कर्तव्य भवन: एक छत के नीचे सशक्त प्रशासन की नई शुरुआत

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 06-08-2025
Kartavya Bhawan: A new beginning of strong administration under one roof
Kartavya Bhawan: A new beginning of strong administration under one roof

 

अरुण कुमार दास/नई दिल्ली

प्रशासनिक कार्यप्रणाली को सुव्यवस्थित करने, मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने और जनता को सेवाएं प्रभावी ढंग से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने एक नया आधुनिक भवन परिसर – कर्तव्य भवन-03 – विकसित किया है. यह बहुमंजिला भवन गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई), कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT), पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय जैसे कई प्रमुख मंत्रालयों का नया कार्यस्थल होगा.

यह भवन सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है और दस प्रस्तावित कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (CCS) भवनों में से पहला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अत्याधुनिक परिसर का उद्घाटन किया है। दो अन्य भवन भी जल्द पूरे होने वाले हैं.

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कर्तव्य भवन-03 जनपथ स्थित पूर्व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की भूमि पर बनाए गए तीन भवनों के एक समूह का हिस्सा है. दो बेसमेंट और सात मंजिलों वाले इस भवन का कुल क्षेत्रफल 1.5 लाख वर्ग मीटर है. इसमें 1000 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और लगभग 150 प्रशिक्षित कर्मचारी भवन प्रबंधन की ज़िम्मेदारी संभालते हैं.

इस भवन को पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा दक्ष बनाने के लिए GRIHA-4 ग्रीन बिल्डिंग मानकों के अनुरूप डिज़ाइन किया गया है. इसमें डबल-ग्लेज़्ड कांच के अग्रभाग, छत पर सौर पैनल, सौर जल ताप प्रणाली, वर्षा जल संचयन, और आधुनिक HVAC (तापन, संवातन और वातानुकूलन) प्रणाली शामिल हैं. भवन में अपशिष्ट जल उपचार, ठोस कचरा प्रबंधन और ई-वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं.

सौर ऊर्जा की दृष्टि से, कर्तव्य भवन की छत पर लगे पैनल हर साल 5.34 लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन करेंगे, जबकि सौर वॉटर हीटर भवन की दैनिक गर्म पानी की आवश्यकताओं का एक चौथाई से अधिक हिस्सा पूरा करेंगे. भवन में ऊर्जा बचत के लिए मोशन सेंसर से युक्त एलईडी लाइटिंग, स्मार्ट लिफ्ट, और एक उन्नत ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली भी स्थापित की गई है.

इस नए भवन में गृह मंत्रालय ने पहले ही स्थानांतरित होकर काम शुरू कर दिया है, जबकि विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास, कार्मिक, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और एमएसएमई मंत्रालय भी जल्द ही इसमें स्थानांतरित हो रहे हैं.

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ये मंत्रालय पहले कृषि भवन, शास्त्री भवन, उद्योग भवन, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जैसी पुरानी इमारतों में स्थित थे, जिनका रखरखाव महंगा है और जो वर्तमान समय की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं.

कर्तव्य भवन के निर्माण का उद्देश्य न सिर्फ कार्यालयों का केंद्रीकरण करना है, बल्कि दक्षता, नवाचार और सहयोग को भी बढ़ावा देना है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसे “देश भर में फैले मंत्रालयों को एक छत के नीचे लाने की एक पहल” बताया है.

इस परियोजना के अंतर्गत नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक को राष्ट्रीय संग्रहालय में परिवर्तित करने की योजना है, जबकि अन्य कई कार्यालय भवनों को ध्वस्त कर नए CCS भवन बनाए जाएंगे. कुल 10 CCS भवन बनाए जाने हैं, जो कर्तव्य पथ के दोनों ओर इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक फैले क्षेत्र में होंगे.

वर्तमान में, CCS 1, 2 और 3 भवनों का 88% कार्य पूर्ण हो चुका है और इसे सितंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है. अन्य भवनों – जैसे CCS 6, 7 और 10 – पर भी निर्माण कार्य जारी है। शेष भवनों की योजनाएँ आगे शुरू की जाएंगी.

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गौरतलब है कि वर्ष 2021 में लार्सन एंड टुब्रो को ₹3,141.99 करोड़ की लागत से इस परियोजना का ठेका दिया गया था. सेंट्रल विस्टा मास्टरप्लान के तहत पहले ही राजपथ का पुनर्विकास कर उसका नाम कर्तव्य पथ रखा गया है, और नए संसद भवन का निर्माण भी वर्ष 2023 में पूरा हो चुका है. उपराष्ट्रपति एन्क्लेव बनकर तैयार हो चुका है, और प्रधानमंत्री के लिए नया आवास तथा कार्यालय का निर्माण कार्य प्रगति पर है.

कर्तव्य भवन एक नई प्रशासनिक सोच और भारत सरकार की भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया ऐसा परिसर है, जो तकनीक, पर्यावरण संरक्षण और बेहतर शासन के समन्वय का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है.