शायरी में दिलचस्पी मुझे बचपन से है. उर्दू शायरी के प्रति अलग जज्बात रखती हैं. कॉलेज में पढ़ने के दौरान शौकिया शायरी करती थी. उर्दू जुबान में चाशनी है. मुझे इश्क है इस जुबान से. यह कहना है मिस्र की उर्दू शायरा डॉ वला जमाल का. वह मिस्र के एक काॅलेज के उर्दू विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. उनसे आवाज द वाॅय संवाददाता अमीना माजिद सिद्दीकी ने खास बातचीत की.
यहां प्रस्तुत है उनसे बातचीत के मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं :-
सवाल: उर्दू जबान से कैसे जुड़ीं ?
वला जमालः जब मैंने कॉलेज में दाखिला लिया तो वहां उर्दू विभाग मुझे मिला, तब मैं नहीं जानती थी कि उर्दू क्या है. मिस्र में उर्दू के बारे में नहीं जानते. मिस्री लोग हिंदी भाषा से वाकिफ हैं. इसकी वजह हिन्दुस्तानी फिल्मों का मिस्र पर प्रभाव. मैंने कॉलेज में पूछा कि उर्दू क्या है ? जवाब मिला ये हिंदी है. उस समय मैं जान पाई कि उर्दू भी हिंदी की तरह है. इसके बाद ही उर्दू सीखने का ख्याल आया. में हिंदुस्तानी फिल्मों के गाने भी सुनती हूं. अच्छे लगते हैं.
सवाल: कहां तक सीखी हैं उर्दू ?
जवाब: मिस्र मंे चार साल उर्दू जुबान पढ़ी. कभी पाकिस्तान नहीं गई हूं. हिंदुस्तान चार बार जा चुकी हूं. चार साल उर्दू पढ़ने के बाद पीएचडी की. उसके बाद मेरी नियुक्ति उर्दू डिपार्टमेंट में हुई. आज मैं यहां एसोसिएट प्रोफेसर हूं.
सवाल: शायरी के प्रति लगाव कैसे हुआ ?
जवाब: शायरी में दिलचस्पी बचपन से है. उर्दू शायरी को लेकर मेरे कुछ जज्बात है. कॉलेज में पढ़ने के दौरान शौकिया षायरी करती थी. उर्दू जुबान में चाशनी है. मुझे इश्क है इस जुबान से.
सवाल: अपनी पहली गजल के बारे में बताइए ?
जवाब: सबसे पहले एक नज़्म कहा था. तब गजल कहना मेरे लिए मुश्किल था. ’ समुद्र है दरमियान’ नाम से मेरी नज़्मों का संग्रह प्रकाशित हो चुका है. इसमें आजाद नज्में हैं. उसके बाद मैं हिन्दुस्तान गई. वहां एक प्रोग्राम में शिरकत करने के बाद पता नहीं क्या हुआ, लिखना शुरू कर दिया.
एक नज़्म सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर लोगों ने खुले दिल से तारीफ की. तभी सोचा कि इसे लेकर आगे भी काम करूंगी. जो किसी से नहीं कह पाती, कागज पर लिख लेती हूं. मुझे सुकून मिलता है. पहली गजल कहने में मुश्किल हुई थी. मगर मेरी कोशिशों ने रास्ता आसान कर दिया.
सवाल: उर्दू शायरी पर कितनी किताबें लिख चुकी है ?
जवाब: दो किताबें आ चुकी है. एक नज़्मों का संग्रह है. दूसरी दुखतरे नील.
सवालः दुखतरे नील के बारे में बताइए ?
जवाब: इसमें मिस्र के हवाले से शेर कहे हैं. मैं खुद नील किनारे से आती हूँ. मेरा एक शेर है- “ मैं नील के किनारे हूं, लेकिन निगाह में, झेलम है, गंगा- जमुना है, रावी है.” इस तरह के शेर इस किताब में हैं . मैं समझती हूँ ये नाम अच्छा है
सवाल: मिस्र के लोगों को उर्दू जबान में कितनी दिलचस्पी है ?
जवाबः हमारे देश के लोग उर्दू जुबान सीखते हैं. कॉलेज में उर्दू की पढ़ाई होती है, स्कूल में नहीं. इसलिए शायद ज्यादा तर लोग उर्दू नहीं जानते. मुझसे कोई पूछता है तो अपने उर्दू डिपार्टमेंट के बारे मंे बताती हूं. अभी मिस्र की सात यूनिवर्सिटी में उर्दू पढ़ाई जाती है. इनमंे उर्दू पढ़ने वाले छात्रों की संख्या लगभग तीन हजार है. उन्हें उर्दू जुबान पसंद है. उर्दू के हवाले से मिस्र मंे काम ज्यादा नहीं हुआ है, पर अब लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है. मिस्र में उर्दू तर्जुमे पर ध्यान दिया जा रहा है.
सवाल: भारत से आपके रिश्ते ?
जवाब: सुकून की बात है. मैं हमेशा हिंदुस्तान आने की कोशिश में रहती हूं. हर साल हिंदुस्तान आने की कोशिश करती हूं. हिंदुस्तानी तहजीब से बहुत प्यार है. मुझे हिन्दुस्तानी बोलना पसंद है. हिंदुस्तान और यहां के लोग भी बहुत प्यारे हैं.
सवाल: कुछ भारतीय व्यंजन बनाया है ?
जवाब: चिकन, मिठाई रोटी बना लेती हूं. मुझे हिन्दुस्तानी खाने पसंद हैं.
सवाल: बॉलीवुड फिल्में और गाने पसंद हैं ? आपके पसंदीदा कौन हैं ?
जवाब: फिल्में तो काम देखती हूँ, पर गाने बहुत सुनती हूँ. फना फिल्म बहुत पसंद है.
सवालः आगे का क्या प्लान है. इंडिया कब आएंगी ?
जवाबः 2-3 महीने बाद आने का कार्यक्रम है. कोशिश कर रही हूं. कोशिश अगस्त या अक्टूबर में आने की है. तब हिंदुस्तान का मौसम भी अच्छा रहेगा.
सवाल: आपका पसंदीदा शौक ?
जवाबः खाली समय बहुत कम मिलता ह. मैं पढ़ाती हूं. मां भी हूं. जिम्मेदारी बहुत ज्यादा है. समय मिलता है तो पढ़ती- लिखती हूं. उर्दू नहीं पढूंगी तो भूल जाऊंगी. यहां सब अरबी में बात करते हैं.
सवालः उर्दू का भविष्य है ?
जवाब: भविष्य आप लोगों के ऊपर है. भविष्य रोशन है. मेरी मादरे जबान उर्दू नहीं है, पर आप लोग मेरी हौसला अफजाई करते हैं. हिंदुस्तान-मिस्र और उर्दू- अरबी रिश्ते यहां उर्दू का मुस्तकबिल तय करेगी.
सवाल: अपनी पसंदीदा गजल जो आप सुनना चाहें?
जवाबः ये गजल मेरे बहुत करीब है. “अपना धड़कता दिल भी उसे दे कर आ गए, इतने हुए करीब किसी हमसफर से हम !
तुम आ रहे हो ख्वाब में देखा था रात को, सज-धज के खूब बैठ गए थे सहर से हम!!
हिंदुस्तान में मेरे दो पसंदीदा शहर हैं- लखनऊ और कोलकाता, जिस पर मैंने शायरी लिखी है. कोलकाता और लखनऊ में मुझे जादू जैसा दिखा.
सवालः लखनऊ में आपको क्या पसंद है ?
जवाबः मुझे कबाब अच्छे लगे. हिन्दुस्तानी खाना बहुत अच्छा लगता है. हिंदुस्तान से जो भी चीज संबंधित है वो मुझे पसंद है. जैसे खाना, अदब, शायरी. मुझे बहुत अच्छा लगता है.