Kolkata Durga Puja 2025: कोलकाता के पंडाल Political और AI themes के साथ लोगों को आकर्षित कर रहे हैं

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 30-09-2025
Durga Puja 2025: Kolkata pandals attracting people with political and AI themes
Durga Puja 2025: Kolkata pandals attracting people with political and AI themes

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली  

कोलकाता में दुर्गा पूजा हमेशा से ही देश के अन्य हिस्सों में मनाए जाने वाले उत्सवों से अलग रही है. अतीत, वर्तमान और भविष्य के अनोखे विषयों को अपनाकर यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बन गया है, बल्कि एक सांस्कृतिक क्रांति का रूप भी ले चुका है। आनंद के इस शहर में दुर्गा पूजा का उत्सव एक प्रतियोगी भावना भी जगाता है, जहाँ हर पूजा समिति पहले से अधिक अनोखी, कल्पनाशील और दर्शनीय प्रस्तुति देने की कोशिश करती है. कोलकाता के पंडालों में कोई भी थीम न तो बहुत अपरंपरागत मानी जाती है और न ही असंभव—यहाँ की रचनात्मकता हर बार आगंतुकों को चकित कर देती है.

The Suruchi Sangha pandal features several murals depicting freedom fighters and scenes from the freedom movement, along with text snippets in Bangla highlighting significant points from that timeline. 

सुरुचि संघ पंडाल में स्वतंत्रता सेनानियों और आंदोलन के दृश्य, साथ ही महत्वपूर्ण घटनाओं के बांग्ला में पाठ के अंश

इस वर्ष दुर्गा पूजा का आयोजन 27 सितंबर से 2 अक्टूबर तक हो रहा है. महासप्तमी 29 सितंबर को पड़ी, लेकिन षष्ठी के बाद से ही शहर भर में पंडालों की भीड़ उमड़ पड़ी है। भारी बारिश के बावजूद लोगों की संख्या में कोई कमी नहीं आई.

राजनीतिक मुद्दों को उठाते पंडाल

इस बार कई पंडालों ने सीधे राजनीतिक विषयों को चुना है या वर्तमान राजनीतिक माहौल पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह ने 26 सितंबर को संतोष मित्रा स्क्वायर पंडाल का उद्घाटन किया। इस पंडाल की थीम “ऑपरेशन सिंदूर” पर आधारित थी—एक सैन्य कार्रवाई जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. पंडाल को कश्मीर की पहाड़ियों जैसा रूप दिया गया है, और तिरंगे की आकृतियाँ इसकी छत पर उकेरी गई हैं.

जगत मुखर्जी पार्क में, माँ भविष्य की एआई-प्रधान दुनिया में  

एक 3 मिनट का प्रकाश और ध्वनि शो भारत की जवाबी कार्रवाई को प्रस्तुत करता है, जिसमें टैंकों के मॉडल धुआँ और आवाज़ें छोड़ते हैं. कलाकारों ने हमले में मारे गए पश्चिम बंगाल के दो पर्यटकों—बितान अधिकारी और समीर गुहा—की कहानी को मंचित किया है.

Behala Friends Durga Puja depicts the ongoing humanitarian crisis at Gaza, alongside the 1943 famine in Bengal as their theme for 2025.

बेहाला फ्रेंड्स दुर्गा पूजा 2025 के लिए अपनी थीम के रूप में गाजा में चल रहे मानवीय संकट और बंगाल में 1943 के अकाल को दर्शाती है 

इसी तरह, दक्षिण कोलकाता की समाज सेबी संघ द्वारा तैयार किया गया पंडाल एक गंभीर राजनीतिक संदेश देता है. इस पंडाल की थीम है “पाथेर पांचाली 1946”, जो उस वर्ष हुई सांप्रदायिक हिंसा को याद करता है जिसने कोलकाता को झकझोर दिया था। यह पंडाल एक पुराने मोहल्ले, लेक व्यू रोड की कहानी को बयां करता है, जहाँ दंगे के समय लोगों ने एकजुट होकर मदद की थी. यह पंडाल सांप्रदायिकता के विरुद्ध और मानवीय एकता के समर्थन में एक भावुक अपील करता है.

मुर्शिदाबाद के बेहरामपुर में स्थित खगरा श्मशान घाट दुर्गा पूजा समिति ने अपनी 'विनाश' थीम के ज़रिए ध्यान खींचा है. यहाँ महिषासुर को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के रूप में दर्शाया गया है, जो भारत की संप्रभुता के लिए खतरा माने जाते हैं. वहीं, खगरा साधक नरेंद्र स्मृति संघ ने बांग्लादेश के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ जैसे दिखने वाले पात्रों को भी इसी रूप में दिखाया है. ये पंडाल राष्ट्रवादी भावनाओं से ओतप्रोत हैं.

अतीत और भविष्य की ओर झांकते थीम

 

कुछ पंडालों ने भारत के ऐतिहासिक गौरव और तकनीकी भविष्य को केंद्र में रखा है. अर्जुनपुर अमरा सबाई क्लब ने “मुखो मुखी” (आमने-सामने) थीम को चुना है, जिसमें देवी दुर्गा की प्रतिमा स्टेनलेस स्टील के फ्यूचरिस्टिक कवच में सजी हुई है। पूरे पंडाल को गतिज कला, घूमते ढाँचों और आधुनिक प्रतिष्ठानों से सजाया गया है.

उत्तरी कोलकाता के एक पंडाल ने "कृत्रिम बुद्धिमत्ता" को विषय बनाया, जहाँ ChatGPT द्वारा बनाई गई छवियाँ, विशाल कीबोर्ड, चमकती लाइटें और आदमकद रोबोट दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहे। यह तकनीक और संस्कृति का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है.

Kolkata Durga Puja Pandals 2025

एक अन्य पंडाल ने 70 के दशक की सुपरहिट फिल्म शोले को श्रद्धांजलि दी. यहाँ देवी दुर्गा को बसंती के तांगे में बैठे हुए दिखाया गया है, लेकिन तांगे की जगह उनका वाहन शेर रखा गया है। पंडाल में शोले के पोस्टर, अख़बारी कतरनें और आर.डी. बर्मन के संगीत ने एक सजीव सिनेमाई अनुभव दिया। आयोजकों ने सिंगल स्क्रीन थिएटरों के धीरे-धीरे गायब होने और ओटीटी के प्रभाव पर भी सवाल उठाया.

santosh mitra square

कोलकाता के संतोष मित्रा स्क्वायर में ऑपरेशन सिंदूर थीम पर प्रकाश और ध्वनि शो का आयोजन किया गया 

चलता बागान लोहापट्टी जैसे पंडालों ने ‘मूल’ (जड़ें) और ‘बंगाली भाषा के विकास’ को थीम बनाया. द फेडरल की रिपोर्ट के अनुसार, यहाँ उत्तर कोलकाता की ऐतिहासिक छवियाँ और जीवनशैली को दर्शाया गया। वहीं, पल्ली 66 का पंडाल थेय्यम पर आधारित था, जहाँ केरल से आए कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए। थेय्यम, जिसमें देवताओं और पूर्वजों की पूजा की जाती है, ने इस पंडाल को और भी खास बना दिया.

अर्जुनपुर अमरा सबाई क्लब ने दुर्गा पूजा 2025 के लिए माँ दुर्गा का जादुई पहला रूप प्रदर्शित किया 

कोलकाता: भारत की रचनात्मक पूजा संस्कृति का अगुवा

 

इन सभी प्रयासों के चलते कोलकाता निस्संदेह भारत के सबसे रचनात्मक और विचारोत्तेजक दुर्गा पूजा आयोजनों का केंद्र बन गया है. डोनाल्ड ट्रम्प को महिषासुर के रूप में प्रस्तुत करने से लेकर एआई के ज़रिए वैश्विक चिंताओं को रेखांकित करने तक—कोलकाता ने साबित किया है कि वह न केवल पारंपरिकता को सहेजता है, बल्कि भविष्य की ओर भी देखता है। कोलकाता जैसा कुछ और कहीं नहीं.