संयुक्त राष्ट्र
इज़राइल ने ग़ाज़ा में काम कर रही संयुक्त राष्ट्र की कम से कम तीन प्रमुख एजेंसियों के स्थानीय प्रमुखों के वीज़ा नवीनीकरण से इनकार कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार एजेंसी के अनुसार, यह कदम ग़ाज़ा में फलस्तीनी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर किए जा रहे उनके प्रयासों की प्रतिक्रिया के रूप में उठाया गया है।
संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने पुष्टि की कि मानवाधिकार समन्वय कार्यालय (OCHA), मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) और फलस्तीन शरणार्थी सहायता एजेंसी (UNRWA) के प्रमुखों के वीज़ा हाल ही में नवीनीकृत नहीं किए गए।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख टॉम फ्लेचर ने सुरक्षा परिषद को बताया कि मानवीय सहायता का कार्य केवल ज़रूरतमंदों को मदद देना नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून की वकालत करना भी इसका एक अहम हिस्सा है। उन्होंने कहा, “हम जब भी ज़मीनी हालात की रिपोर्ट करते हैं, तो हमारी पहुंच उन नागरिकों तक सीमित हो जाती है, जिन्हें हम मदद देना चाहते हैं। आज यह संघर्ष ग़ाज़ा में सबसे तीव्र रूप में सामने आ रहा है।”
फ्लेचर ने यह भी कहा कि वीज़ा नवीनीकरण रोकना, स्पष्ट रूप से उनके मानवीय कार्यों—खासकर नागरिक सुरक्षा की वकालत—के कारण किया गया है।
इज़राइली संयुक्त राष्ट्र मिशन ने इस मामले में टिप्पणी नहीं दी।
पहले से तनावपूर्ण रहा है संबंध
इज़राइल लंबे समय से UNRWA पर हमास से मिलीभगत और इज़राइल विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाता रहा है, जिसे एजेंसी ने बार-बार खारिज किया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी सरकार ने दावा किया है कि हमास की UNRWA में गहरी घुसपैठ है और इसके कुछ कर्मचारी 7 अक्टूबर, 2023 को हुए हमले में भी शामिल थे। इसके चलते इज़राइल ने UNRWA को अपने क्षेत्र में काम करने से रोक दिया है, और इसके प्रमुख फिलिप लाजारिनी को ग़ाज़ा में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई।
मानवीय संकट और आलोचनाएं
फ्लेचर ने ग़ाज़ा की स्थिति को "अस्पष्ट और भयावह" बताया। उन्होंने कहा कि वहां खाना खत्म हो रहा है और मदद की तलाश में निकले लोगों पर गोली चलाई जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बतौर कब्जेदार शक्ति, इज़राइल जिनेवा संधि के तहत अपने दायित्व निभाने में विफल हो रहा है।
इसके जवाब में, इज़राइल ने संयुक्त राष्ट्र के मानवीय समन्वय कार्यालय पर पक्षपातपूर्ण रुख अपनाने और निष्पक्षता छोड़ने का आरोप लगाया।
इज़राइली मिशन की प्रतिनिधि रीउत शापिर बेन-नफ्ताली ने सुरक्षा परिषद को याद दिलाया कि 7 अक्टूबर के हमले में 1,200 से अधिक लोग मारे गए थे और करीब 250 लोग बंधक बना लिए गए थे। उन्होंने कहा, “हमें एक ऐसा नैरेटिव परोसा जा रहा है जो इज़राइल को कठघरे में खड़ा करता है, जबकि हमास को न तो चुनौती दी जाती है, न निंदा।”
हज़ारों फलस्तीनी मारे गए
ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक 58,000 से अधिक फलस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें आधे से ज्यादा महिलाएं और बच्चे हैं। हालांकि मंत्रालय नागरिकों और लड़ाकों में अंतर नहीं करता।
जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने पुष्टि की कि उसके ग़ाज़ा कार्यालय के प्रमुख को फरवरी 2025 के बाद से प्रवेश नहीं मिला है। उन्होंने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन असामान्य नहीं। पत्रकार, राहतकर्मी और यूएन स्टाफ भी ग़ाज़ा में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं।"
इज़राइल ने मानवाधिकार परिषद की विशेष रिपोर्टर फ्रांसेस्का अल्बानीज पर यहूदी-विरोधी होने का आरोप लगाया है। अल्बानीज ने ग़ाज़ा में इज़राइल की कार्रवाई को “नरसंहार” बताया है, जिसे इज़राइल और अमेरिका ने खारिज किया है।
फ्लेचर ने यह भी बताया कि इज़राइल संयुक्त राष्ट्र स्टाफ को सुरक्षा मंजूरी नहीं दे रहा, जिससे मानवीय सहायता कार्य बाधित हो रहे हैं।उन्होंने कहा, “सैकड़ों राहतकर्मी मारे जा चुके हैं, और जो ज़िंदा हैं वे भी लगातार भूख, खतरे और बमबारी का सामना कर रहे हैं.”
यह पूरी स्थिति ग़ाज़ा में बढ़ते मानवीय संकट, इज़राइल की नीतियों और संयुक्त राष्ट्र की सीमित होती पहुंच को उजागर करती है।