इस्लामाबाद. बलूचिस्तान बार काउंसिल ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज की निंदा की है. प्रदर्शनकारी क्वेटा में लापता बलूच व्यक्तियों की फर्जी मुठभेड़ों में वृद्धि के मुद्दे पर शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे. बलूचिस्तान बार काउंसिलय की फटकार उत्तरी बलूचिस्तान के जियारत जिले में फर्जी मुठभेड़ों की पृष्ठभूमि में आई है. मारे गए लापता व्यक्ति के परिजन और दोस्त इस नृशंस कृत्य का विरोध कर रहे थे. पुलिस ने उनके विरोध में तोड़फोड़ करने के लिए उन पर लाठीचार्ज किया और यहां तक कि महिलाओं और बच्चों पर भी हमला किया.
बलूचिस्तान बार काउंसिल ने कहा कि प्रांत में बलूच युवकों का जबरन लापता होना जारी है. बार काउंसिल के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी आपराधिक गतिविधि में संलिप्त पाया जाता है, तो उसे कोर्ट में पेश किया जाए. लेकिन, उन्हें प्रताड़ित किया जाता है और फर्जी मुठभेड़ों में मार दिया जाता है.
इस सप्ताह की शुरुआत में, क्वेटा में लापता व्यक्तियों की विरोध रैली में भाग लेने वालों और पुलिस के बीच हुई झड़प में कई प्रदर्शनकारी और दो महिला पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे. गुरुवार को लापता लोगों के परिजन जियारत में सुरक्षा बलों की कार्रवाई का विरोध कर रहे थे, जिसमें नौ लोग मारे गए थे.
रैली में शामिल लोग प्रेस क्लब से पैदल चलकर मुख्यमंत्री आवास जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रेड जोन में जाने से रोक दिया. बाद में पुलिस और प्रदर्शनकारी भी भिड़ गए. पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को रेड जोन में विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर रोका गया. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों के पथराव में दो महिला पुलिसकर्मी घायल हो गईं.
इसी पृष्ठभूमि में प्रदर्शनकारी घटना की पारदर्शी जांच के साथ न्यायिक आयोग के गठन की मांग कर रहे हैं. बलूचिस्तान नेशनल पार्टी ने क्वेटा में एक फर्जी मुठभेड़ में जियारत में लापता लोगों की हत्या, महिलाओं और बच्चों को घायल करने की कड़ी निंदा की है. अधिकार समूहों का कहना है कि फर्जी मुठभेड़ों में निर्दोष बलूच मारे जाते हैं और उनके क्षत-विक्षत शव दूरदराज के इलाकों में पाए जाते हैं.
बलूचिस्तान की मानवाधिकार परिषद एक संगठन है, जो प्रांत में मानवाधिकारों के उल्लंघन का ‘वार्षिक रिपोर्ट’ के दस्तावेजीकरण रूप में करता है. संगठन ने कहा है कि छात्र बलूचिस्तान के साथ-साथ पाकिस्तान के अन्य प्रांतों में इन अपहरणों का मुख्य लक्ष्य बने रहे.