मोहम्मद अकरम/ मोतिहारी, बिहार
मुस्लिम लड़कियां को सही मार्गदर्शन मिले तो दुनिया के हर मैदान में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा सकती हैं. उनके कुछ कामों से ऐसा लगने लगा है कि मुस्लिम लड़कियां बदलते हालात के मुताबिक़ हालात से मुकाबला करना चाहतीं हैं.
बिहार के मोतिहारी जिले की एक मुस्लिम लड़की जैनब बेगम न सिर्फ समाज के लिए मिसाल बनीं हैं, बल्कि अपने पैरों पर खड़े होने के साथ महिलाओं को रोजगार दे रही हैं.
मोतिहारी ज़िले के ढाका थाना के तहत बरहरवा फतेह मोहम्मद गांव के रहने वाले मोहम्मद अंसारूल हक़ की 25 वर्षीया बेटी जैनब बेगम मोतिहारी शहर के छतौनी इलाके में मशरूम की खेती करती हैं.
नालंदा विश्वविद्यालय से उर्दू भाषा में एमए की डिग्री हासिल करने वाली जैनब ने आवाज-द वॉयस से बात करते हुए बताया कि उन्होंने एमए के बाद संविदा पर सरकारी नौकरी की, लेकिन कोरोना लॉकडाउन में नौकरी से हाथ धोना पड़ा. लॉकडाउन के बाद वह नौकरी को लेकर परेशान रहने लगी थीं.
पेश है उनसे खास बातचीत के मुख्य अंशः
सवालः मशरूम की खेती के बारे में ख्याल कब आया?
जैनबः एक बार जब मैं पटना गई तो वहां लोगों को मशरूम की खेती करते देखा, उसके बाद मेरे अंदर भी मशरूम की खेती की इच्छा हुई. पहले अपना काम घर पर (गांव) शुरू किया जिसे बाद में मोतिहारी ले आना पड़ा.
सवालः घरों की महिला इस काम को कैसे कर सकती हैं?
जैनबः जो महिलाएं घरों में काम करती हैं वह भी आसानी से मशरूम की खेती कर सकती हैं, घरों के छतों पर कम जगहों में बीज और खाद-भूसा का खाद तैयार करके कर सकती हैं.
सवालः किसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा?
जैनबः मैं जब इस काम को घर पर शुरू किया तो पड़ोस और रिश्तेदार बोलने लगे कि पढ़ाई-लिखाई करके यही काम करेगी? मशरूम को देखकर लोग मजाक उड़ाने लगे, मैं हमेशा परेशान रहती थी कि क्या करूं? फिर मैं कुछ हजार रुपये के साथ मोतिहारी पहुंची और काम को शुरू किया. शुरुआती वक्त में दिक्कत हुई लेकिन मैं हिम्मत नहीं हारी और अब मशरूम की खेती के साथ प्रशिक्षण देती हूं, कई महिलाओं को रोजगार भी दे रहीं हूं.
सवालः आपके द्वारा उगाया मशरुम कहां कहां कहां जा रहा हैं?
जैनबः मेरे द्वारा लगाया मशरूम नेपाल जा रहा हैं, उसके इलावा पटना, लखनऊ जैसे बड़े शहरों में पहुंच रहा हैं, बाजार में इसकी मांग ज्यादा हैं, जिस पर मैं काम कर रही हूं.
सवालः इस काम के लिए सरकार की तरफ से किसी तरह की मदद मिली हैं?
जैनबः अभी तक हमें सरकारी मदद नहीं मिली हैं, हां एक कार्यक्रम में जिलाधिकारी और स्थानीय विधायक सह बिहार सरकार में मंत्री प्रमोद कुमार ने मदद करने की बात कही हैं.
सवालः जो मुस्लिम महिलाएं घरों में रहती हैं उसके बारे में आपका क्या ख्याल हैं?
जैनबः मुस्लिम समाज में महिलाओं को लेकर जो परंपरा पुराने समय से हैं वह आज भी बरकरार हैं, पढ़ाई के लिए लड़कियों को घरों से बाहर भेजने पर अब भी माता-पिता कतराते हैं. हमारा मानना है कि मुस्लिम समाज को अपनी धार्मिक पहचान के साथ मौजूदा परिस्थितियों के साथ आगे बढ़ने की जरूरत हैं.
सवालः मशरूम के द्वारा आमदनी कितनी हैं और इसके भविष्य को कैसे देखती हैं?
जैनबः मैं फिलहाल 30-40 हजार रुपये महीने कमाती हूं, जैसे जैसे काम को आगे बढ़ाऊगी आमदनी में इजाफा होगा, भविष्य उज्जवल हैं, पहले लोगों को मशरूम के बारे में जानकारी नहीं थी लेकिन जैसे जैसे जानकारी हो रही हैं इस की मांग बढ़ रही हैं. मेरा सपना है कि बाजार में मेरा अपना ब्रांड हो, मैं गांव की महिलाओं को रोजगार दे सकूं.