जलगाँव (अफगानिस्तान)
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि पूर्वी अफगानिस्तान में आए भीषण भूकंप से हताहतों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है। तालिबान प्रशासन के अनुसार मंगलवार तक मौतों का आंकड़ा 1,400 पार कर गया है, जबकि 3,000 से अधिक लोग घायल हैं।
तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने बताया कि ये आंकड़े सिर्फ कुनार प्रांत के हैं। रविवार रात 6.0 तीव्रता के भूकंप ने कई प्रांतों को हिला दिया, जहाँ मिट्टी और लकड़ी से बने कच्चे घर ज़मीनदोज़ हो गए और लोग मलबे में दब गए।
कठिन भूभाग से बचाव कार्य में बाधा
पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में राहत व बचाव कार्य मुश्किल हो रहे हैं। तालिबान प्रशासन को ऐसे स्थानों पर, जहाँ हेलीकॉप्टर नहीं उतर सकते, घायल लोगों को निकालने के लिए दर्जनों कमांडो हवाई मार्ग से भेजने पड़े।
बचाव एजेंसी सेव द चिल्ड्रेन ने बताया कि उसकी टीम को भूस्खलन से कटे गाँवों तक पहुँचने के लिए 19 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा और स्थानीय लोगों की मदद से वे पीठ पर मेडिकल उपकरण लेकर पहुँचे।
इस बीच, अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार मंगलवार को 5.2 तीव्रता का आफ्टरशॉक भी आया। हालांकि किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है।
“समय से दौड़” – संयुक्त राष्ट्र
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के समन्वयक इंद्रिका रतवट्टे ने कहा कि यह “समय के खिलाफ दौड़” है। जिनेवा में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा—
“अफगान जनता पहले से ही कई संकटों से जूझ रही है। उनकी सहनशक्ति पूरी तरह थक चुकी है। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तुरंत आगे आना चाहिए। यह जीवन और मौत का सवाल है।”
यह 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद तीसरा बड़ा भूकंप है। देश पहले से ही घटती अंतरराष्ट्रीय सहायता, कमजोर अर्थव्यवस्था और ईरान व पाकिस्तान से जबरन लौटाए गए लाखों लोगों के संकट से गुजर रहा है।
रतवट्टे ने कहा कि मिट्टी और लकड़ी के घर गिरने पर छतें सीधे लोगों पर आ गिरीं। भूकंप रात में आया जब लोग सो रहे थे, इसलिए हताहतों की संख्या और बढ़ने की आशंका है।
धीरे-धीरे पहुँच रही मदद
तालिबान सरकार, जिसे सिर्फ रूस मान्यता देता है, ने अंतरराष्ट्रीय सहायता की अपील की है। लेकिन दुनिया के अन्य संकटों और दानदाताओं के घटते बजट के कारण अफगानिस्तान तक मदद पहुँचने में कठिनाई हो रही है।
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी आपात कोष से 5 मिलियन डॉलर जारी किए हैं, जिसे अफगानिस्तान ह्यूमैनिटेरियन फंड से उतनी ही राशि से मिलाया जाएगा। यूएन ने 25 आकलन दल तैनात किए हैं और प्रभावित क्षेत्रों में कंबल व सोलर लैम्प जैसी जरूरी सामग्री भेजी है। प्राथमिक ज़रूरतें आपातकालीन आश्रय, दवाइयाँ, पीने का पानी और खाद्य सहायता हैं।
ब्रिटेन ने 1 मिलियन पाउंड की मदद का वादा किया है, जो मानवीय एजेंसियों को जाएगी, तालिबान सरकार को नहीं। यूरोपीय संघ 130 टन आपूर्ति और 1 मिलियन यूरो की मदद भेज रहा है। संयुक्त अरब अमीरात, भारत और चीन सहित कई देशों ने भी राहत सहायता देने का ऐलान किया है।
लेकिन तालिबान की महिलाओं और लड़कियों को लेकर कठोर नीतियों के कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मदद की इच्छा कमज़ोर है। अमेरिका समेत कई देशों ने पहले ही अफगानिस्तान के लिए अपनी सहायता में कटौती की थी।
स्वास्थ्य सेवाएँ चरमराईं
यूएन मानवीय मामलों के उप प्रमुख केट कैरी ने कहा कि 420 से अधिक स्वास्थ्य केंद्र बंद या निलंबित हो चुके हैं, जिनमें से 80 पूर्वी क्षेत्र यानी भूकंप प्रभावित इलाकों में हैं।
“नतीजा यह है कि बाकी बचे केंद्र अत्यधिक दबाव में हैं, आवश्यक दवाइयों और स्टाफ की भारी कमी है। यह तब और खतरनाक है जब पहले 24 से 72 घंटे में आपातकालीन इलाज सबसे अहम होता है,” उन्होंने कहा।
तालिबान प्रशासन ने कुनार में राहत शिविर स्थापित किए हैं और दो केंद्र बनाए हैं जहाँ घायलों को ले जाने, मृतकों के अंतिम संस्कार और जीवित बचे लोगों के बचाव का समन्वय किया जा रहा है।