ढाका
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा 2008 के नौवें राष्ट्रीय संसद चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामे में गलत जानकारी प्रस्तुत करने को लेकर चुनाव आयोग (ईसी) ने इसे स्पष्ट रूप से आपराधिक कृत्य माना है। हालांकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि अब उसके पास कानूनी कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं है।
एक वरिष्ठ चुनाव आयोग अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि शेख हसीना ने हलफनामे में झूठी जानकारी देकर दंड संहिता की धारा 181 के तहत अपराध किया है। लेकिन यह मुद्दा नामांकन पत्रों की स्वीकृति के चरण में सामने नहीं आया, इसलिए चुनाव आयोग की संवैधानिक सीमा इस पर कोई कार्रवाई करने की अनुमति नहीं देती।
चुनाव आयोग ने इस विषय पर भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (एसीसी) को एक पत्र लिखकर सूचित किया है। पत्र में कहा गया है कि अब मजिस्ट्रेट, नोटरी पब्लिक, या कोई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी इस मामले में अदालत में लिखित शिकायत देकर कार्रवाई शुरू कर सकते हैं।
इससे पहले, 22 मई को भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने शेख हसीना के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व आदेश, 1972 के तहत कानूनी कार्यवाही की सिफारिश की थी। 18 मई को उनकी अवैध संपत्तियों की जांच भी शुरू की गई, जिसकी ज़िम्मेदारी एसीसी के उप निदेशक मसूदुर रहमान के नेतृत्व में गठित एक टीम को सौंपी गई।
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ पूर्वाचल प्लॉट घोटाले में गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया जा चुका है। आरोप है कि उन्होंने अपनी बहन शेख रेहाना, पूर्व राज्य मंत्री शरीफ अहमद, प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व अधिकारी सलाहुद्दीन, और राष्ट्रीय आवास मंत्रालय के अधिकारियों की मिलीभगत से 60 कट्ठा ज़मीन अवैध रूप से आवंटित करवाई थी। 10 मार्च को इस मामले में छह अलग-अलग आरोपपत्र दाखिल किए गए, जिसके बाद अदालत ने सभी आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी किया।
एसीसी अब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मोहम्मद महबूब अली, और मंत्रालय के पूर्व सचिव मोकाम्मल हक से देश के विभिन्न हवाई अड्डों पर विकास कार्यों की आड़ में हजारों करोड़ की लूट के आरोपों की जांच के लिए पूछताछ कर रही है।
इन तमाम घटनाक्रमों से साफ है कि शेख हसीना के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप हैं। हालांकि, कानूनी कार्रवाई का रास्ता अब एसीसी और न्यायपालिका के माध्यम से ही संभव है, क्योंकि चुनाव आयोग की भूमिका अब सीमित रह गई है।