गाज़ा पट्टी में इज़रायली सेना की नाकेबंदी के चलते हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं। आम लोग भूख और भयानक मानवीय संकट से जूझ रहे हैं। भोजन की भारी किल्लत के बीच कई देशों ने राहत सामग्री को हवाई जहाज़ से गिराना शुरू किया है, लेकिन यह तरीका ज़मीनी हकीकत में ज़्यादा असरदार साबित नहीं हो रहा। न केवल खाना लोगों तक ठीक से नहीं पहुँच पा रहा, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी बेहद खराब है।
इसी बीच सोशल मीडिया पर एक हृदयविदारक वीडियो सामने आया है, जिसमें गाज़ा का एक आम नागरिक पैराशूट से गिरे एक राहत पैकेट के पीछे दौड़ता है। जब वह पैकेट तक पहुँचता है, तो उसे सिर्फ़ आधा पैकेट बासी रोटी मिलती है। वह व्यक्ति अपने मोबाइल कैमरे पर कहता है –"मुझे एक पैराशूट और सिर्फ़ आधा पैकेट ब्रेड मिला है। ईश्वर साक्षी है, मैं सच कह रहा हूँ – ये सिर्फ़ आधा पैकेट है, और वह भी बासी लेबनानी ब्रेड। मैं सुबह से राहत का इंतज़ार कर रहा था।"
वीडियो में एक अन्य बुज़ुर्ग व्यक्ति भी दिखाई देता है, जो रोते हुए कहता है –"मेरे परिवार के छह लोग शहीद हो गए हैं। मैं 65 साल का हूँ, डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर का मरीज़ हूँ। मुझे दिल का दौरा भी पड़ा था। मैं यहाँ सिर्फ़ एक किलो आटे की उम्मीद लेकर आया था, लेकिन कुछ नहीं मिला। मैं अपने बीवी-बच्चों का पेट नहीं भर पा रहा हूँ। गाज़ा में जो हो रहा है, वह पूरी इंसानियत के ख़िलाफ़ है।"
इसके बाद वह व्यक्ति भावुक होकर कहता है – "ईश्वर हमारे साथ है।"
स्थिति की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस हफ्ते एक नर्स की मौत उस समय हो गई जब राहत सामग्री का भारी पैकेट सीधे उसके सिर पर गिर गया। वहीं कुछ अन्य राहत सामग्री गलती से एक शरणार्थी शिविर में जा गिरी, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई।
यह पूरा घटनाक्रम न केवल गाज़ा की भयावह हालत को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि राहत पहुँचाने की मौजूदा व्यवस्था कितनी असंगठित और असमर्थ है। ज़रूरत है ऐसे मानवता-सम्मत समाधान की, जो इस दर्दनाक संकट को जल्द से जल्द समाप्त कर सके।