फरहान इसराइली / जोधपुर
राजस्थान की कला और आत्मा को कैमरे की आंख से देखने और दुनिया के सामने प्रस्तुत करने वाले इंटरनेशनल फेम फोटोग्राफर सफ़ात अली अब हमारे बीच नहीं रहे. उनके निधन की ख़बर ने न सिर्फ फोटोग्राफ़ी जगत को, बल्कि उन सभी लोगों को झकझोर दिया है जिन्होंने राजस्थान को उनकी तस्वीरों में जिया था.
इरफ़ान ख़ान की तरह, सफ़ात अली भी राजस्थान की उस मिट्टी से उपजे कलाकार थे, जिनका हुनर किसी एक शहर या राज्य में सीमित नहीं रहा. उन्होंने ग्राम्य राजस्थान को तस्वीरों में इस तरह जीवंत किया, जैसे कैमरा नहीं, कोई कवि अपने शब्दों से दृश्य रच रहा हो.
28 जुलाई को केरल के कोच्चि में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हुआ. पहले उन्हें अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर उन्हें केरल ले जाया गया.
उनके बड़े भाई और राज्य उपभोक्ता आयोग राजस्थान के सदस्य लियाक़त अली उमस ने बताया कि सफ़ात बचपन से ही कला के प्रति बेहद समर्पित थे — ड्राइंग से शुरू हुई उनकी यात्रा फोटोग्राफ़ी की अंतरराष्ट्रीय ऊँचाइयों तक पहुँची.
सफ़ात अली की कला का विस्तार केवल कैमरे तक सीमित नहीं रहा. उन्होंने वाइल्ड लाइफ, पोर्ट्रेट, नेचर और स्टोरी फ़ोटोग्राफ़ी जैसे क्षेत्रों में अपने काम से दुनियाभर में शोहरत बटोरी. उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीते, और फोटोग्राफ़ी जगत में एक विशिष्ट स्थान हासिल किया.
बॉलीवुड से भी उनका नाता रहा. उन्होंने कुछ फिल्मों में बतौर फोटोग्राफ़ी असिस्टेंट काम किया. खुद भी शॉर्ट फिल्में बनाईं. उनकी बनाई 'Butcher' नामक शॉर्ट फिल्म को कई इंटरनेशनल फिल्म समारोहों में सराहा गया.
जोधपुर में 'स्टूडियो 2000' की स्थापना. उनके करियर का एक अहम पड़ाव बना. यह स्टूडियो वेडिंग और पोर्ट्रेट फोटोग्राफ़ी के लिए मशहूर हुआ.
लेकिन शायद उनकी सबसे बड़ी विरासत वे युवा फोटोग्राफ़र हैं जिन्हें उन्होंने निखारा और आगे बढ़ाया.मोहम्मद साकिर मुन्ना, मोहम्मद शरीफ, शान, इद्दू, सूफी, आमिर, शमशेर, समीर और ताज़ीम जैसे कई नाम आज उनकी प्रेरणा से ही इस क्षेत्र में सक्रिय हैं.
उनके परिवार में पत्नी आसिफा सुल्ताना, जो राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्य हैं, बेटा सेजान अली, एक VFX एनिमेशन आर्टिस्ट और बेटी इरा अली, जो मनोविज्ञान की छात्रा हैं, शामिल हैं.
उनके अन्य परिजनों में रूकसाना, अनवर अली, रेहाना और आरिफा सुल्ताना जैसे कई सदस्य हैं.
उनकी अंतिम यात्रा, कोच्चि से जोधपुर लाकर, आशिया बाई कब्रिस्तान (पांचवीं रोड) में संपन्न हुई, जहां सैकड़ों लोग—फोटोग्राफ़ी और कला जगत से लेकर आम नागरिक तक—उन्हें आखिरी सलामी देने पहुंचे.
"द रियल टॉक" में मेरी मुलाकात सफ़ात अली से एक यादगार अनुभव थी. वह न सिर्फ एक पुरस्कार-विजेता फोटोग्राफ़र थे, बल्कि एक संवेदनशील दृष्टिकोण रखने वाले इंसान भी.
हमारी बातचीत में उन्होंने अपनी रचनात्मक यात्रा, फ़ोटोग्राफ़ी के रहस्य, इंडस्ट्री की जटिलताएं, और अपने कुछ आइकॉनिक शॉट्स के पीछे छुपी कहानियां साझा की थीं.
यदि आप फ़ोटोग्राफ़ी के शौकीन हैं या सिर्फ अच्छी और प्रेरणादायक कहानियों में दिलचस्पी रखते हैं, तो सफ़ात अली की कहानी ज़रूर पढ़ें — क्योंकि कुछ तस्वीरें केवल कैमरे से नहीं, दिल से खींची जाती हैं.
उनका कैमरा अब शांत है, लेकिन उनकी तस्वीरें बोलती रहेंगी...