तस्वीरों में डल झील का तैरता बाज़ार: कश्मीर का अनमोल खजाना

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 18-12-2024
Dal Lake's Floating Market in Photos: A Priceless Treasure of Kashmir
Dal Lake's Floating Market in Photos: A Priceless Treasure of Kashmir

 

बासित जरगर, श्रीनगर

डल झील का नाम लेते ही एक अनोखी छवि उभरती है—पीर पंजाल की ऊंची, धुंधली चोटियों की पृष्ठभूमि में फैली एक विशाल झील, जिसमें सजीवता और जीवन का संगीत तैरता है. यह झील केवल एक प्राकृतिक सौंदर्य नहीं है, बल्कि कश्मीर की अनोखी सांस्कृतिक धरोहर और उसके लोगों के जीवन का आधार है. और इसी झील का सबसे अद्भुत पहलू है उसका प्रसिद्ध तैरता हुआ सब्जी बाजार, जो सदियों से घाटी की जीवंतता और परंपराओं का गवाह रहा है.

 
कश्मीर की झील पर बसा एक संसार
 
डल झील, जो 7 से 8.5 वर्ग मील के क्षेत्र में फैली हुई है, कश्मीर के दिल में बसे एक छोटे से शहर की तरह है. यहां हाउसबोट की खूबसूरत नक्काशीदार बालकनियों में जीवन सांस लेता है, और झील की सतह पर बसी यह दुनिया अपने आप में एक अलग सभ्यता है. तैरते घर, पानी पर चलने वाले स्कूल, और यहां तक कि एक अनोखा डाकघर भी इस झील का हिस्सा हैं.
 
यहां का जीवन झील की सतह पर बहता है. हर सुबह जब सूरज की पहली किरणें झील के पानी को सुनहरा बना देती हैं, तो जलमार्गों की भूलभुलैया में तैरती नावें दिखाई देती हैं. इनमें किसान अपनी ताजी सब्जियां लेकर आते हैं और कश्मीर का प्रसिद्ध तैरता हुआ बाजार सजाते हैं.
 
 
तैरते बगीचों की कल
 
डल झील की एक और खासियत हैं यहां के तैरते हुए बगीचे. ये बगीचे साधारण मिट्टी से नहीं बने होते, बल्कि पानी में जड़ों और शाखाओं की चटाई बुनकर तैयार किए जाते हैं. इन्हें गाद और शैवाल से भरकर उपजाऊ बनाया जाता है. इन बगीचों पर किसान टमाटर, खीरे, और नादरू (कमल के तने) जैसी सब्जियां उगाते हैं. नादरू कश्मीरी व्यंजनों का एक विशेष हिस्सा है और इसकी मांग हमेशा रहती है.
 
किसानों के लिए ये बगीचे सिर्फ खेती का जरिया नहीं, बल्कि उनकी मेहनत और परंपराओं का प्रतीक हैं. झील के तल से खरपतवार निकालकर और सावधानीपूर्वक इन बगीचों को पोषित करना एक ऐसा काम है, जिसमें वर्षों की मेहनत और अनुभव लगता है.
 
 
भोर का तैरता बाज़ार
 
डल झील पर तैरता हुआ सब्जी बाजार एक ऐसा अनुभव है, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है. यह बाजार भोर के ठीक पहले शुरू होता है, जब अंधेरा धीरे-धीरे सवेरा बन रहा होता है. किसान और विक्रेता अपनी छोटी-छोटी नावों पर सब्जियां और अन्य सामान लेकर झील के सहायक जलमार्गों पर इकट्ठा होते हैं.
 
जैसे ही सूरज की पहली किरणें पानी को छूती हैं, यह बाजार जीवन से भर उठता है. खरीददार और विक्रेता नाव से नाव जोड़कर सौदे करते हैं. कश्मीरी में गूंजती बातचीत, पानी में हिलते प्रतिबिंब, और चारों ओर फैली शांति इस बाजार को जादुई बना देती है.
 
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र
 
1960 के दशक से डल झील का यह तैरता हुआ बाजार पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का बड़ा केंद्र रहा है. झील पर तैरती नावों का यह अनोखा नज़ारा कश्मीर की खूबसूरती के साथ-साथ वहां की संस्कृति का हिस्सा भी है. हाउसबोट में ठहरने वाले पर्यटक इस बाजार को देखने के लिए तड़के ही अपनी नावों पर निकल पड़ते हैं.
 
झील के लोगों की मेहनत और जीवन
 
डल झील न केवल प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक है, बल्कि यह यहां रहने वाले लोगों की आजीविका का भी मुख्य स्रोत है. झील के तैरते हुए बगीचों और सब्जी बाजार से होने वाली आय ही इन परिवारों की जिंदगी को चलाती है. यहां के लोग झील की मिट्टी और उसके पानी को सावधानी से संभालते हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह धरोहर बची रहे.
 
 
डल झील का महत्व और संरक्षण की जरूरत
 
यह झील कश्मीर की पहचान है, लेकिन समय के साथ यह झील प्रदूषण और अतिक्रमण का सामना कर रही है. इसे संरक्षित करना न केवल यहां के लोगों के जीवन के लिए जरूरी है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा है.
 
डल झील का तैरता हुआ बाजार केवल एक व्यापारिक स्थान नहीं, बल्कि कश्मीर की गहरी जड़ों और वहां की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. यह झील और इसका बाजार न केवल कश्मीर, बल्कि पूरे भारत की पहचान का एक अहम हिस्सा है. यह हमारे लिए जरूरी है कि हम इसे संरक्षित रखें और इसकी अनोखी सुंदरता को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाएं.