एक कब्रिस्तान ऐसा भी जहां दफनाए जाते हैं मुस्लिम देशों के लोगों के बेकार अंग

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 03-05-2024
There is also a cemetery where useless body parts of people from Muslim countries are buried.
There is also a cemetery where useless body parts of people from Muslim countries are buried.

 

मलिक असगर हाशमी/गुरुग्राम

सुनने में भले अटपटा सा लगे, पर है यह सोलह आने सच. दिल्ली से लगते मिलेनियम सि टी गुरूग्राम में यूं तो कब्रिस्तान की भारी कमी है, पर यहां के एक कब्रिस्तान में उन मरीजों के लिए खास व्यवस्थ है जिनके शरीर का कोई अंग किसी कारणवश काटना पड़ा. ऐसे अंग इस कब्रिस्तान में दफनाए जाते हैं.

यह अनोखा कब्रिस्तान गुरुग्राम के सेक्टर 56में स्थित है.इस कब्रिस्तान का नाम ‘अंजुमन बगिया’ है, जिसका संचालन गैर-लाभकारी संगठन हरियाणा अंजुमन चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जाता है.ट्रस्ट को इसके लिए तत्कालीन चैटाला सरकार ने 2004 में  2.4 एकड़ जमीन आवंटित की थी.

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‘अंजुमन बगिया’ की करीब 2000 लोगों के दफनाने की क्षमता है. यह कब्रिस्तान पूरी तरह हरा-भरा है और इसमें कई फलदार पेड़ लगे हुए हैं.कब्रिस्तान के एक हिस्से में ही ऑपरेशन के बाद बेकार अंगों को दफनाने की व्यवस्था है.हरियाणा अंजुमन चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से कब्रिस्तान में ही शवों के नहाने, कफन और दफन की व्यवस्था की जाती है.

ग्रुरूग्राम और आसपास के शहरों में मेदांता, फोर्टिस सहित कई मल्टिफेसिलीटी अस्पताल हैं, जिनमंे बड़ी संख्या में मुस्लिम देशों के मरीज इलाज के लिए आते हैं. हरियाणा अंजुमन चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन असलम खान ने बताया कि उनका कब्रिस्तान, उन सभी बड़े अस्पतालों की लिस्ट में है.

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इस्लाम में शरीर से अलग किए गए बेकार अंगों को दफनाने का हुक्म है. असलम खान आवाज द वाॅय से बातचीत में कहते हैं, विश्व के जिन मुस्लिमों में जहां जंग जैसी स्थिति है, वहां के बुरी तरह घायल मरीज इलाज के लिए दिल्ली-एनसीआर में आते हैं. इलाज के दौरान कई का अंग आॅपरेट कर शरीर से अलग करना पड़ता है. ऐसे मरीजों के तीमारदार उनके अंग दफनाने ‘अंजुमन बगिया’ में आते हैं.

असलम खान बातचीत में यह ब्योरा तो नहीं दे पाए कि पिछले दो दशकों में यहां कितने बेकार अंग दफनाए गए, पर उन्होंने यह जरूर बताया कि हर महीने दो-चार मामले जरूर आ जाते हैं. उनके अनुसार, अस्पतालों में आॅपरेशन के दौरान कई भारतीयों के भी अंग शरीर से अलग करने पड़ते हैं. उन मरीजों के भी अंग यहां दफनाने के लिए लाए जाते हैं.

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उनके अनुसार, गुरुग्राम और आसपास के शहरों में मुस्लिम कब्रिस्तान कई हैं, पर बेकार अंगों को दफनाने की खास व्यवस्था नहीं है. चूंकि ऐसे अंग संक्रमण के कारण आॅपरेट कर जिस्म से अलग किए जाते हैं, इसलिए अधिकतर कब्रिस्तान वाले अपने यहां इसे दफनाने से परहेज करते हैं. हालांकि, इसके विरोध की कहीं से ऐसी कोई खबर अब तक सामने नहीं आई है.

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