मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
एक पाकिस्तानी मरीज का सफल हृदय प्रत्यारोपण के साथ ही भारत के मेडिकल व्यवस्था का दुनिया में फिर से डंका बज रहा है. देश की आला और आधुनिक स्वास्थ्य व्यवस्था न केवल अमेरिका और यूरोपीय देशों को टक्कर रही है. सस्ती कीमत पर उचित इलाज के चलते अधिकांश मुस्लिम देशों के मरीज इलाज के लिए भारत आना पसंद करते हैं. इसके चलते दिल्ली सहित भारत के सही मेट्रोपेलिटेन शहरों
के बड़े अस्पतालों ने विदेशी मरीजों, खासकर अरब और दूसरे मुस्लिम देशों के रोगियों के लिए अलग से व्यवस्था की हुई है.ऐसे अस्पतालों में बजाप्ता अलग सेल होता है, जहां उन ही की भाषा में मरीजों को सलाह देने से लेकर हर तरह की मदद की जाती है. दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में अरबी भाषा के जानकार महममूद कायमखानी कहते हैं, ‘‘ विदेशी मरीजों की खराब आर्थिक हालत को देखते हुए कई बार अस्पतालांे को इलाज में भारी रियायत देनी पड़ जाती है.’’
एक सरकारी वेबसाइट ‘इनवेस्ट इंडिया’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ’पिछले एक दशक में, भारत ने दुनिया भर से आने वाले चिकित्सा पर्यटकों को कम लागत पर उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवा प्रदान करने में प्रतिष्ठा हासिल की है.’’पर्यटन मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया,‘’ कोरोना पीरियड को छोड़ दें तो भारत ने इसमें भारी वृद्धि दर्ज की है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का स्वास्थ्य सेवा उद्योग चिकित्सा के आधुनिक और पारंपरिक दोनों रूपों का संयोजन है जो देश को दूसरों से अलग करता है.’’वैश्विक स्तर पर भारत की चिकित्सा प्रणालियां, जैसे आयुष यानी आयुर्वेद, योग, पंचकर्म, कायाकल्प थेरेपी ने अपना अहम मुकाम बना लिया है. पीएम मोदी और यूएन के प्रयासों से अब आयुष को अंतरराष्ट्रीय पटल पर लाने की कोशिशें चल रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएस एफडीए) भी आयुष यानी आयुर्वेद को अहमियत देने लगे हैं, जबकि योग का डंका पहले से ही दुनिया में बज रहा है. मोदी के पीएम बनने के बाद विश्व भर में ‘योग दिवस’ का हर साल आयोजन होता है.
यही नहीं भारत में स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य सेवा उद्योगों ने भी आकर्षक पैकेज के साथ देश के अधिकांश गेस्ट हाउस से समझौते किए हैं. यह समझौते देश के अस्पतालों मंे इलाज कराने आने वाले मरीजों को संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए गेस्ट हाउस से किए गए हैं.
एक आंकड़े के अनुसार, सरकार की नई योजना से विदेशियों को भारतीय स्वास्थ्य बीमा बेचने का अवसर भी बढ़ा है. इसमें भारत ने करीब 9बिलियन डॉलर का अतिरिक्त कारोबार किया है.एक सरकारी रिपोर्ट में भारत को दुनिया में चिकित्सा पर्यटन के लिए नंबर 1गंतव्य माना गया है.पिछले चार वर्षों 13बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ है. सरकार का स्वास्थ्य और कल्याण के लिए 28.7बिलियन अमेरिकी डॉलर का बजट प्रस्तावित है, जो पिछले वर्ष के बजट से 13.7प्रतिशत ज्यादा है.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है, स्वास्थ्य देखभाल के उद्देश्य से भारत आने वाले पर्यटकों के लिए मेडिकल वीजा का विशेष प्रावधान है. इसका लाभ 165देश के मरीज उठा रहे हैं. सरकार भारत आने वाले चिकित्सा पर्यटकों के लिए सुविधा बढ़ाने और विश्वसनीय बनाने पर जोर दे रही है.
‘हील इन इंडिया’ योजना के तहत देश को चिकित्सा और कल्याण पर्यटन के तौर पर स्थापित किया जा रहा है. इसके लिए ‘वन स्टेप’ ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है. इसके माध्यम से उपचार पैकेज लागत, वीजा आवेदन से लेकर शिकायत निवारण और फीडबैक तक की जानकारी दी जाती है. इस पहल का उद्देश्य डॉक्टरों, नर्सों और फार्मासिस्टों सहित स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों का एक डेटाबेस प्रदान करना है.
चिकित्सा और स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ब्रोशर और सीडी जैसी प्रचार सामग्री भी प्रसारित-प्रचारित किए जाते हंै. पर्यटन मंत्रालय ‘अतुल्य भारत अभियान’ के तहत प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, इंटरनेट और आउटडोर मीडिया के माध्यम से योग,आयुर्वेद,वेलनेस को बढ़ावा दे रहा है.
मंत्रालय को उम्मीद है कि भारत के लिए यूरोप और अमेरिका सहित दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलताना में चिकित्सा पर्यटकों को आकर्षित करने की दिशा में आक्रामक रूप से आगे बढ़ने की बड़ी संभावना है. सरकार ने भारत को चिकित्सा पर्यटन का केंद्र बनाने को अपनी प्राथमिकता बना ली है.
बढ़ती मांग के साथ मिलकर की गई पहल निश्चित रूप से भविष्य में भारत को सभी चिकित्सा पर्यटकों के लिए बड़ा केंद्र बनकर उभरने में मदद करेगी. तब भारत न केवल लाखों लोगों की जान बचाने में अग्रणी होगा, मूल्यवान नौकरियां और 13अरब डॉलर से अधिक विदेशी मुद्रा भी पैदा कर पाएगा.