स्पैम संदेशों की आसान पहचान के लिए एसएमएस शीर्षकों में सांकेतिक अक्षर लगाना शुरू

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 15-07-2025
Encoding of SMS headers introduced for easy identification of spam messages
Encoding of SMS headers introduced for easy identification of spam messages

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

 
मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए अब वास्तविक और स्पैम एसएमएस के बीच अंतर कर पाना आसान होगा. इसकी वजह यह है कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने एसएमएस भेजने वाली संस्थाओं के नाम के साथ कुछ प्रतीकात्मक प्रत्यय लगाने शुरू कर दिए हैं.
 
दूरसंचार कंपनियों के निकाय सीओएआई ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के सदस्यों में रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया शामिल हैं.
 
सीओएआई ने एक बयान में कहा कि स्पैम संदेश भेजने वाले अब ओवर-द-टॉप यानी इंटरनेट मैसेजिंग ऐप का रास्ता अपनाने लगे हैं जिससे स्पैम और धोखाधड़ी वाले संदेशों की जांच के लिए सख्त उपाय लागू करने का उद्देश्य ही विफल हो जाता है.
 
इसे ध्यान में रखते हुए उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए एसएमएस के शीर्षक पर ऐसे सांकेतिक अक्षर लगाए गए हैं जिन्हें देखकर यह समझा जा सकता है कि वह किस तरह का संदेश है.
 
सीओएआई के महानिदेशक एस पी कोचर ने कहा, "सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने एसएमएस हेडर पर प्रचारात्मक ('पी'), सेवा-संबंधी ('एस'), लेनदेन संबंधी ('टी') और सरकारी ('जी') संचार प्रत्यय प्रणाली लागू कर दी है. दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम (टीसीसीसीपीआर) ने 12 फरवरी, 2025 को टीसीसीसीपी विनियमन में संशोधन के जरिये इसे अनिवार्य कर दिया था."
 
कोचर ने कहा कि इस प्रत्यय प्रणाली के लागू होने से पारदर्शिता और उपभोक्ता संरक्षण में वृद्धि हुई है क्योंकि इस तरह के वर्गीकरण से ग्राहकों को आने वाले संदेशों की प्रकृति को आसानी से पहचानने, स्पैम को कम करने, अनुपालन को मजबूत करने और समग्र विश्वास एवं सुविधा में सुधार करने में मदद मिलती है.
 
उन्होंने कहा, "उपयोगकर्ता एक नजर में ही प्रचार वाले, सेवा-संबंधी, लेनदेन संबंधी और सरकारी संदेशों को आसानी से पहचान और उनके बीच फर्क कर सकते हैं। प्रचार वाले संदेशों ('पी') को स्पष्ट रूप से चिह्नित करने से ग्राहकों को अवांछित विपणन संदेशों से बचने में मदद मिलती है, जिससे स्पैम को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है."
 
इसी तरह, ग्राहक वास्तविक लेनदेन संबंधी ('टी') और सेवा-संबंधी ('एस') संदेशों को भी आसानी से पहचान सकते हैं। ऐसा होने पर उनके धोखाधड़ी या घोटाले के शिकार होने की आशंका कम हो जाती है.
 
हालांकि, उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि स्पैमर और घोटालेबाज लगातार गैर-विनियमित मैसेजिंग ऐप का सहारा ले रहे हैं. कोचर ने कहा, "ओटीटी संचार सेवाओं के इस्तेमाल से स्पैम और धोखाधड़ी वाले संदेशों में वृद्धि को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं. अगर संचार परिवेश का बड़ा हिस्सा गैर-विनियमित रहता है तो किसी भी सहमति ढांचे या स्पैम पर काबू पाने वाले उपाय की सफलता अधूरी है."
 
उन्होंने कहा कि ओटीटी ऐप का विनियमन न होना दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और ओटीटी संचार सेवाओं के बीच एक असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाता है, जिससे गोपनीयता, पता लगाने की क्षमता और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ रही हैं.