बादलों के पार एक रेलगाड़ी: मिजोरम में नई यात्रा की शुरुआत

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 30-07-2025
A train across the clouds: A new journey begins in Mizoram
A train across the clouds: A new journey begins in Mizoram

 

अरुण कुमार दास/आइजोल

मिजोरम की हरी-भरी पहाड़ियों और बादलों से ढकी घाटियों में, अब एक नई आवाज गूंजने लगी है — रेलगाड़ी की सीटी. यह आवाज सिर्फ एक साधारण परिवहन सेवा की शुरुआत नहीं, बल्कि उस दूरस्थ राज्य के लिए एक नए युग का संकेत है, जो अब तक भारत की मुख्यधारा से लगभग कटा हुआ था.
 

बैरबी से सैरांग तक की नई रेललाइन ने मिजोरम की राजधानी आइज़ॉल को पूरे भारत के रेलवे नेटवर्क से जोड़ दिया है. अब कोई भी दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई या बेंगलुरु से सीधा रेल सफर करते हुए मिजोरम पहुंच सकता है. स्थानीय लोग इस बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं. टूर ऑपरेटर लालथातलुंगा देश के बड़े एजेंसियों से संपर्क कर रहे हैं ताकि पर्यटकों की आमद बढ़ सके. वहीं रेम्पुइया जैसे ऑपरेटर स्थानीय गाइड्स को हिंदी और अंग्रेज़ी में प्रशिक्षित करवा रहे हैं। होटल व्यवसाय भी तेज़ी से खुद को नए दौर के अनुरूप ढाल रहा है. आइज़ॉल के मशहूर लालवाई होटल ने बहुभाषी किचन शुरू किया है, और राज्य सरकार नए होटलों को बढ़ावा देने की योजना बना रही है.
 
 
51.38 किमी लंबी यह रेललाइन तकनीकी दृष्टि से एक चमत्कार है. यह मार्ग 48 सुरंगों और 142 पुलों से होकर गुजरता है और रास्ते भर प्रकृति की अद्भुत छटा प्रस्तुत करता है. जल्द ही इस लाइन पर विस्टाडोम कोच भी चलाए जाएंगे, जिनसे यात्री खिड़की और कांच की छत से रीइक पहाड़ियों, वंतावंग जलप्रपात और ताम दिल झील जैसे दृश्य निहार सकेंगे.
 
रेल लाइन का अंतिम स्टेशन सैरांग है, जो कभी एक छोटा सा गांव था, लेकिन अब यह पर्यटन का नया प्रवेश द्वार बन रहा है। यहां पर्यटक सुविधा केंद्र, हस्तशिल्प बाज़ार और इको-फ्रेंडली आवास विकसित किए जा रहे हैं. सैरांग से आगे रीइक हेरिटेज विलेज, फावंगपुई नेशनल पार्क (ब्लू माउंटेन), और डमपा टाइगर रिज़र्व जैसे स्थलों की ओर बढ़ा जा सकता है, जहां प्रकृति और संस्कृति का अनूठा संगम है.
 
 
मिजो संस्कृति की बात करें तो यहां के लोग अपने आतिथ्य, लोक संगीत और पारंपरिक व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध हैं. स्थानीय बाजारों में बांस से बनी कलाकृतियाँ और हाथ से बुने हुए शॉल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.। मालसावमी हमर, जो सैरांग में एक गेस्टहाउस खोलने की तैयारी कर रही हैं, कहती हैं, “हमेशा मानते थे कि हमारे पहाड़ों की अपनी कहानियां हैं, अब रेल पटरी इन कहानियों को दुनिया से जोड़ रही है.”
 
 
इस रेल लाइन के भविष्य की योजना और भी बड़ी है. इसे म्यांमार सीमा तक विस्तारित करने का विचार है, जिससे भारत-म्यांमार-आसियान कॉरिडोर को नई गति मिल सकती है. यह परियोजना न केवल पर्यटन, बल्कि व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रणनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम है.
 
 
जब उत्तर भारत के हिल स्टेशन भीड़ से घिरते जा रहे हैं, तब मिजोरम जैसे राज्य, जो शांति, प्रकृति और संस्कृति का आदर्श संगम प्रस्तुत करते हैं, एक नई यात्रा की ओर आमंत्रण दे रहे हैं। बैरबी-सैरांग रेललाइन न सिर्फ दूरी घटाती है, बल्कि दिलों को जोड़ती है, कहानियों को गुनगुनाती है और एक भूले-बिसरे कोने को भारत के नक्शे पर चमकदार रूप से उभारती है.
 
अब जब आप अगली बार किसी अनजानी, अनदेखी यात्रा की चाह रखें — तो पूर्व की ओर देखें। मिजोरम की पहली रेलगाड़ी आपको बादलों के बीच, जंगलों के पार और एक नई दुनिया के दिल तक ले जाएगी.