गुलाम कादिर / नागपुर (महाराष्ट्र)
नागपुर की बाहरी सीमा पर बसा एक छोटा सा -झुग्गी गाँव है पितेसुर. यहाँ के अधिकांश परिवार दिहाड़ी मज़दूर और घरेलू कामगार के रूप में गुज़ारा करते हैं. हर माता-पिता की तरह, ये भी अपने बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य का सपना देखते हैं, लेकिन गरीबी और अशिक्षा अक्सर इन सपनों के आड़े आ जाती है. कई बच्चे बीच में ही स्कूल छोड़ देते हैं, क्योंकि उनके माता-पिता ट्यूशन या अतिरिक्त कोचिंग का खर्च नहीं उठा पाते.
इस निराशा के बीच, पितेसुर गाँव के कुछ निवासियों ने उम्मीद की पहली किरण जगाई. उन्होंने अपने छोटे-छोटे योगदानों से एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) की नींव रखी— जिसका नाम है स्टार यूनिटी एजुकेशनल ट्रस्ट. यह उनकी सामुहिक इच्छाशक्ति का प्रमाण है.
सिर्फ़ दो साल के भीतर, इस पहल ने ज़मीन पर एक ठोस आकार ले लिया है. अब उनके पास अपनी छोटी सी इमारत है, तीन समर्पित शिक्षक हैं और 80 बच्चे हर रोज़ नई उम्मीद के साथ यहाँ पढ़ने आते हैं. इन बच्चों के चेहरों पर दिखती सीखने की ललक ही इस प्रयास की सबसे बड़ी सफलता है. हालाँकि, हर महीने ट्रस्ट को अपने आवर्ती खर्चों (recurring expenses) को मैनेज करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है.
पितेसुर के इन निवासियों की अटूट प्रतिबद्धता ने एक बड़े संगठन का ध्यान खींचा। CSRE (Corporate Social Responsibility and Empowerment) ने इस ट्रस्ट के साथ हाथ मिलाया है.
शुरुआत में, CSRE ने एक शिक्षक का वेतन वहन करने की ज़िम्मेदारी ली. उन्हें लगातार मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान किया. केंद्र का दौरा करने, शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करने के बाद, CSRE ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला लिया है.
शुभ समाचार यह है कि CSRE ने अब पितेसुर केंद्र को दीर्घकालिक समर्थन (long-term support) के लिए गोद लेने का निर्णय लिया है. यह कदम इन 80 बच्चों के भविष्य को एक मजबूत सुरक्षा प्रदान करेगा और ट्रस्ट के संस्थापकों के अथक प्रयासों को एक बड़ी राहत देगा.
स्टार यूनिटी एजुकेशनल ट्रस्ट और CSRE की यह साझेदारी पितेसुर में एक शिक्षा क्रांति लाने की ओर अग्रसर है. अब, इस प्रेरणादायक कहानी को जारी रखने के लिए सहयोग की आवश्यकता है. अब एक डोनर या शिक्षक के रूप में आगे आने का आह्वान करते हैं. छोटा सा योगदान भी इन बच्चों की शिक्षा और उनके भविष्य को सुरक्षित करने में बहुत बड़ा अंतर ला सकता है.