नैतिक पतन पर गहरी चिंता, धार्मिक नेताओं ने दिया एकजुटता का संदेश

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 13-09-2025
Deep concern over moral degradation, religious leaders gave message of unity
Deep concern over moral degradation, religious leaders gave message of unity

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली

देश की राजधानी में, जमात-ए-इस्लामी हिंद के मुख्यालय में आयोजित एक अभूतपूर्व अंतर-धार्मिक संवाद कार्यक्रम 'धार्मिक जन मोर्चा' ने समाज में बढ़ रही नैतिक गिरावट के खिलाफ एक शक्तिशाली और एकजुट संदेश दिया. इस ऐतिहासिक बैठक में हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम और अन्य धर्मों के शीर्ष नेताओं ने एक स्वर में कहा कि नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का पतन न सिर्फ राष्ट्र बल्कि पूरी मानवता के भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा है. इस मंच से सभी ने अपनी-अपनी धार्मिक शिक्षाओं के प्रकाश में नैतिक उत्थान के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे 'धार्मिक जन मोर्चा' के अध्यक्ष प्रो. सलीम इंजीनियर ने इस गंभीर समस्या की जड़ पर प्रकाश डाला. उन्होंने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि समाज में बढ़ती नैतिक गिरावट का मूल कारण मनुष्य का अपने धर्म और ईश्वर से दूर होते जाना है.

उन्होंने कहा, "जब व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक जड़ों से कट जाता है, तो वह सही और गलत के बीच का अंतर भूल जाता है, जिससे समाज में भ्रष्टाचार, हिंसा और स्वार्थ जैसी बुराइयाँ पनपने लगती हैं." उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि धार्मिक नेताओं का साझा कर्तव्य है कि वे एकजुट होकर राष्ट्र को इस नैतिक और आध्यात्मिक पतन से बचाएं.

उनके बाद, सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए, स्वामी सुशील गोस्वामी महाराज ने भाईचारे की भावना को और मजबूत किया. उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी, जो इस महान देश में रहते हैं, भाई-भाई हैं.

उन्होंने इस तथ्य को उजागर किया कि भले ही हम सब अलग-अलग आस्थाओं का पालन करते हों, कोई भी धर्म घृणा और विभाजन की शिक्षा नहीं देता. उन्होंने एकता और सद्भाव पर बल देते हुए कहा कि राष्ट्र के समग्र विकास के लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए.

सिख धर्म से आए ज्ञानी मंगल सिंह ने अपने संबोधन में गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र उपदेशों का उल्लेख करते हुए कहा कि किसी भी समाज की प्रगति के लिए भाईचारा और समानता दो आवश्यक स्तंभ हैं.

उन्होंने समाज में जागरूकता और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों को बड़े पैमाने पर आयोजित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. ईसाई धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए, फादर नॉर्बर्ट हरमन ने बाइबिल की शिक्षाओं को उजागर किया और प्रेम व दया के संदेश पर जोर दिया.

उन्होंने कहा, "ईश्वर से प्रेम करो और अपने पड़ोसी से प्रेम करो." उनका संदेश था कि हमें दूसरों के साथ ठीक उसी तरह व्यवहार करना चाहिए, जैसा हम उनसे अपने लिए चाहते हैं.

इस कार्यक्रम की भव्यता को और भी बढ़ाते हुए, विभिन्न धर्मों के कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया, जिनमें श्री मेर्ज़बान ज़रीवाला (पारसी), संत वीर सिंह हटकारी (रविदास समाज), येशी फुंट शोक (बौद्ध), एज़िकेल मालेकर (यहूदी), सिस्टर हुसैन (ब्रह्माकुमारी) और नीलाक्षी राज खवा (बहाई) शामिल थे। इन सभी की भागीदारी ने यह दर्शाया कि विभिन्न आस्थाओं के लोग साझा मानवीय मूल्यों के लिए एक साथ आ सकते हैं..

धार्मिक जन मोर्चा के समन्वयक  वारिस हुसैन ने कुशलतापूर्वक कार्यक्रम का संचालन किया. सभी उपस्थित लोगों ने इस संवाद के महत्व की सराहना की, यह मानते हुए कि यह एक-दूसरे को जानने, समझने और करीब आने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है.

उन्होंने एकमत से इस बात पर जोर दिया कि आज के भारत को, जहाँ सामाजिक सद्भाव की अत्यंत आवश्यकता है, ऐसे कार्यक्रमों की सख्त जरूरत है. यह कार्यक्रम इस बात का एक शानदार उदाहरण था कि अगर हम अपनी साझा मानवीयता पर ध्यान केंद्रित करें तो मतभेदों को कम किया जा सकता है.