विश्व कप खिलाड़ी गुज़ारे के लिए दान और कर्ज़ पर निर्भर!

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 20-08-2025
World Cup players rely on donations and loans to survive!
World Cup players rely on donations and loans to survive!

 

नई दिल्ली

विश्व कप खेलना हर खिलाड़ी का सपना होता है, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि विश्व कप में खेलने के बाद भी खिलाड़ियों को अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए दान और कर्ज़ पर निर्भर होना पड़े? यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि समोआ की रग्बी टीम की हकीकत है।

ब्रिटिश मीडिया आउटलेट द गार्जियन की एक रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, इंग्लैंड में शुक्रवार से शुरू हो रहे महिला रग्बी विश्व कप में खेलने जा रही समोआ की 32 सदस्यीय टीम के आधे खिलाड़ी अपनी जीविका चलाने के लिए दूसरों से उधार ले रहे हैं या लोगों के दान पर निर्भर हैं।

“दान ने जीवन बदल दिया”

टीम की 36 वर्षीय खिलाड़ी नीना फॉयस, जो तीन बच्चों की माँ हैं और एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, ने बताया कि उन्हें घर के बंधक और पारिवारिक खर्च पूरे करने के लिए धन जुटाना पड़ा। उन्होंने कहा, “लोगों से मिला सहयोग मेरी कल्पना से भी ज़्यादा था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि लोग मुझे प्रायोजित करने में इतनी दिलचस्पी दिखाएँगे। मैं आभारी हूँ और अब भी हैरान हूँ।”

नीना ने आगे बताया कि विश्व कप में खेलने का मौका मिलने के बाद ही उन्हें धन जुटाने का विचार आया। टीम में इस बात पर चर्चा हुई कि खिलाड़ी व्यक्तिगत रूप से कैसे आर्थिक मदद जुटाएँगे। शुरुआत में वह थोड़ा संकोच कर रही थीं, लेकिन उन्हें समझाया गया कि घर पर बच्चों की देखभाल और जीवन-यापन के लिए अतिरिक्त मदद की ज़रूरत होगी।

खर्च का बोझ, वेतन का अभाव

गौरतलब है कि विश्व रग्बी महासंघ टूर्नामेंट के दौरान सभी टीमों के लिए हवाई टिकट और आवास का खर्च उठाता है। लेकिन समोआ के खिलाड़ियों को सिर्फ़ एक छोटा-सा भत्ता दिया जाता है, जबकि उन्हें कोई अनुबंधित वेतन नहीं मिलता। यही वजह है कि खिलाड़ियों को बुनियादी खर्च के लिए भी जूझना पड़ता है।

दूसरे देशों की टीमों के खिलाड़ियों को भी कम अनुबंधित वेतन मिलता है, लेकिन समोआ की टीम की स्थिति सबसे अधिक बदतर बताई जा रही है। खिलाड़ियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के बावजूद जब उन्हें अपने परिवार के खर्च पूरे करने के लिए दान माँगना पड़ता है, तो यह बेहद निराशाजनक और शर्मनाक स्थिति होती है।