मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली
"जहां लहरें शांत हों, वहां तूफ़ान की तैयारी सबसे गहरी होती है."
शायद यही वजह है कि जब भारत की जलसेना समुद्र की गहराइयों में युद्धाभ्यास करती है, तो दुनिया चुपचाप देखती है और दुश्मन सतर्क हो जाता है.हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, देश एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर है: क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर दुश्मन को उसके घर में घुसकर सबक सिखाएंगे?
पहले सर्जिकल स्ट्राइक, फिर बालाकोट एयरस्ट्राइक — अब जनता की नजरें समुद्र की ओर हैं. अटकलें हैं कि अगली कार्रवाई जल मार्ग से हो सकती है.ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि देश यह जाने — भारतीय नौसेना कितनी तैयार है, कितनी घातक है और अगर हमला हुआ तो वह किस रूप में सामने आएगा?
भारतीय नौसेना अब सिर्फ जहाजों की गिनती तक सीमित नहीं है. इसकी रणनीति में अब ‘संख्या’ से अधिक ‘क्षमता’ पर ध्यान है. इसके तहत तैयार हुआ है — Maritime Capability Perspective Plan (MCPP), जिसकी नींव 2005 में रखी गई और 2022 तक चरणबद्ध ढंग से नौसेना के आधुनिकीकरण की योजना बनाई गई.
पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल निर्मल वर्मा ने स्पष्ट किया था कि 2027 तक भारतीय नौसेना के पास:
150 से अधिक युद्धपोत
500 से अधिक विमान
और अत्याधुनिक पनडुब्बियों का बेड़ा होगा.
132 युद्धपोत
14 पनडुब्बियां (जिनमें से कुछ स्वदेशी)
216 विमान (हेलीकॉप्टर, फिक्स्ड विंग और UAV)
भारत अब Nuclear Triad यानी परमाणु त्रिकोण को साकार करने की कगार पर है. इसका अर्थ है — भारत के पास जमीन, हवा और समुद्र, तीनों माध्यमों से परमाणु हमला करने की क्षमता हो.

भूमि आधारित बैलिस्टिक मिसाइलें (जैसे अग्नि श्रृंखला)
हवाई बमवर्षक विमान (जैसे SU-30MKI)
समुद्र आधारित परमाणु पनडुब्बियां (जैसे INS अरिहंत)
INS अरिहंत, भारत की पहली परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी है. इसका महत्व केवल सामरिक नहीं है, यह ‘Second Strike Capability’ यानी दूसरे हमले की क्षमता का प्रतीक है — भारत की "No First Use" नीति को मजबूती देने वाला हथियार.
वजनी: 6,000 टन
लंबाई: 110 मीटर
मिसाइलें: 12 K-15 सागरिका मिसाइलें (700 किमी रेंज)
INS अरिहंत के बाद अब INS अरिधमान पर भी कार्य जारी है, और भारत का लक्ष्य है:
3 SSBNs (Ballistic Missile Submarines)
6 SSNs (Nuclear Attack Submarines)
| देश | पनडुब्बियां | परमाणु चालित | SSBNs |
|---|---|---|---|
| भारत | 15 (अधिकतर पारंपरिक) | 1 (अरिहंत) | 1 |
| पाकिस्तान | ~10 | ❌ | ❌ |
| चीन | ~62 | ✅ (10+) | ✅ (3 SSBNs) |
पाकिस्तान के पास कोई परमाणु पनडुब्बी नहीं है, जबकि चीन इस क्षेत्र में अग्रणी है. ऐसे में भारत का परमाणु समुद्री शक्ति बनना न केवल रणनीतिक आवश्यकता, बल्कि सुरक्षा कवच है.

भारतीय नौसेना की ताकत में तेजी लाने के लिए चल रही हैं दो मुख्य योजनाएं:
मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) में फ्रांसीसी स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण
स्टेल्थ और उन्नत हथियार प्रणाली से लैस
छह नई पनडुब्बियां
AIP (Air-Independent Propulsion) तकनीक से लैस
दुश्मन के तटवर्ती ठिकानों पर हमला करने की क्षमता
अनुमानित लागत: ₹55,500 करोड़
यह योजना भारत को एक पूर्ण स्वदेशी जलसैन्य निर्माण शक्ति बनाने की दिशा में ले जाएगी.

Project 17 के अंतर्गत बने INS शिवालिक, INS सतपुड़ा, और INS सह्याद्रि जैसे युद्धपोत आधुनिक स्टेल्थ तकनीक से लैस हैं.
इनकी विशेषताएं:
बहु-भूमिका निभाने में सक्षम (Surface, Air, Sub-surface)
स्टेल्थ तकनीक से रडार से बच निकलना
आधुनिक मिसाइल और रडार प्रणाली
अगर भारत समुद्र मार्ग से पाकिस्तान के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई करता है, तो यह कई रूपों में हो सकती है:
पाकिस्तानी तटों पर नौसेना की तैनाती कर आर्थिक और सैन्य आपूर्ति को बाधित करना।
INS अरिहंत या स्कॉर्पीन से टॉरपीडो या मिसाइलों द्वारा गुप्त हमला।
समुद्री रूट से स्पेशल फोर्सेस को उतारकर सीमित लक्ष्यों पर सर्जिकल स्ट्राइक.

प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली ने हमेशा चौंकाया है — पहले पाकिस्तान को जमीन और आसमान से झटका दिया, अब बारी शायद समुद्र की हो।
जहां पाकिस्तान सिर्फ परमाणु हथियारों की गिनती पर इतराता है, वहीं भारत रणनीतिक संतुलन, सामरिक क्षमता और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
भारत अब सिर्फ बचाव नहीं, प्रभावशाली प्रतिक्रिया की स्थिति में है।