क्रिस्टेल डिसूज़ा
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन द्वीप समूह में, जहां तक पहुंच पाना एक बड़ी चुनौती होती है, वहां के निवासी अब एक अनूठी चिकित्सा सेवा का लाभ उठा रहे हैं. यह सेवा है बोट क्लिनिक की, जिसे डॉ. अनवर आलम और उनकी टीम के द्वारा संचालित किया जाता है. इस क्रांतिकारी पहल ने न केवल इलाके के लोगों के जीवन को बदल दिया है, बल्कि इसे एक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है, जो देशभर में चिकित्सा सेवाओं की कमी वाले क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है.
सुंदरबन के दूरदराज क्षेत्रों में चिकित्सा की कमी
सुंदरबन, जो पश्चिम बंगाल में स्थित है, भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण वेटलैंड्स में से एक है. यह क्षेत्र न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य संकट से भी जूझ रहा है. यहां के 30द्वीपों के निवासी अक्सर खराब चिकित्सा सुविधाओं के कारण विभिन्न रोगों से जूझते रहते हैं. इस क्षेत्र में डॉक्टरों की भारी कमी है, और लगभग 3लाख लोग केवल तीन डॉक्टरों पर निर्भर हैं.
सुंदरबन के स्थानीय निवासी टीबी, बुखार, सर्दी, खांसी और अन्य सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए दूर-दराज के अस्पतालों पर निर्भर रहते हैं, जो कभी-कभी उनकी पहुंच से बाहर होते हैं. 27सितंबर को आई बाढ़ के बाद इस समस्या में और वृद्धि हुई, जब हजारों लोग घायल हुए और बाढ़ ने क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को बुरी तरह प्रभावित किया.
SHIS फाउंडेशन का जन्म और बोट क्लिनिक की शुरुआत
यह स्थिति देखकर मोहम्मद अब्दुल वहाब और उनकी पत्नी सावित्री पाल ने 1980के दशक में SHIS फाउंडेशन (दक्षिणी स्वास्थ्य सुधार समिति) की स्थापना की. उनका उद्देश्य इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना था, ताकि लोग बुनियादी चिकित्सा देखभाल से वंचित न रहें. बाढ़ के बाद उन्होंने महसूस किया कि सुंदरबन में चिकित्सा देखभाल की घातक कमी को दूर करने के लिए एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है.
कई महीनों की कड़ी मेहनत और समर्पण के बाद, वहाब दंपति ने चार सुसज्जित नावें खरीदीं और बोट क्लिनिक की शुरुआत की. इसके बाद से इस बोट क्लिनिक के माध्यम से सुंदरबन के सुदूर इलाकों में जाकर लोगों को इलाज प्रदान किया जाने लगा. बोट क्लिनिक की एक नाव में दो मेडिकल बेड, एक एक्स-रे मशीन, एक पैथोलॉजिकल यूनिट और आवश्यक दवाइयां होती हैं, जिससे नाव के भीतर ही इलाज संभव हो जाता है.
डॉ. अनवर आलम का योगदान
डॉ. अनवर आलम, जो एसएचआईएस फाउंडेशन के सदस्य हैं, पिछले दस वर्षों से इस परियोजना से जुड़कर सुंदरबन में चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. उनकी मेहनत और नेतृत्व के कारण ही बोट क्लिनिक इस क्षेत्र के दूरदराज इलाकों तक पहुंचने में सफल हो सका है. उन्होंने बताया, “हम एक महीने में कुल 34,578मरीजों का इलाज करते हैं. हर सोमवार को एक नाव चलती है, और हम पूरे सप्ताह में सुंदरबन के 30द्वीपों पर सेवा प्रदान करते हैं.”
डॉ. आलम के मुताबिक, "हमारे लिए यह सेवा एक मिशन की तरह है. इन द्वीपों पर रह रहे लोग जब हमारे पास आते हैं, तो हमें लगता है जैसे हम किसी का जीवन बचाने में मदद कर रहे हैं."
बोट क्लिनिक की सफलता की कहानी
एक हालिया उदाहरण में, एक गर्भवती महिला को बोट क्लिनिक द्वारा प्राथमिक उपचार प्रदान किया गया, लेकिन उसे विशेषज्ञ देखभाल की आवश्यकता थी. डॉ. आलम ने उसे पास के सरकारी अस्पताल में रेफर किया और स्थानीय परिवहन का इंतजाम करके उसे सुरक्षित रूप से वहां पहुंचाया. इस महिला ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया, जो बोट क्लिनिक की टीम के लिए एक बड़ी सफलता की कहानी बनी.
बोट क्लिनिक ने न केवल सुंदरबन के स्वास्थ्य संकट को कम किया है, बल्कि यह क्षेत्र में अन्य स्वास्थ्य पहलुओं में भी सुधार कर रहा है. अब यहां के लोग टीबी जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण करवा रहे हैं और समय पर इलाज प्राप्त कर रहे हैं.
SHIS फाउंडेशन के अन्य कार्यक्रम
SHIS फाउंडेशन ने अपनी सेवाओं का विस्तार किया है और विभिन्न कार्यक्रमों को शुरू किया है, जैसे कि नेत्र देखभाल क्लीनिक, विकलांग बच्चों के लिए शिक्षा केंद्र, महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम, और लड़कियों के लिए स्कूल. इन कार्यक्रमों के माध्यम से फाउंडेशन का उद्देश्य न केवल स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है, बल्कि समाज के हर वर्ग को सशक्त बनाना भी है.