मोहम्मद अतीक: राजस्थान के सर सैयद जिन्होंने जोधपुर में लहराया तालीम का परचम

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 24-11-2023
Mohammad Atiq Sir Syed Rajasthan hoisted flag education Jodhpur
Mohammad Atiq Sir Syed Rajasthan hoisted flag education Jodhpur

 

फरहान इसराईली/ जयपुर

हिंदुस्तान के पश्चिमी प्रदेश राजस्थान में स्थित ऐतिहासिक नगर जोधपुर के कुछ लोगों ने लगभग 9दशक पहले भावी पीढ़ी को शिक्षित कर उन्हें हुनरमंद,बाशऊर ,कामयाब व आदर्श नागरिक बनाने का एक ख्वाब देखा था.देश की उन्नति और विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान करने के इस ख्वाब को पूरा करने की कोशिश करती है जोधपुर की संस्था मारवाड़ मुस्लिम एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी.यह सोसायटी अपने प्रयासों से देश के प्रगतिशील अल्पसंख्यक संस्थानों में शुमार होने लगी है.

मारवाड़ मुस्लिम एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी जोधपुर के उपाध्यक्ष एवं सीईओ मोहम्मद अतीक हैं जिन्हें राजस्थान का सर सैयद भी कहा जाता है.बेहद साधारण जीवन जीने वाले मोहम्मद अतीक, सोसाइटी के अंतर्गत विभिन्न स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल एवं यूनिवर्सिटी को तरक्की और ऊंचाई पर ले जाने के लिए बिना रुके,बिना थके दिन-रात काम कर रहे हैं.

सोसाइटी में ओहदा और उनका काम बड़ा है,लेकिन अपने ऑफिस में पुरानी सी चेयर पर बैठते हैं.राजस्थान और जोधपुर में शिक्षा का इतना बड़ा काम होने के बावजूद गरीब एवं साधारण बच्चों के मां-बाप आसानी उनसे ऑफिस में आकर मिल सकते हैं .दूसरी तरफ किसी भी आयोजन में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मोहम्मद अतीक का नाम लेना नहीं भूलते.

मोहम्मद अतीक बताते हैं कि उनकी इस सोसायटी का मकसद मुसलमान में तालीमी और सामाजिक तरक्की के काम करना है.यह सोसाइटी वक्फ बोर्डके नाम की हुई है.वह बताते हैं, “अक्सर मुस्लिम कौम की प्रॉपर्टी या सोसाइटी संचालित करने वालों के हाथों खुर्द बुर्द होती हैं.

इस सोसायटी के पास 1000 करोड़ की प्रॉपर्टी है,इसलिए कभी गलत हाथों में या सरकार के पास ना जाकर वक्फ बोर्ड उनका केयर टेकर बन जाए,इसलिए उन्होंने तमाम प्रॉपर्टी को राजस्थान वक्फ बोर्ड में दर्ज करवा रखा है.

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सोसाइटी से 1700से ज्यादा प्रोफेशनल स्टूडेंट सालाना निकलते हैं.अब तक यहां से हजारों विद्यार्थी सरकारी, गैर सरकारी एवं निजी उपक्रमों में उपक्रमों में कार्यरत हैं.प्रतिवर्ष 1700से ज्यादा प्रोफेशनल स्टूडेंट, बी.एड, नर्सिंग, पैरामेडिकल, फार्मेसी एवं आईटीआई संस्थान से छात्र निकल रहे हैं.

सोसायटी के स्थापित शैक्षिक संस्थानों में नर्सरी क्लास से लेकर यूनिवर्सिटी तक की शिक्षा दीक्षा का प्रबंध है,जिसमें तमाम मजहब के लोगों के बीच मोहब्बत तथा नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों के साथ विद्यार्थियों को शिक्षित प्रशिक्षित किया जाता है.

मारवाड़ एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी का इतिहास

आधुनिक जोधपुर के निर्माता और शासक महाराजा उम्मेद सिंह ने 1929 में इस समिति को मुसलमानों में एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए कायम किया.उन्होंने अपने नए महल में भवन पैलेस के संगे बुनियाद रखे जाने वाले रोज नया अध्याय जोड़ा.उस दिन जलसा ए आम में महाराजा उम्मेद सिंह की ओर से मुस्लिम समुदाय के लिए एक मुनासिब स्कूल शुरू किये जाने का हुक्म दिया गया.

 उनका मशहूर जुमला था “हिंदू और मुसलमान मेरी दो आंखें हैं”.6फरवरी 1934को उक्त स्कूल की इमारत की तामीर का काम शुरू हुआ,जिसका नाम दरबार मुस्लिम स्कूल रखा गया.1947में देश के विभाजन के बाद तत्कालीन सरकार ने इसे अपने कब्जे में ले लिया.

इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी स्कूल रख दिया.जोधपुर के मुसलमान इसे वापस हासिल करने की कोशिश करते रहे.सन 1974में सरकार ने पॉल लिंक रोड, कमला नेहरू नगर जोधपुर में 5एकड़ जमीन मुसलमान को तालीमी तरक्की के लिए भवन निर्माण हेतु आवंटित की,परंतु वास्तविक कब्जा 1978में मिला.1जनवरी 1981को नए स्कूल का निर्माण शुरू हुआ.फंड न होने के कारण 20कमरों का निर्माण अधूरा रहा.

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अक्टूबर 1987में तत्कालीन कमेटी ने मरहूमीन हाजी मोहम्मद, हाजी इमदाद अली, मुफ्ती अशफाक साहब, हाजी अब्दुल्ला मरहूम की कयादत में जिसमें नूर मोहम्मद जी, शब्बीर भाईजान, डॉक्टर गुलाम रब्बानी, फजलुर रहमान व मोहम्मद अतीक की कमेटी को यह अधूरी इमारत सुपुर्द की.

इस कमेटी के सदस्यों एवं पदाधिकारी ने तुरंत ही खुद के वह शहर के लोगों से करीब 20 लाख रुपए इकट्ठे किए और अधूरे स्कूल भवन का निर्माण और वक्फ तकिया चाँद शाह का कुछ हिस्सा खाली करा कर पांच ब्लॉक का निर्माण पूरा करवा दिया.11सितंबर 1988 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर तथा उस समय के लोकसभा सदस्य व कांग्रेस अध्यक्ष अशोक गहलोत ने इस नए भवन में सेकेंडरी स्कूल की शुरुआत की.

अशोक गहलोत के सुझाव पर इस विद्यालय का नाम मौलाना अबुल कलाम आजाद मुस्लिम सेकेंडरी स्कूल रखा गया.साथ ही मुस्लिम लड़कियों में आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने के मकसद से एक अलग बिल्डिंग बनाई गई.उसका नाम फिरोज खान मेमोरियल गर्ल्स स्कूल रखा गया.जिसका उद्घाटन 18 अक्टूबर 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत ने किया.

यह सोसाइटी 30 से अधिक शैक्षिक एवं कल्याणकारी संस्थाओं का संचालन कर रही है.आज यहां मुस्लिम स्कूल के अलावा बाकी समुदायों के नर्सरी से लेकर पीएचडी तक के 13000से अधिक विद्यार्थी शिक्षा हासिल कर रहे हैं.जिन में छात्राओं की संख्या 5000 से ज्यादा है.700टीचर में अन्य कर्मचारी कार्यरत हैं.

सोसायटी में तीन अलग-अलग सीनियर सेकेंडरी स्तर के स्कूल, एक मिडिल स्कूल, तीन पांचवी तक के मदरसे, एक आईटीआई, लड़के और लड़कियों के दो बी.एड. कॉलेज, एक डीएलएड ट्रेनिंग स्कूल, नर्सिंग कॉलेज, पैरामेडिकल कॉलेज तथा फार्मेसी इंस्टिट्यूट शामिल है.अब तक यहां से निकले हजारों विद्यार्थी सरकारी गैर सरकारी उपक्रम में कार्यरत हैं.

सोसायटी के निवेदन पर अशोक गहलोत ने 2013में राज्य सरकार द्वारा एक्ट पारित करवा कर बुझावण, लूणी जोधपुर में मौलाना आजाद विश्वविद्यालय की स्थापना की.2अक्टूबर 2013को उन्होंने विश्वविद्यालय भवन की नींव का पत्थर रखा जहां आर्ट्स, साइंस, कॉमर्स, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, एजुकेशन, फार्मेसी, योग, पब्लिक हेल्थ, पीएचडी एवं विभिन्न पाठ्यक्रमों में 3000 छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं.

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मारवाड़ मुस्लिम एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी जोधपुर के उपाध्यक्ष एवं सीईओ मोहम्मद अतीक


 भविष्य में यहां आयुर्वेद एवं यूनानी मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज एंड लॉ फैकल्टी को मंजूरी लेने की प्रक्रिया चल रही है.साथ ही 100बिस्तरों की क्षमता वाला एक अस्पताल भी निर्माणाधीन है.इसके अलावा समिति के सिटी केंपस में मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद.

इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी नई दिल्ली, एनआईओएस नई दिल्ली एवं नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन आफ उर्दू लैंग्वेज के अध्ययन केन्द्रों की स्थापना एवं उनका संचालन भी उल्लेखनीय है.

छात्रवृत्ति एवं अन्य लाभ समिति द्वारा कम फीस सस्ती किताबें यूनिफॉर्म एवं नियत्व सेवा उपलब्ध करवाई जाती है.

माई खदीजा अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर

सोसाइटी उम्मूल मोमिनीन हजरत खदीजा रज़ी अल्लाह ताला अन्हा के नाम से सो बेड के अस्पताल चल रही है.यहां आर्थिक रूप से कमजोर में जरूरतमंद लोगों के लिए बहुत हर कम खर्च पर इलाज की सुविधा उपलब्ध है.

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रहमतुल्लाह अलामिन ब्लड डोनेशन कैंप

समिति इस कैंपेन के जरिए विभिन्न ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन करवाती है जिसके तहत सैकड़ों यूनिट खून प्रतिवार जोधपुर के तीनों सरकारी अस्पतालों को दिया जाता है.हर साल ईद उल मिलादुन्नबी के दिन इन ब्लड डोनर में से एक का लॉटरी के जरिए चुनाव करके उमरा टिकट दिया जाता है-

जकात फंड

इसके जरिए कम आमदनी वाले लोगों, यतीम, गरीब और बेसहारा बच्चों को मुफ्त तालीम का इंतजाम है.उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे गरीब विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए धनराशि उपलब्ध करा जाती है.

शरिया बैंकिंग

बिना ब्याज के ऋण एवं सहभागिता बैंकिंग को बढ़ाने के मकसद से मारवाड़ शारिया को ऑपरेटिव क्रेडिट एवं सेविंग समिति जोधपुर की स्थापना की गई,जहां ब्याज के लेनदेन से बचते हुए लाभ हानि के आधार पर लेनदेन किया जाता है.

पुरस्कार एवं सम्मान

सोसायटी को केंद्र सरकार से प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रथम “मौलाना अबुल कलाम आजाद साक्षरता पुरस्कार” से वर्ष 2004 में एक लाख रुपए की राशि के साथ नवाजा जा चुका है.जोधपुर राजघराने द्वारा 558 वे स्थापना दिवस पर “मारवाड़ रत्न समारोह” 2015 में सामाजिक उन्नयन के शिक्षा क्षेत्र में उच्च स्तरीय सेवाओं के लिए “महाराजा मानसिंह अवार्ड” से सम्मानित किया गया है.

साथ ही राज्य सरकार अल्पसंख्यक आयोग ने वर्ष 2018 में “सेवा रत्न अवार्ड” व 2016 में “अल अमीन एजुकेशन सोसायटी बेंगलुरु सहित देश भर से राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान हुए हैं.