सऊदी साहित्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बजा आवाज द वाॅयस अरबी का डंका

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 09-05-2024
The voice of Arabic played in Saudi Literature International Conference
The voice of Arabic played in Saudi Literature International Conference

 

महबूब आलम / नई दिल्ली

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में आवाज द वाॅयस अरबी की वक्ताओं ने जमकर तारीफ की. यहां तक कहा गया कि कम समय में इस न्यूज वेबसाइट ने देश ही नहीं अरब देशों में अपनी अलग पहचान बनाई है.

नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अरब और अफ्रीकी अध्ययन केंद्र ने 7 से 8 मई तक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें ‘ आधुनिक सऊदी साहित्य पर चर्चा की गई.इस दो दिवसीय कार्यक्रम में 50 से अधिक शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, विशेषज्ञों और सऊदी अरबी साहित्य में रुचि रखने वालों, विभिन्न अरब देशों के प्रतिनिधियों तथा भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कई शोधकर्ताओं और अरबी साहित्य में रुचि रखने वालों ने शिरकत की.

सम्मेलन में आधुनिक सऊदी साहित्य और राष्ट्रीय पहचान सहित कई विषयों की समीक्षा की गई. इसके अलावा राष्ट्रीय, सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दे, सऊदी साहित्य के प्रसार में मीडिया और प्रौद्योगिकी का प्रभाव, सऊदी साहित्य में महिलाएं, बच्चों की पत्रकारिता- साहित्य और अन्य रोचक और महत्वपूर्ण विषयों पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे.

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अरब और अफ्रीकी अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रोफेसर डॉ. रिजवान रहमान ने मेहमानों और प्रतिभागियों का स्वागत किया. उन्होंने सम्मेलन के आयोजन में सहयोग देने के लिए ‘आवाज द वाॅयस’ की विशेष तौर से प्रशंसा की. इस मौके पर मौजूद ‘आवाज द वाॅयस’ के प्रधान संपादक आतिर खान और उनकी टीम को वक्ताओं ने सराहा .



श्री रिजवान ने इस दौरान,‘ आवाज द वाॅयस’ अरबी की तारीफ करते हुए कहा कि यह भारत में अपनी तरह की पहली व्यापक अरबी समाचार वेबसाइट है. रिजवान अल रहमान ने कहा कि समाचार वेबसाइट हाल में लॉन्च हुई और कम समय में अपनी खास जगह बना ली है.

अपने संबोधन में प्रोफेसर डॉ. मुजीबुर रहमान ने इस पर खुशी जाहिर की कि केंद्र ने अरबी भाषा और साहित्य की सेवा के लिए कई पहल किए हैं. पिछले कुछ वर्षों में केंद्र ने कई सम्मेलन और सेमिनार आयोजित किए. यहां तक कि केंद्र ने कोविड-19 महामारी के दौरान भी कई ऑनलाइन सम्मेलनों का आयोजित किया.

सम्मेलन के मुख्य विषय के महत्व के बारे में प्रोफेसर मुजीब अल-रहमान ने कहा कि सऊदी अरब साम्राज्य पिछले 50 वर्षों में न केवल इस्लाम और मुसलमानों के लिए बल्कि आधुनिक अरबी साहित्य के लिए भी एक गंतव्य के रूप में उभरा है.सऊदी ने कई वैश्विक पहल करके अरबी भाषा और अरब संस्कृति के विस्तार के लिए महान प्रयास किए हैं और यह सिलसिला जारी है. अरब और भारत में अरबी भाषा केंद्रों के लिए समर्थन और सहयोग जारी है.”

सम्मेलन में सऊदी अरब साम्राज्य में उत्तरी सीमा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अल-शरीफ मुहम्मद राधी नाजा ने बतौर मुख्य वक्ता भाग लिया.उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने सऊदी साम्राज्य में कविता और गद्य में आधुनिक अरबी साहित्य की वर्तमान स्थिति पर अपने विचार रखे.

इस मौके पर ‘ आवाज द वाॅयस’ के प्रधान संपादक आतिर खान ने भारत-अरब संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय-अरब संबंध पूर्व-इस्लामिक काल से अस्तित्व में है. समय बीतने के साथ, विभिन्न क्षेत्रों में संबंध मजबूत बने हुए हैं. उन्हांेने यह भी कहा कि समाचार वेबसाइट आवाज द वाॅयस भारत में सर्वश्रेष्ठ अरबी भाषा की समाचार वेबसाइट बनकर उभरी है.

उद्घाटन सत्र में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति रही. इसमें भारत में उप सऊदी राजदूत जादी नायेफ अल-रक्कास, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. दीपेंद्र नाथ दास, भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन स्कूल के कार्यवाहक डीन, प्रोफेसर डॉ. अखलाक अहं आदि मौजूद रहे. इसके अलावा कई अरबी भाषा के प्रोफेसर, भारत के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत की.


दोन दिवसीय परिषदेचे पोस्टर

शैक्षणिक सत्रों की सह-अध्यक्षता जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, जाकिर हुसैन कॉलेज, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, असम विश्वविद्यालय, गुवाहाटी विश्वविद्यालय, कालीकट जैसे विभिन्न विश्वविद्यालयों के अरबी भाषा के प्रोफेसरों द्वारा की गई.

इस सम्मेलन के माध्यम से आधुनिक सऊदी अरबी साहित्य में नवीनतम विकास पर चर्चा करने के लिए भारत और अरब देशों के शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों को मंच प्रदान किया गया.सम्मेलन का उद्देश्य आधुनिक युग में सऊदी अरबी साहित्य के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना, सऊदी लेखकों के कार्यों को प्रस्तुत करना, उनकी शैली और साहित्यिक दृष्टि से परिचय कराना, उनके योगदान पर चर्चा करना था.सम्मेलन का समापन सम्मेलन समन्वयक डॉ. जार नागर द्वारा सिफारिशों के पढ़ने के साथ हुआ.