बलूचिस्तान (पाकिस्तान)
बलूच नेशनल मूवमेंट (BNM) के वरिष्ठ नेता और सरकारी चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर दीन मोहम्मद बलोच की जबरन गुमशुदगी को 16 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज तक उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया है। यह बात BNM के मानवाधिकार विभाग 'पांक' ने शनिवार को एक बयान में कही।
पांक के अनुसार, 28 जून 2009 की रात लगभग 1 बजे, खुज़दार ज़िले के ओरनाच क्षेत्र में स्थित एक अस्पताल आवास पर, जहाँ डॉक्टर दीन मोहम्मद ड्यूटी पर थे, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के लोग बिना वर्दी के पहुंचे। उन्होंने डॉक्टर को बुरी तरह पीटा, आंखों पर पट्टी बांधी, हथकड़ी लगाई और एक सैन्य वाहन में जबरन बैठाकर ले गए। तब से अब तक उनका कुछ अता-पता नहीं है।
पांक ने कहा कि डॉक्टर दीन मोहम्मद की जबरन गुमशुदगी बलूचिस्तान में चल रही उस व्यापक त्रासदी का प्रतीक बन चुकी है, जिसमें पिछले दो दशकों में हजारों लोगों को सुरक्षाबलों द्वारा अगवा किया गया है। इनमें पुरुष, महिलाएं और यहां तक कि नाबालिग बच्चे भी शामिल हैं।
इन मामलों में अक्सर किसी कानूनी प्रक्रिया या गिरफ्तारी वारंट की जरूरत भी नहीं समझी जाती। अधिकांश पीड़ितों की फिर कभी कोई खबर नहीं मिलती।
पांक ने कहा कि बलूचिस्तान में जबरन गायब कर देना अब राज्य दमन का एक सुनियोजित औजार बन चुका है, जिसका मकसद राजनीतिक असहमति को कुचलना और लोगों के हौसले तोड़ना है। पाकिस्तान सरकार से बार-बार अपीलों के बावजूद, अधिकतर मामलों में पीड़ित परिवारों को खामोशी या इनकार के सिवा कुछ नहीं मिलता, जिससे जवाबदेही का अभाव और गहरा होता जा रहा है।
पांक ने डॉक्टर दीन मोहम्मद की जबरन गुमशुदगी को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का घोर उल्लंघन बताया और संयुक्त राष्ट्र, वैश्विक नागरिक समाज और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से हस्तक्षेप की अपील की। संगठन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी इन अत्याचारों को बढ़ावा देने वाली है।
पांक ने डॉक्टर दीन मोहम्मद के मामले में तुरंत सच्चाई सामने लाने और बलूचिस्तान के सभी जबरन लापता लोगों की सुरक्षित वापसी की पुरजोर मांग दोहराई।
बयान में कहा गया, "यह ongoing त्रासदी न सिर्फ एक परिवार का निजी दुख है, बल्कि एक समूचे समुदाय का घाव है, जो आज भी व्यवस्थित दमन के खिलाफ सच्चाई और इंसाफ़ की लड़ाई लड़ रहा है।"