ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद कई देशों ने कूटनीतिक समाधान की अपील की

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 22-06-2025
After the US attack on Iran, many countries appealed for a diplomatic solution
After the US attack on Iran, many countries appealed for a diplomatic solution

 

दुबई

ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा किए गए हमलों के बाद रविवार को दुनिया भर के कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने गहरी चिंता जताते हुए तनाव कम करने और मामले के कूटनीतिक समाधान की अपील की। यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब इजराइल और ईरान के बीच युद्ध की संभावना दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, और अब इसके पूरे क्षेत्र में फैलने का खतरा मंडरा रहा है।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो दिन पहले ही कहा था कि वह ईरान के खिलाफ युद्ध में इजराइल का साथ देने पर दो हफ्ते में निर्णय लेंगे। लेकिन दो दिन के भीतर ही उन्होंने अचानक सैन्य हस्तक्षेप करते हुए ईरान के फोर्डो, इस्फहान और नतांज जैसे अहम परमाणु ठिकानों पर हमले कर दिए।

हालांकि, ईरान ने अभी तक नुकसान का पूरा ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन उसने पहले ही चेतावनी दी थी कि यदि अमेरिका इजराइल का साथ देता है तो वह कड़ी प्रतिक्रिया देगा।

विभिन्न देशों की प्रतिक्रियाएं:

लेबनान:
लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन ने कहा कि अमेरिकी बमबारी से ऐसा संघर्ष भड़क सकता है, जिसे कोई देश झेल नहीं पाएगा। उन्होंने कहा, "लेबनान ने हमेशा क्षेत्रीय युद्धों की बड़ी कीमत चुकाई है। अब जरूरत है कि सभी देश संयम बरतें और संवाद का रास्ता अपनाएं।"
प्रधानमंत्री नवाफ सलाम ने भी कहा कि लेबनान को हर हाल में क्षेत्रीय टकराव से खुद को दूर रखना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र:
यूएन महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अमेरिका के कदम पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि यह संघर्ष "तेजी से नियंत्रण से बाहर जा सकता है" और इसके परिणाम "नागरिकों, क्षेत्र और पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी" हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि "इसका समाधान सैन्य नहीं, सिर्फ कूटनीतिक हो सकता है।"

ब्रिटेन:
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोका जाना चाहिए, लेकिन यह लक्ष्य कूटनीति के ज़रिए ही प्राप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमने जिनेवा में ईरान के साथ समझौते के प्रयास किए, जो विफल रहे, लेकिन संवाद का प्रयास जारी रहना चाहिए।"

न्यूज़ीलैंड:
न्यूज़ीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने सभी पक्षों से “बातचीत की मेज पर लौटने” का आह्वान किया। उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि न्यूजीलैंड अमेरिकी कार्रवाई का समर्थन करता है या नहीं, लेकिन यह जरूर कहा कि "यह अब तक का सबसे गंभीर संकट है" और इसे फैलने से रोका जाना चाहिए।

हूती विद्रोही और हमास:
ईरान समर्थक हूती विद्रोहियों और हमास ने अमेरिका के हमलों की कड़ी निंदा की है। हूतियों ने मुस्लिम देशों से इजराइली और अमेरिकी "अहंकार" के खिलाफ एकजुट होकर जिहाद और प्रतिरोध का आह्वान किया। उनका कहना है कि वे इस संघर्ष में ईरान का साथ देंगे।

चीन:
चीन की सरकारी मीडिया ने अमेरिका की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या अमेरिका अब वही गलती दोहरा रहा है जो उसने इराक में की थी? सरकारी चैनलों ने इस हमले को “अविवेकपूर्ण और अस्थिरता बढ़ाने वाला कदम” करार दिया।