क्या धरती पर मौजूद संसाधन 8 अरब आबादी के लिए पर्याप्त है ?

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 07-11-2022
क्या धरती पर मौजूद संसाधन 8 अरब आबादी के लिए पर्याप्त है ?
क्या धरती पर मौजूद संसाधन 8 अरब आबादी के लिए पर्याप्त है ?

 

आवाज द वॉयस / नई दिल्ली

यह एक ऐसा सवाल है जो बढ़ती आबादी के सामने योजनाकारों को परेशान कर रहा है. वैसे, वैज्ञानिक इसके अलावा एक बड़ी समस्या अमीरों द्वारा संसाधनों का अत्यधिक उपयोग को भी मानते हैं.एक विदेशी समाचार एजेंसी के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की प्रमुख नतालिया कनेम का कहना है कि भले ही 8 अरब लोगों तक पहुंचना मानवता के लिए बेहद ऐतिहासिक क्षण है, लेकिन यह कई लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय भी है.

नतालिया कनेम ने अधिक जनसंख्या से संबंधित चिंताओं को खारिज करते हुए कहा,मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मनुष्यों की जनसंख्या भय का कारण नहीं है.15 नवंबर को दुनिया की आबादी 8अरब तक पहुंच जाएगी. क्या इतने इंसान ग्रह पर मौजूद संसाधनों की तुलना में बहुत अधिक हैं ?

अधिकांश विशेषज्ञों के अनुसार, यह जनसंख्या वृद्धि का प्रश्न नहीं है, बल्कि अधिक से अधिक संसाधनों पर कब्जा करने वाले एक सीमित वर्ग का है.संयुक्त राज्य अमेरिका में रॉकफेलर विश्वविद्यालय में जनसंख्या प्रयोगशाला में जीवविज्ञानी जोएल कोहेन का कहना है कि ग्रह की प्राकृतिक सीमाएं और मनुष्यों की इच्छाएं दो बिंदु हैं, जिन्हें इस प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए ध्यान में रखना होगा.

मानव की इच्छाएं जैविक संसाधनों जैसे जंगलों और भूमि के अत्यधिक उपयोग का कारण बनती हैं, उन्हें पर्याप्त तेजी से पुनर्जीवित नहीं किया गया है. जैव ईंधन के अत्यधिक उपयोग के कारण कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन भी बढ़ा है, जो तापमान वृद्धि का प्रमुख कारण है.

जीवविज्ञानी जोएल कोहेन के अनुसार, हमारे पास दूरदर्शिता की कमी है. हम लालची हैं. हमारे पास जो जानकारी है उसका उपयोग नहीं करते.अमेरिकी शोधकर्ता जेनिफर स्क्यूबा का कहना है कि पृथ्वी पर मनुष्यों के प्रभाव का कारण उनकी संख्या नहीं, उनका व्यवहार है.

यह मेरी और आपकी वजह से है. मैं जिस एयर कंडीशनिंग का आनंद लेता हूं, मेरे घर में जो स्विमिंग पूल है और जो मांस मैं हर रात खाता हूं, ये सभी तत्व पृथ्वी को नुकसान पहुंचाते हैं.संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2050तक विश्व की जनसंख्या 9.7बिलियन तक पहुंच जाएगी.

प्रोजेक्ट ड्रॉडाउन के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और परिवार नियोजन यानी जनसंख्या नियंत्रण पर काम करने वाली संस्था ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान में से एक है.प्रोजेक्ट ड्रॉडाउन के अनुसार, ऊर्जा, परिवहन, भोजन और अन्य संसाधनों की मांग में कमी स्थायी संसाधनों और कम जनसंख्या के माध्यम से ही संभव हो सकती है.

विश्व संसाधन संस्थान एवं एक थिंक टैंक की सदस्य वैनेसा पेरेज इस बात से सहमत हैं कि पैदा होने वाला हर नया इंसान संसाधनों पर बोझ है. साथ ही समस्या लोगों की संख्या नहीं, बल्कि वितरण और समानता है.जीवविज्ञानी जोएल कोहेन भी यही बात उठाते रहे हैं कि यदि पृथ्वी पर संसाधन 8 अरब लोगों के लिए भोजन उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त हैं, फिर भी 80 मिलियन लोग हैं जो भोजन की कमी से पीड़ित हैं.