Jashn-e-Rekhta 2025: From Arabic Kunafa to Nihari, the aroma of delicacies fills the gathering
अर्सला खान/नई दिल्ली
उर्दू और तहज़ीब के इस तीन-दिवसीय महोत्सव में जहाँ एक तरफ़ शायरी और ग़ज़लों की महफ़िल सजी, वहीं दूसरी ओर खाने के स्टॉल भी लोगों के बीच उतने ही चर्चित रहे। Araabaik, Rumi Arabian Kitchen, Dastarkhwan-e-Muradabad, Draavin Canteen और Al Nihari जैसे नामों ने दर्शकों को यह अनुभव कराया कि भाषा और संस्कृति का रस सिर्फ़ कलम से नहीं, स्वाद से भी बहता है।
जश्न के स्वाद में विविधता की पहचान
जश्न-ए-रेख़्ता में हर साल कोशिश होती है कि अलग-अलग ज़ायकों का मेल दर्शकों को मिले। इन्हीं प्रयासों की वजह से पिछले कुछ सालों में कई स्थानीय और लोकप्रिय रेस्तरां यहाँ अपना स्टॉल लगाते आ रहे हैं ताकि दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश-भर से आने वाले लोग एक ही जगह विविध रसोई का आनंद ले सकें।
Araabaik कुनाफ़ा की मिठास और अरबी महक
लोकेशन: शहीन बाग/ओखला क्षेत्र, दिल्ली
मिडिल-ईस्टर्न स्वाद का यह ठिकाना इस बार भी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा।
● यहाँ की कुनाफ़ा महीन सेवई जैसी परतों में पिघली हुई क्रीम-चीज़ — दर्शकों के लिए किसी मिष्ठान्न कविता से कम नहीं।
● साथ ही मंडी, शावरमा और मसालों का हल्का-फुल्का अरबी स्पर्श इस स्टॉल को बेहद लोकप्रिय बनाता है।
हर बाइट में मानो अरबी दास्तानों की मिठास छलकती है।
Rumi Arabian Kitchen दिल्ली में बसता अरब का स्वाद
लोकेशन: जसोला, ओखला
किफ़ायती मेन्यू और उम्दा स्वाद यही पहचान।
● चिकन और मटन मंडी, सॉफ्ट कबाब, सूप्स और फतूश-जैसी सलाद ने लोगों को नई खुशबू से रूबरू कराया।
● जिन लोगों को रोमैंटिक अरब दुनिया सिर्फ़ शायरी में दिखती थी — उनके लिए यह स्टॉल एक स्वादभरी मुलाक़ात साबित हुआ।
भीड़ में भी उसका धुआँदार सिग्नेचर-अरोमा दूर से बुलाता नज़र आया।
Dastarkhwan-e-Muradabad पीतल की नगरी से सीधे महफ़िल तक
लोकेशन: मुर्दाबाद के पारंपरिक फूड स्टॉल अक्सर दिल्ली के मेलों में नज़र आते हैं
यह स्टॉल उन दर्शकों के लिए था जो नॉर्थ इंडिया की असली पहचान खाना मानते हैं।
● मुर्ग मुसल्लम, बिरयानी, और मुरादाबादी चिकन-कड़ाही — मसालों और स्वाद का दमदार मेल।
● देसी घी की ख़ुशबू और कोमल मांस — एक ऐसा अनुभव जो महफ़िल की रूह को भी गर्माहट देता है।
Draavin Canteen जल्दी, हल्का और देसी
लोकेशन: लाजपत नगर, दिल्ली
● यहाँ के हल्के स्नैक्स, फ्रेश ड्रिंक्स, और क्विक-सर्विंग कैन्टीन-स्टाइल भोजन ने उन लोगों को राहत दी जो लंबे प्रोग्राम्स के बीच थोड़ी साँस और त्वरित स्वाद चाहते थे।
● कुछ लोग कहते दिखे “माहौल भी और खाना भी… दोनों सही।”
Al Nihari निहारी की वह आत्मा जो दिल्ली को बख़ूब समझती है
लोकेशन: ओखला/जामिया नगर क्षेत्र
● नॉन-वेज़ प्रेमियों के लिए एक राहत हलाल और सुर्ख मटन निहारी की गाढ़ी ग्रेवी,
● साथ में खामिरी रोटी जिसने कई लोगों को पुराने दिल्ली की गलियों की सैर याद दिला दी।
फेस्टिवल में साल-दर-साल भरोसा
इनमें से अधिकतर स्टॉल पिछले कई संस्करणों में जश्न-ए-रेख़्ता का हिस्सा रहे हैं।
लोग यहाँ बस खाने नहीं आते बल्कि अपने बचपन, अपने शहरों और अपनी दादी-नानी की रसोई की यादें खोजते हैं।
वही महफ़िल, नए ज़ायके
शायरी और संगीत जहाँ दिल को मदहोश करते हैं, वहीँ यह व्यंजन स्वाद की ऐसी दास्तान कहते हैं जिसे लोग बिना तर्जुमा समझ लेते हैं।
भीड़, तहज़ीब और स्वाद तीनों मिलकर यह एहसास कराते हैं कि जश्न सिर्फ़ मंच पर नहीं, प्लेट में भी सजता है।