फरहान इसराइली /जयपुर
भारत और ईरान दोनों ऐसी प्राचीन सभ्यताओं के देश हैं जिनका संबंध हज़ारों साल पुराना है. आज़ादी से पहले ईरान, भारत का पड़ोसी था. इसी परंपरा में दोनों देशो के संबंधो को मजबूती देने वाली वाली चार दिवसीय आर्ट एग्जीबिशन तज़्किरा का राजधानी जयपुर में होटल आईटीसी राजपूताना स्थित वैलकम आर्ट गैलेरी में शुरू हुई.
जयपुर आर्ट समिट की ओर से आयोजित इस आर्ट एग्जीबिशन में कला प्रेमियों को भारत और ईरान की परंपरागत चित्रकला, हस्तशिल्प और मिनिएचर आर्ट देखने को मिला. कला प्रदर्शनी के दौरान भारतीय और ईरानी कला शैली में मज़हब, समाज और तहज़ीब के आपसी संबंध और रंगों के संयोजन को नजदीक से देखा-सुना और समझा.
8 फरवरी तक चलने वाली इस कला प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि तकनीकि विश्वविद्यालय के चेयरमैन प्रेम सुराणा के साथ विशिष्ठ अतिथि सेंटर ऑफ कंटेंपरेरी आर्ट तिबलिसी के निदेशक वाटो टेसरीटेली, जॉर्जिया के फिल्म निदेशक रूसदान चकौनिया और कला मर्मज्ञ व विश्लेषण पं. मधुकर चतुर्वेदी ने किया.
इंडिया- ईरान के आर्टिस्ट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत किया जा रहा कार्यक्रम
प्रदर्शनी के बारे जानकारी देते हुए जयपुर आर्ट समिट के संस्थापक निदेशक डॉ. एस के भट्ट ने बताया कि यह कला प्रदर्शनी इंडिया- ईरान के आर्टिस्ट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत आयोजित की जा रही है.
इस प्रदर्शनी के दौरान कला प्रेमियों को ईरान पारम्परिक कलाओं और हस्तशिल्प को नजदीक से देखने का मौका मिलेगा.डॉ. भट्ट के अनुसार, भारत में करीब 256 पारंपरिक कला और रचना प्रचलित हैं जो सूर्योदय की पहली किरण का प्रतिनिधित्व करते हुए शाम की पूजा के साथ समाप्त होती हैं.
संस्कृति और धर्म कई प्रतीकों के साथ अविभाज्य हैं, जैसे कि फूल, नदियाँ, पहाड़, पत्थर, तारे जैसी पवित्र छवियां और यहां तक कि रंगीन रचनात्मक मूर्तियां, पेंटिंग, सुलेख, संगीत और नृत्य जैसे कई दृश्य हमें प्रकृति और धर्म के साथ जोड़ते हैं.
इसमें श्रीराम के चित्रों को भी अलग अंदाज में प्रस्तुत किया गया है.तज़्किरा के दौरान कला प्रेमियों के भारतीय और ईरान की कुछ ऐस ही कलाकृतियां देखने को मिली.
भारतीय कलाकारों की कला कृतियों में मिनिएचर आर्ट जीवंत हुआ तो ईरानी कलाकृतियों में प्राचीन फारस की अनुभूति और हस्तशिल्प देखने को मिला.
पारंपरिक ईरानी हस्तशिल्प देखने को मिलेगी
ईरानी हस्तशिल्प में बख्तियारी, घालमकारी, खुश-खती, मुर्राका, दस्तकारी, तबाची, मीनाकारी, खत्म कारी, कलमकारी, मोनाबतकारी, नक्काशी देखने को मिली.
यहां ईरान से मनजेश मोखतारी, मरियम मोखतारी, जहारा जहान टिग, हजारापीरी हरमादानी, मोबिनाकमाली देगान, मोजादे मोजाफितावना, नसरीन कारदानी इफसानी शैली की कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है.