लाहौर रैली में इमरान खान ने फिर भारत को सराहा, बोले-नई दिल्ली का निर्णय अपने लोगों की बेहतरी के लिए

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 22-04-2022
लाहौर रैली में इमरान खान ने फिर भारत को सराहा
लाहौर रैली में इमरान खान ने फिर भारत को सराहा

 

आवाज द वाॅयस /इस्लामाबाद 
 
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर रूस से तेल आयात करने पर भारत की विदेश नीति की सराहना करते हुए कहा कि ‘‘नई दिल्ली का निर्णय अपने लोगों की बेहतरी के लिए है.‘‘

लाहौर में एक रैली में बोलते हुए, इमरान खान ने कहाः ‘‘भारत, जो संयुक्त राज्य अमेरिका का रणनीतिक साझेदार है, रूस से तेल आयात कर रहा है. कह रहा है कि उसके फैसले उनके लोगों की बेहतरी पर आधारित हैं. लेकिन हमारी विदेश नीति है अन्य लोगों की बेहतरी के लिए.‘‘ 
 
इससे पहले मार्च में इमरान खान ने माना था कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है और लोगों की भलाई के लिए है.खैबर पख्तूनख्वा के मलकंद इलाके में एक जनसभा के दौरान इमरान खान ने कहा थाः ‘‘मैं अपने पड़ोसी देश की प्रशंसा करता हूं, क्योंकि उनकी हमेशा एक स्वतंत्र विदेश नीति रही है.
 
आज भारत उनके (अमेरिका) गठबंधन में है और वे क्वाड का हिस्सा हैं. भारत प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल आयात कर रहा है क्योंकि उनकी नीति लोगों की भलाई के लिए है.‘‘अपने रूस दौरे की वजह को सही ठहराते हुए इमरान खान ने कहा कि वह मास्को गए थे ताकि पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई पर काबू पाया जा सके.
 
लाहौर रैली में उन्होंने कहा, ‘‘मैं रूस गया था क्योंकि रूस ने हमें 30 प्रतिशत की छूट पर तेल दिया था.‘‘पीटीआई अध्यक्ष ने पहली बार दावा नहीं किया कि वह पाकिस्तान के लिए एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करने के कारण सत्ता से बाहर हुए हैं. पहले वह कहते रहे हैं कि  अंतरराष्ट्रीय शक्तियों द्वारा पसंद नहीं किए जाने के कारण सत्ता से बाहर कर दिया गया.
 
उन्होंने वैश्विक ताकतों पर स्थानीय ‘‘मीर जाफर्स और मीर सादिकों के साथ दूसरों के बीच‘‘ अपनी सरकार को समाप्त करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘‘जब अर्थव्यवस्था शूटिंग कर रही थी, निर्यात रिकॉर्ड उचाई पर था - और यह सब ऐसे समय में था जब कोरोनोवायरस कहर बरपा रहा था. ‘‘
 
इमरान खान ने केबलगेट मुद्दे की व्याख्या करते हुए, मध्य और दक्षिण एशिया के लिए अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू द्वारा अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत को धमकी देने के अपने आरोप को दोहराते हुए कहा कि अमेरिकी अच्छी किताबों में वापस आने के लिए खान को सत्ता से बाहर कर दिया जाना चाहिए.
 
उन्होंने कहा, ‘‘हमने ऐसा कौन सा अपराध किया था जिसे माफ करना जरूरी था? क्या हम रूस गए थे? या हमने कहा था कि हम सैन्य ठिकाने नहीं देंगे (अमेरिका को)? इमरान ने सवाल किया, लाहौर याद रखे, जहां से उन्हें ये बुरी आदतें मिलीं. क्यों नहीं वे भारत से भी यही पूछते हैं?‘‘ 
 
खान ने कहा कि विदेशी ताकतें उन्हें चीन के साथ व्यापार को बढ़ावा देना पसंद नहीं कर रही थीं.अपदस्थ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘चूंकि उन्हें ये सब चीजें पसंद नहीं थीं, इसलिए एक साजिश रची गई. लेकिन मीर जाफर और मीर सादिक के समर्थन के बिना कोई भी साजिश सफल नहीं हो सकती.‘‘
 
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार - जिसमें तीन कठपुतली, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी और जेयूआई-एफ प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान शामिल हैं - ने विदेशी साजिश का पूरा समर्थन किया.
 
खान ने दावा किया कि उनकी सरकार को उस समय सत्ता से हटाया गया  जब देश प्रगति कर रहा था.खान ने कहा, ‘‘बेरोजगारी का स्तर अपने सबसे निचले स्तर पर था. हम सभी से आगे थे. हमारी सरकार ने भी एक अनुकरणीय तरीके से कोरोनोवायरस को संभाला क्योंकि हमने अपने गरीबों की जान और रोजगार को बचाया.‘‘