कालीन उद्योग में उत्साह का माहौल बना दिया है। पटोदिया कॉन्ट्रैक्ट कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, “यह सम्मान न केवल भदोही के कारीगरों की कला का प्रमाण है, बल्कि पूरे भारत के हस्तशिल्प उद्योग की वैश्विक पहचान को भी मजबूत करेगा। हमारी मेहनत से भारत का नाम अब दुनिया भर में गूंजेगा।”
भदोही कालीन उद्योग के लिए यह उपलब्धि न केवल क्षेत्रीय बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर भारतीय कारीगरी की एक शानदार पहचान बन गई है, और यह साबित करती है कि पारंपरिक कला और हस्तशिल्प के क्षेत्र में भारत की क्षमता और ताकत निरंतर बढ़ रही है।