गिरफ्तारी वारंट जारी: शेख हसीना समेत 30 लोगों पर चलेगा अआपराधिक मुकदमा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 08-10-2025
Arrest warrant issued: Sheikh Hasina and 30 others to face criminal charges
Arrest warrant issued: Sheikh Hasina and 30 others to face criminal charges

 

ढाका

 बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना समेत 30 प्रभावशाली नेताओं और अधिकारियों पर मानवता के खिलाफ अपराधों का मुकदमा चलाया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने बुधवार को अवामी लीग के लंबे शासनकाल (2009–2024) के दौरान विपक्षी नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गुमशुदगी, गुप्त हिरासत और यातना से जुड़े दो मामलों में आरोपों का संज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए हैं। यह फैसला ट्रिब्यूनल-1 के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुनाया।

मामले में अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हुए मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने अदालत को बताया कि किस प्रकार से अवामी लीग शासनकाल के दौरान राजनीतिक विचारधारा से असहमति रखने वाले लोगों, लेखकों, पत्रकारों और सांस्कृतिक हस्तियों को टास्क फोर्स पूछताछ (TFI) सेल और संयुक्त पूछताछ केंद्र (JIC) में गैरकानूनी हिरासत में रखकर उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। अभियोजक के अनुसार, यह सिलसिला सालों तक चलता रहा और सैकड़ों लोग या तो लापता कर दिए गए या हिरासत में यातना के बाद मार दिए गए। इसी के आधार पर दो अलग-अलग आरोप पत्र न्यायाधिकरण में पेश किए गए, जिन्हें सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए कोर्ट ने गिरफ्तारी आदेश जारी कर दिए।

पहले मामले में, TFI सेल से जुड़े आरोपों में कुल 17 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें प्रमुख नाम हैं — पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, उनके पूर्व रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल, पूर्व आईजीपी बेनजीर अहमद, पूर्व RAB महानिदेशक एम खुर्शीद हुसैन, बैरिस्टर हारुन ओर राशिद, कर्नल अनवर लतीफ खान, ब्रिगेडियर जनरल जहांगीर आलम, तोफैल मुस्तफा सरवर, आरएबी अधिकारी केएम आज़ाद, ब्रिगेडियर जनरल कमरुल हसन और अन्य। इन सभी पर अपहरण, अवैध हिरासत, गायब करना, यातना और हत्या जैसे गंभीर आरोप हैं।

दूसरे मामले में, JIC (संयुक्त पूछताछ केंद्र) में की गई गुमशुदगियों को लेकर 13 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें शेख हसीना के अलावा उनके सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी, पूर्व डीजीएफआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद अकबर हुसैन, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सैफुल आबेदीन, ले. जनरल मोहम्मद सैफुल आलम, ले. जनरल तबरेज शम्स चौधरी, हमीदुल हक, तौहीदुल इस्लाम, सरवर हुसैन, कबीर अहमद, ब्रिगेडियर महबूबुर रहमान सिद्दीकी, ब्रिगेडियर अहमद तनवीर मजहर सिद्दीकी और लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) मखसूरुल हक शामिल हैं। अभियोजन पक्ष के अनुसार, इनमें से चार अधिकारी अब भी सेवा में हैं, लेकिन न्यायाधिकरण के संशोधित नियमों के तहत वे अब किसी पद पर बने नहीं रह सकते।

गौरतलब है कि 2009 से 2024 तक के अवामी लीग शासनकाल में सैकड़ों लोगों की गुमशुदगी की घटनाएं दर्ज की गई थीं। इनमें से सौ से अधिक लोग आज तक नहीं मिल सके। कुछ की हत्या के बाद उनके शव तक गायब कर दिए गए थे। 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद कुछ गुप्त रूप से बंदी बनाए गए लोगों को जेलों से छोड़ा गया। इनमें बैरिस्टर मीर अहमद बिन कासिम, अब्दुल्लाहिल अमन आज़मी और कई अन्य शामिल हैं, जिन्होंने बाहर आने के बाद इन अत्याचारों का खुलासा किया।

इन्हीं खुलासों और पीड़ितों की शिकायतों के आधार पर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में दो मुकदमे दर्ज किए गए। बुधवार को इन मामलों में न्यायिक संज्ञान लेते हुए सभी 30 आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए। अब अगला चरण आरोपियों की गिरफ्तारी और औपचारिक सुनवाई का होगा। यह मामला बांग्लादेश के न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहां पहली बार इतने बड़े पैमाने पर सत्ता में रह चुके लोगों को मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए न्याय के कठघरे में लाया गया है। यह न केवल जवाबदेही की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि उन पीड़ित परिवारों के लिए भी एक उम्मीद है, जो वर्षों से न्याय के इंतज़ार में थे।