अर्सला खान/नई दिल्ली
हिंदी सिनेमा और उर्दू-हिंदी अदब की दुनिया में गुलज़ार साहब का नाम एक ऐसे शख़्स के तौर पर लिया जाता है जिन्होंने शब्दों को सिर्फ़ कविता या गीत नहीं बनाया, बल्कि उन्हें इंसानी जज़्बातों का आईना बना दिया. 18 अगस्त 1934 को झेलम (अब पाकिस्तान) में जन्मे सम्पूर्ण सिंह कालरा, जिन्हें पूरी दुनिया गुलज़ार के नाम से जानती है, आज भी अपने कलम के जादू से हर उम्र और हर तबके के दिलों पर राज करते हैं.
गुलज़ार साहब ने अपनी शुरुआत 1960 के दशक में बतौर गीतकार की. बिमल रॉय और हृषिकेश मुखर्जी जैसे दिग्गज निर्देशकों के साथ काम करते हुए उन्होंने फ़िल्मों में ऐसी गहराई और संवेदनशीलता भरी जो पहले बहुत कम देखने को मिलती थी. उनकी लेखनी सिर्फ़ गानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने कहानियाँ, संवाद और निर्देशन में भी अपनी छाप छोड़ी.

फ़िल्म आंधी, मौसम, माचिस, सत्यकाम, मेरा कुछ सामान से लेकर दिल से, ओंकारा और स्लमडॉग मिलियनेयर (जिसके "जय हो" गीत के लिए उन्हें ऑस्कर मिला) तक, गुलज़ार साहब की रचनाएँ भारतीय सिनेमा की आत्मा बन चुकी हैं.
उनकी लिखी शायरी और नज़्में रिश्तों की बारीकियों, तन्हाई, मोहब्बत और ज़िंदगी की उलझनों को इतनी सहजता से बयाँ करती हैं कि पाठक और श्रोता उन्हें अपनी ज़िंदगी से जोड़ लेते हैं। यही वजह है कि गुलज़ार सिर्फ़ गीतकार या शायर नहीं, बल्कि एक अहसास हैं.
गुलज़ार की लेखनी की ख़ासियत उनकी सादगी है. आसान शब्दों में गहरी बात कहना. वे आम इंसान के दुख-दर्द, मोहब्बत, जुदाई और उम्मीदों को अल्फ़ाज़ का ऐसा रूप देते हैं कि हर शख़्स को लगता है कि यह शायरी उसी की कहानी है.
उनकी लेखनी ने उन्हें पद्म भूषण, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, ऑस्कर, ग्रैमी और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनगिनत सम्मान दिलाए, लेकिन इन सबसे बढ़कर, गुलज़ार ने लोगों के दिलों में वो जगह बनाई जो किसी भी कलाकार के लिए सबसे बड़ा सम्मान है.
गुलज़ार साहब की कुछ यादगार शायरियां:
"मिलो न तुम तो हम गुम हो जाएंगे,
जो दिन निकले हैं वो तुमको खो जाएंगे."
"चाँद पेरों पे है, रात हत्थेली पर है,
ये मोहब्बत है जनाब, इसकी कोई हद कहाँ है."
"कुछ बातें अधूरी ही अच्छी लगती हैं,
सारी बात कह दी जाए तो असर ख़त्म हो जाता है.
"तेरा हाथ छू जाए तो इक उम्र सुकून पा ले,
तेरे होंठ हिल जाएँ तो सदियों तक असर होता है."
"धूप को बरसात बना देता है,
ये दिल मोहब्बत में अजीब काम करता है."
गुलज़ार की शायरी एक सफ़र है, जिसमें मोहब्बत भी है, तन्हाई भी; उम्मीद भी है और जज़्बातों की वो गहराई भी जो ज़िंदगी को और खूबसूरत बना देती है.