बिहार की बेटी फलक खान की क्यों हो रही चर्चा, क्या है ऑस्कर नॉमिनेट मूवी ‘चम्पारण मटन’की कहानी ?

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 01-08-2023
बिहार की बेटी फलक खान की क्यों हो रही चर्चा, क्या है ऑस्कर नॉमिनेट मूवी ‘चम्पारण मटन’की कहानी?
बिहार की बेटी फलक खान की क्यों हो रही चर्चा, क्या है ऑस्कर नॉमिनेट मूवी ‘चम्पारण मटन’की कहानी?

 

सेराज अनवर/पटना

बिहार की मिट्टी की ख़ासियत है कि यहां के फ़नकार फलक पर पहुंचने का माद्दा रखते हैं.इन दिनों मुज़फ़्फ़रपुर की बेटी फलक खान की चर्चा है. इसकी फ़िल्म ऑस्कर के स्टूडेंट अकेडमी अवॉर्ड्स 2023 के लिए नॉमिनेट हुई है.मूवी का नाम चम्पारण मटन है.

अमेरिका की अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज के द्वारा आयोजित अकेडमी अवॉर्ड्स यानी ऑस्कर दुनिया के सबसे सम्मानित अवॉर्ड्स में से एक है,जिसे जीतने का नहीं, बल्कि इससे जुड़ने का सपना भी सिने जगत से जुड़े हर सितारे का होता है.मुज़फ़्फ़रपुर की रहने वाली अदाकारा का नाम ऑस्कर अवॉर्ड से जुड़ना वाक़ई बिहार और देश के लिए गर्व की बात है.

इस बार भारत की ओर से कई सितारों और फिल्मों का नाम ऑस्कर अवॉर्ड की नॉमिनेशन लिस्ट में शामिल है,जिसमें से एक अभिनेत्री फलक खान स्टारर फिल्म 'चम्पारण मटन' भी है.स्टूडेंट अकेडमी अवॉर्ड्स को चार कैटेगरी में बांटा गया है.फलक खान की शॉर्ट फिल्म 'चम्पारण मटन' नैरेटिव कैटेगरी में सिलेक्ट हुई है. नैरेटिव समेत तीन कैटेगरी में शामिल होने वाली 'चम्पारण मटन' पहली भारतीय फिल्म भी बन गई है. 

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कौन हैं फलक खान ?

अचानक लाइमलाइट में आईं 'चम्पारण मटन' की लीड हीरोइन फलक खान बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं.फलक ने इंजीनियरिंग कॉलेज एमआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है.इसके बाद उन्होंने मुंबई से एमबीए भी किया.

एमबीए करने के बाद उन्हें फिल्में करने का शौक हुआ.अब वह अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही हैं. मुंबई में रहते हुए फलक ने डायरेक्टरिंग,प्रोडक्शन,एडिटिंग का कोर्स किया और एफके फिल्म प्रोडक्शन के जरिए छोटी-मोटी फिल्मों का कार्य शुरू किया. 

वो मिस महाराष्ट्र (2017) की फाइनलिस्ट भी रह चुकी हैं. कांस फिल्म फेस्टिवल के लिए भी चयनित हुई हैं. एलएन मिश्रा यूनिवर्सिटी के  बीएड के प्राचार्य डा.एआर खान व डा.कौसर अजीज की पुत्री फलक खान बताती हैं कि इतना बड़ा मुकाम पाने के लिए संघर्ष और माता-पिता का आशीर्वाद ही काम देता है.

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क्या है चम्पारण मटन की कहानी ?

पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के रंजन कुमार ने 'चम्पारण मटन' का निर्देशन किया है. बिहार के लोगों की कभी हार नहीं मानने की कहानी अभिनेत्री फलक बताती हैं.आधे घंटे की यह फिल्म बिहार के लोगों की अपने रिश्तों के प्रति ईमानदारी और किसी भी हाल में हार न मानने की कहानी है.

लॉकडाउन के बाद नौकरी छूट जाने पर गांव लौटने और पत्नी की इच्छा पूरी करने की कोशिश में लगे एक परिवार के इर्द-गिर्द इस फिल्म की कहानी है.बेरोजगारी के दौर में उसकी पत्नी मटन खाने की इच्छा जाहिर करती है.

एक परिवार जिसके लिए दाल-चावल तक की व्यवस्था करना मुश्किल है, उसके लिए मटन खाने की रस्साकसी को फिल्म उभारती है.12 दिन में बनी फिल्म की शूटिंग महाराष्ट्र के पुणे से 150 किमी दूर बारामती में की गई है.

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16 फिल्मों से है मुकाबला

कहानी की संवेदनशीलता हर किसी के दिल को छू रही है.यही इसके स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड में पहुंचने की वजह है. इस फिल्‍म में चंदन मुख्‍य भूमिका में हैं जबकि मुजफ्फरपुर की फलक खान के साथ प्रदेश के करीब 10 कलाकार पर्दे पर बिहार की कहानी बता रहे हैं.

इस फिल्म का निर्देशक हाजीपुर के रंजन कुमार ने किया है.यह फिल्म नैरेटिव कैटेगरी में सेमीफाइनल में चुनी गई 16 फिल्मों से मुकाबला करेगी. नैरेटिव श्रेणी में अर्जेंटीना,जर्मनी,बेल्जियम जैसे देशों की फिल्में चुनी गई हैं.

चंपारण मटन नैरेटिव समेत अन्य तीन श्रेणियों में शामिल भारत की एकमात्र फिल्म है.स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों से फिल्म बनाना का काम पढ़ रहे छात्रों की फिल्मों को दिया जाता है.यह ऑस्कर की ही शाखा है. यह अवार्ड 1972 से दिए जा रहे हैं. इस अवार्ड से पुरस्कृत कई फिल्में ऑस्कर से नवाजी जा चुकी हैं.

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बेटी पर बाप को है नाज़

ब्रह्मपुरा निवासी फलक के पिता डॉ. एआर खान और मां डॉ. अजीज खान को बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व है. मेंहदी हसन चौक निवासी फलक खान के पिता मैनेजमेंट कॉलेज में प्राचार्य हैं और माता भी प्रोफेसर हैं. इनका रोजाना का ज्यादातर वक्त शिक्षण कार्यों में बितता है.

बेटी की फिल्म अवार्ड की दौड़ में शामिल होने पर माता-पिता बहुत खुश हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया के सामने देश का मान बढ़ाया है, ऐसी बेटी पर नाज है.अभिनेत्री फलक खान ने कहा कि बिहार तो व्यंजनों के लिए मशहूर है, पर लजीज चीजों तक सबकी पहुंच तक नहीं.

इसके बावजूद पत्नी की ख्वाहिश पूरी करने के लिए पति कुछ भी करने को तैयार है.ऐसे में मटन खाने के लिए पैसों के जुगाड़ का संघर्ष और मटन बनाने की प्रक्रिया को हमने कम समय में पर्दे पर दिखाया है.