Power on the border, message in Parliament: Rajnath Singh's statement on Operation Sindoor today
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष, जिसे “ऑपरेशन सिंदूर” के नाम से जाना गया, केवल एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं बल्कि भारत की संगठित, सटीक और संयमित रणनीति का स्पष्ट प्रमाण है.
7 मई 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या के बाद भारत ने यह बहुस्तरीय अभियान शुरू किया. इसका उद्देश्य सीमापार और पाकिस्तान के भीतर मौजूद आतंकी ढांचों को ध्वस्त करना था.
यह कार्रवाई सिर्फ प्रतिशोध नहीं थी, बल्कि यह एक ठोस संदेश था कि भारत अब सीमा पार से आतंक की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेगा.ऑपरेशन सिंदूर की सबसे बड़ी खासियत इसकी त्रि-सेना एकजुटता रही.
थल सेना, वायु सेना और नौसेना ने एक साथ मिलकर ज़मीन, आकाश और समुद्र तीनों क्षेत्रों में सटीक सैन्य कार्रवाई की. भारतीय वायुसेना ने नूर खान और रहीमयार खान जैसे पाकिस्तानी एयरबेसों पर सटीक हमले किए. भारतीय नौसेना ने मिग-29K और हवाई चेतावनी हेलीकॉप्टरों से लैस अपने कैरियर बैटल ग्रुप (CBG) के ज़रिए समुद्री क्षेत्र में पाकिस्तान की गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगाई.
भारतीय थल सेना ने न केवल सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा सुनिश्चित की बल्कि पाकिस्तान की ओर से होने वाले ड्रोन और मिसाइल हमलों को भी बेअसर किया. जम्मू-कश्मीर के सांबा सेक्टर में बीएसएफ ने सीमा पार से घुसपैठ की एक बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया, जिसमें दो घुसपैठियों को मार गिराया गया और भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए.
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के पीछे सबसे महत्वपूर्ण भूमिका भारत की आधुनिक तकनीकी और संरचनात्मक तैयारियों की रही. एकीकृत कमान और नियंत्रण रणनीति (ICCS) और भारतीय वायुसेना की IACCS प्रणाली ने रियल टाइम में खतरे की पहचान, मूल्यांकन और जवाब को संभव बनाया.
भारत की वायु रक्षा प्रणाली, जिसमें स्वदेशी आकाश मिसाइल, पीकोरा और ओएसए जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं, ने पाकिस्तान के ड्रोन और यूसीएवी हमलों को असफल कर दिया.
इस ऑपरेशन की पृष्ठभूमि में भारत द्वारा पिछले वर्षों में किए गए बड़े रक्षा सुधारों का भी योगदान रहा है. वर्ष 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के पद का गठन और उसके अधीन सैन्य मामलों के विभाग (DMA) की स्थापना, भारतीय सशस्त्र बलों में एकीकृत निर्णय और संसाधन प्रबंधन का आधार बनी.
इसके साथ-साथ संयुक्त रसद केंद्र (JLN), एकीकृत थिएटर कमांड (ITC), और अंतर-सेवा संगठन अधिनियम, 2023 जैसे उपायों ने सैन्य समन्वय और दक्षता को अभूतपूर्व स्तर पर पहुँचा दिया.
रक्षा सुधार: भारत की दीर्घकालीन रणनीति
ऑपरेशन सिंदूर एक दिन की प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि यह भारत द्वारा पिछले वर्षों में किए गए रक्षा सुधारों का प्रत्यक्ष परिणाम था:
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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के नेतृत्व में थल, वायु और नौसेना का समन्वय अब पहले से कहीं अधिक प्रभावी हो गया है.
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एकीकृत थिएटर कमांड की परिकल्पना के तहत भारत अब भू-आधारित और कार्य-आधारित युद्ध समूहों में सेनाओं की भूमिका को स्पष्ट कर रहा है.
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अंतर-सेवा संगठन अधिनियम 2023 के माध्यम से कमांड, अनुशासन और निर्णय-प्रक्रिया में एकरूपता लाई जा रही है.
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संयुक्त रसद केंद्रों की स्थापना से सेनाओं के संसाधनों का इष्टतम उपयोग और वित्तीय बचत सुनिश्चित की जा रही है.
वर्ष 2025 को भारत सरकार ने रक्षा मंत्रालय में ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है. इस दौरान ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों के लिए ज़रूरी तकनीकी और संरचनात्मक सुधारों पर विशेष ध्यान दिया गया है.
तीनों सेनाओं के साझा अभ्यास जैसे “प्रचंड प्रहार” और “डेज़र्ट हंट” के ज़रिए थल, जल और नभ में समन्वय और प्रशिक्षण को मज़बूती दी जा रही है. साथ ही, ‘भविष्य युद्ध पाठ्यक्रम’ जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रम अधिकारियों को तकनीक, साइबर और भू-राजनीतिक समझ से लैस कर रहे .
ऑपरेशन सिंदूर यह सिद्ध करता है कि भारत अब न केवल पारंपरिक युद्ध में सक्षम है बल्कि बहु-क्षेत्रीय, बहु-डोमेन और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध में भी तैयार है. भारत की सेना, वायुसेना और नौसेना अब एक समेकित इकाई के रूप में कार्य करती हैं. चाहे हिमालय की ऊँचाइयों पर घुसपैठ हो या समुद्री सीमाओं पर खतरा—भारत हर मोर्चे पर तैयार है.
यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक संदेश भी था—कि भारत अब मूकदर्शक नहीं रहेगा. जब कूटनीति और शांति की अपील को लगातार आतंक से कुचला जाता है, तब निर्णायक सैन्य कार्रवाई ही अंतिम विकल्प होती है.
ऑपरेशन सिंदूर इसी नीति और संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है. यह भारत के रक्षा इतिहास में एक मील का पत्थर है, जो आने वाले वर्षों में सैन्य सटीकता, अंतर-सेवा सहयोग और राष्ट्रीय संकल्प का प्रतीक बना रहेगा.
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अब अपने राष्ट्रीय हितों और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है—संयम के साथ, लेकिन पूरी तैयारी और अडिग संकल्प के साथ.