दिलों के डॉक्टर, सुरों के जादूगर

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 29-07-2025
When a doctor becomes a rockstar: A unique journey from stethoscope to instrument
When a doctor becomes a rockstar: A unique journey from stethoscope to instrument

 

 मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली

आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई कर चुके और जेईई टॉपर रहे आईएएस अधिकारी कशिश मित्तल इन दिनों सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ के लिए चर्चा में हैं. उनकी ग़ज़ल और भजन गायकी को सुनकर एकबारगी विश्वास करना मुश्किल हो जाता है कि इतने व्यस्त प्रशासनिक दायित्वों के बीच कोई इस तरह सुरों में रम सकता है. लेकिन जनाब, कला किसी एक वर्ग की बपौती नहीं। जो उसे साध ले, वह हर मंच पर सराहा जाता है.
 

कशिश मित्तल की ही तरह देश के कई डॉक्टर भी अपनी सफ़ेद कोट की दुनिया से निकलकर सुरों की दुनिया में जादू बिखेर रहे हैं. चाहे वह मुंबई के प्रसिद्ध स्पाइन सर्जन हों, इंदौर के रुमेटोलॉजिस्ट, या फिर पटना के गायकी प्रेमी चिकित्सक—सभी ने साबित किया है कि मरीज़ों को दवा ही नहीं, संगीत भी राहत देता है.
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इंदौर का ‘हीलिंग स्टॉर्म’: जब डॉक्टरों ने उठाए साज

इंदौर के आनंद मोहन माथुर सभागृह में हाल ही में एक अनोखा संगीत संध्या आयोजित हुई, जिसमें शहर के डॉक्टरों ने एक बैंड के रूप में स्टेज संभाला। ‘द हीलिंग स्टॉर्म’ नामक इस बैंड ने जब लाइव कॉन्सर्ट दिया तो वहां सिर्फ गीत नहीं गूंजे, बल्कि वह ऊर्जा और ‘हीलिंग’ भी थी जिसे दर्शकों ने दिल से महसूस किया.

इस बैंड की खासियत ये थी कि इसमें हर वाद्य यंत्र डॉक्टरों द्वारा ही बजाए जा रहे थे. डॉ. अक्षत पांडे सिंगिंग के साथ सेक्सोफोन और हैंडपैन बजा रहे थे, वहीं रेडियोलॉजिस्ट डॉ. शेलेक्षी वर्मा की आवाज़ ने माहौल को सुरमई बना दिया. प्लास्टिक सर्जन डॉ. अश्विनी डैश का गिटार हो या न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुशांत आहिलदासानी की रिदम—हर सुर दर्शकों को जोड़ता चला गया.

डॉ. अमित वर्मा ने कांगो-बोंगो पर थिरकते हुए परफॉर्म किया, जबकि बेस गिटार पर हिमांशु वर्मा, ऋषभ जैन और आनंद बेनल ने तालमेल का उम्दा प्रदर्शन किया. इस संगीतमय शाम के पीछे तीन महीने की मेहनत और रोज़ रात 9 से 12 बजे तक की प्रैक्टिस की कहानी भी है.

मुंबई के सर्जन जब बने ‘द कॉर्ड्स’

मुंबई के छह प्रसिद्ध स्पाइन सर्जन—डॉ. अरविंद कुलकर्णी, डॉ. अभय नेने, डॉ. अभिलाष एन. ध्रुव, डॉ. संभव शाह, डॉ. अमित शर्मा और डॉ. मिहिर बापट—ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान एक बैंड बनाया जिसका नाम रखा ‘द कॉर्ड्स’. जहां ‘स्पाइनल कॉर्ड’ और ‘म्यूज़िकल कॉर्ड’ की जुड़ाव वाली इस संज्ञा ने उनके पेशे और जुनून दोनों को जोड़ा.

बैंड के हर सदस्य ने किसी न किसी वाद्ययंत्र में महारत हासिल की. डॉ. कुलकर्णी ने तबले को फिर से अपना साथी बनाया, डॉ. नेने गिटार, कैजोन और पियानो बजाते हैं, जबकि डॉ. अभिलाष ने लॉकडाउन में गिटार सीखना शुरू किया. सैक्सोफोन के दीवाने डॉ. अमित शर्मा को एक मरीज़ ने टेनर सैक्सोफोन गिफ्ट किया था, जो उनके जुनून का प्रतीक बन गया.

इन डॉक्टरों ने कई मेडिकल कॉन्फ्रेंसों जैसे SMISS-AP और एशिया स्पाइन कॉन्फ्रेंस में प्रदर्शन किए हैं. उनके हर परफॉर्मेंस में मेडिकल पेशे की गंभीरता और संगीत की सौम्यता का संगम दिखाई देता है. डॉ. नेने कहते हैं कि यह बैंड न केवल दोस्ती को मज़बूत करता है, बल्कि ऑपरेशन थिएटर में टीमवर्क को भी बेहतर बनाता है.
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‘द ट्यूनिंग फोल्क्स’ : चार दशकों की संगीतमय सेवा

डॉ. ब्रैडू द्वारा स्थापित ‘द ट्यूनिंग फोल्क्स’ नामक बैंड पिछले 45 वर्षों से एक अनोखा मिशन चला रहा है—संगीत के माध्यम से मनोरंजन और जन-जागरूकता. इस बैंड के हर कार्यक्रम में जहां एक ओर रोशनी, ध्वनि और मंचीय प्रस्तुति का भव्य संयोजन होता है, वहीं दूसरी ओर हर शो का एक हिस्सा चिकित्सा जागरूकता को समर्पित होता है.

चाहे वह मधुमेह हो, उच्च रक्तचाप, ऑटिज़्म या ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार—हर प्रस्तुति में चिकित्सीय जानकारी के साथ संगीत की मिठास परोसी जाती है. इस वर्ष उनके शो का नाम "सप्तक से दस तक" है, जिसमें बॉलीवुड के पिछले 40 सालों के हिट गीतों के माध्यम से अपनी यात्रा को दर्शाया जाएगा.

इनका आदर्श वाक्य—"संगीत सर्वोत्तम औषधि है"—सिर्फ कहने भर का नहीं, बल्कि हर प्रस्तुति में जीवंत होता है. ट्यूनिंग फोल्क्स का नाम भी ट्यूनिंग फोर्क से प्रेरित है, जो डॉक्टरों द्वारा सुनने की क्षमता जांचने के लिए उपयोग किया जाता है। इस समूह ने संगीत को भी एक ‘चिकित्सा उपकरण’ में बदल दिया है.
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जब ‘सरगम’ बना उम्मीद का सुर

2015 में सात गायन प्रेमी स्त्रीरोग विशेषज्ञों ने ‘सरगम’ नाम से एक संगीत समूह बनाया, जो बाद में लॉकडाउन के दौरान लाखों दर्शकों के लिए उम्मीद की किरण बन गया. डॉ. बिपिन पंडित और उनकी पत्नी डॉ. वीना पंडित के नेतृत्व में इस समूह ने एक ऑनलाइन लाइव कॉन्सर्ट किया, जिसमें पुराने बॉलीवुड गीतों से लोगों का मनोबल बढ़ाया गया.

इस समूह का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन नहीं था, बल्कि महामारी के समय लोगों को मानसिक राहत देना था. डॉ. पंडित कहते हैं, "हम लोग फ्रंटलाइन योद्धा हैं, लेकिन संगीत के माध्यम से हम आम लोगों तक एक सकारात्मक संदेश भी पहुँचाना चाहते थे."

डॉक्टरों की यह सुरमई दुनिया क्या बताती है?

देशभर के इन डॉक्टरों ने यह साबित किया है कि चिकित्सा और संगीत का रिश्ता सिर्फ शरीर और आत्मा का नहीं, बल्कि संवेदनाओं और सहयोग का भी है. ये बैंड सिर्फ परफॉर्म नहीं करते, बल्कि संदेश भी देते हैं—कि डॉक्टर भी कलाकार हो सकते हैं, और संगीत भी एक इलाज हो सकता है.

आईएएस कशिश मित्तल से लेकर ‘द हीलिंग स्टॉर्म’, ‘द कॉर्ड्स’, ‘सरगम’ और ‘द ट्यूनिंग फोल्क्स’ तक—हर नाम एक प्रेरणा है, जो बताता है कि व्यस्ततम पेशे में भी अगर मन सुर से जुड़ा हो, तो हर बाधा पार की जा सकती है.

संगीत, जिसमें जीवन की थकान को हरने की ताकत है, इन डॉक्टरों के लिए सिर्फ शौक नहीं, बल्कि एक प्रतिबद्धता है. और यही प्रतिबद्धता आज उन्हें डॉक्टरों से रॉकस्टार बना रही है.