मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
टीवी शो ‘मास्टर शेफ’ से चर्चित विकास खन्ना रमजान 2024 में भी सुर्खियों में हैं. इसकी वजह है उनका हर रमजान एक रोजा रखना. लंबे समय से चला आ रहा यह सिलसिला हर रमजान ताजा हो जाता है.दरअसल, रमजान में रोजे रखने के पीछे एक प्रेरक कहानी है. हर रमजान सेलिब्रेटी शेफ विकास खन्ना न केवल रोजा रखते, पुरानी कहानी को भी याद करते हैं, सोशल मीडिया पर भी उनकी कही बातें वायरल होती हैं. इस समय भी यह वायरल हो रही हैं.
विकास खन्ना ने पहली बार अपनी इस कहानी को अनुपम खेर के टीवी शो ‘कुछ भी हो सकता है’ के दौरान साझा किया था. उन्होंने बताया था कि हर रमजान रोजा रखने के पीछे की वजह क्या है. कहते हैं यह सद्भावना बढ़ाने की कहानी है.दरअसाल, इस कहानी के तार बाबरी मस्जिद के ध्वस्त होने और मुंबई दंगे से जुड़ी है. विकास खन्ना की जुबानी ही सुनिए जो उन्होंने अनुपम खेर के टीवी कार्यक्रम में सुनाया था.
‘‘ एक होटल था वहां पर- शीरॉक शेरटन. 1992में मुझे मौका मिला यहां पर काम करने का. रूम सर्विस में. दंगों के दौरान. मैं आया बॉम्बे 1नवंबर को, होटल में जॉइन किया और दंगे शुरू. पहली बार घर से निकले बच्चों को इतना पता भी नहीं होता. मैं शीरॉक शेरटन में काम कर रहा हूं और क्या हुआ कि दंगे हुए तो कर्फ्यू लग गया था. होटल का स्टाफ बाहर नहीं जा सकता. क्योंकि आपको सारे मेहमानों को देखना होता है. उनका ध्यान रखना होता है. तो होटल ने हमसे कहा कि बाहर नहीं जाना. क्योंकि नया स्टाफ अंदर आ नहीं सकता. तो रूम सर्विस का सामान खत्म होना शुरू हुआ. रसोई और फ्रिज का सामान खत्म होना शुरू हो गया. मेरा काम था अंडे, दालें, जो चीजें स्टोरेज में होती हैं, वही बनाना. किसी ने कहा, घाटकोपर में आग लगी है. बहुत लोग मर रहे हैं घाटकोपर में. मेरा भाई घाटकोपर में रहता था. मैंने वहीं यूनिफॉर्म फेंकी. होटल से निकल गया और बोला कि मैं जा रहा हूं घाटकोपर. मेरा भाई घाटकोपर में है. कह रहे हैं कि बिल्डिंग्स को आग लग रही हैं वहां पर. ’’
— Vikas Khanna (@TheVikasKhanna) June 11, 2018
विकास खन्ना आगे बताते हैं-
‘‘ वहां से सप्लाई वाले ट्रक जा रहे थे. मैंने उनमें से एक को बोला कि मुझे खार स्टेशन तक छोड़ दोगे. वो बोले, हां. खार स्टेशन पहुंचा, तो वहां कुछ है ही नहीं. ट्रेनें नहीं चल रही थीं. तो वहां से पता करते-करते मैंने घाटकोपर की तरफ चलना शुरू किया. मैंने देखा भीड़ को. कि दंगा हो रहा है. वहां एक क्रॉस सेक्शन था. वहां पर एक मुस्लिम परिवार ने कहा- क्या कर रहे हो बेटा? मैंने कहा- मेरा भाई घाटकोपर में है. रास्ता नहीं समझ आ रहा है मेरे को. मेरे को तब चलते-चलते दो से ढाई घंटे हो चुके थे. उस मुस्लिम परिवार ने मुझसे कहा. अंदर आ यार, भीड़ आ रही है. मैं उनके घर के अंदर आया. उसी समय भीड़ उनके घर पर आ गई पूछने के लिए. कि ये (यानी विकास खन्ना) कौन है. उन्होंने कहा, बेटा है. मुझे अच्छी तरह याद है. उनके घर में उस समय दो बेटे, एक बेटी और जंवाई था. उन्होंने कहा, ये मेरा बेटा है. अभी बाहर से आया है. भीड़ ने पूछा- मुस्लिम है? उन्होंने कहा- हां. मैं आज तक वो दिन नहीं भूला. मैं डेढ़ दिन तक उनके पास रहा. मुझे नहीं याद कि वो कौन थे. मुझे उनके घर का रास्ता भी याद नहीं है. उन्होंने अपने जंवाई को भेजा पता करने के लिए. कि मेरा भाई ठीक है. उसने आकर कहा कि ठीक है. वो मेरे जिंदगी की सबसे बड़ी यादों में से एक है. डेढ़ दिन तक उनके घर पर रहना. फर्श पर सोना. और वो मेरी हिफाजत कर रहे थे. मुझे बचा रहे थे. कह रहे थे कि तू हमारा बच्चा है. 1992से लेकर आज तक मैं हर रमजान में एक रोजा रखता हूं. कि उनका परिवार ठीक रहे. ’’
इस रमजान भी उनकी यह कहानी चर्चा में है. हालांकि, 32सालों में बहुत कुछ बदला है. बकौल विकास खन्ना के जिन्हांेने उनकी जान बचाई, उस परिवार की उन्होंने बाद में पहचान कर ली. विकास के अनुसार, एक बार वो उक्त परिवार के साथ रोजा इफ्तार भी कर चुके हैं.
अब देश के इस चर्चित शेफ के बारे में थोड़ा जान लेते हैं.