‘द गार्जियन’ ने की बांग्लादेश महिला फ़ुटबॉल की ऐतिहासिक उपलब्धि की सराहना

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 20-08-2025
‘The Guardian’ lauds Bangladesh women’s football’s historic achievement, captain Afida becomes an inspiration
‘The Guardian’ lauds Bangladesh women’s football’s historic achievement, captain Afida becomes an inspiration

 

नई दिल्ली

बांग्लादेश महिला फ़ुटबॉल टीम ने इतिहास रच दिया है। देश पहली बार महिला एशियाई कप फ़ुटबॉल में खेलने जा रहा है। इसके साथ ही अंडर-20 एशियाई कप के मुख्य चरण के लिए भी लाल-हरी जर्सी वाली टीम ने पहली बार क्वालिफाई किया है। क्वालिफ़ायर में लगातार जीत दर्ज करने के बाद, कप्तान अफीदा खांडकर की टीम ने फीफा रैंकिंग में 24 पायदान की छलांग लगाई है और अब 104वें स्थान पर है। यह बांग्लादेशी फ़ुटबॉल के लिए ऐतिहासिक सुधार माना जा रहा है।

ब्रिटिश अख़बार ‘द गार्जियन’ ने इस सफलता की विशेष सराहना की है और इसे महिला फ़ुटबॉल की बड़ी उपलब्धि बताया है।

कप्तान अफीदा का संदेश

18 वर्षीय कप्तान अफीदा खांडकर ने कहा,“यह जीत सिर्फ़ हमारी नहीं है। यह हर उस बांग्लादेशी लड़की की सफलता है, जिसने सपने देखने की हिम्मत की। मेहनत, विश्वास और एकजुटता से असंभव भी संभव है। लेकिन सफ़र यहीं खत्म नहीं होता। असली चुनौती आने वाले महीनों में है, और हम पूरी तैयारी के साथ उतरेंगे।”

परिवार से मिली प्रेरणा

अफीदा के पिता स्वयं फ़ुटबॉलर रहे, लेकिन परिवार की ज़िम्मेदारियों के कारण उन्हें खेल छोड़कर खाड़ी देशों में काम करना पड़ा। बाद में लौटकर उन्होंने छोटा व्यवसाय शुरू किया और बच्चों के लिए स्थानीय फुटबॉल अकादमी खोली। उनकी पहली छात्राएँ थीं—अफीदा और उनकी बहन अफ़रा।

जहाँ अफ़रा ने मुक्केबाज़ी में करियर बनाया, वहीं अफीदा को बचपन से फ़ुटबॉल का जुनून रहा। वह कहती हैं,“पापा हमारे घर में पिता हैं, लेकिन मैदान पर सख़्त कोच। उन्होंने साबित किया कि लड़कियाँ भी लड़कों की तरह, बल्कि उनसे बेहतर फ़ुटबॉल खेल सकती हैं।”

छोटी उम्र से चमकी प्रतिभा

केवल 11 साल की उम्र में अफीदा को बांग्लादेश फ़ुटबॉल फेडरेशन (BFF) के प्रशिक्षण शिविर में बुलाया गया। तब से उनकी मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें राष्ट्रीय टीम की कप्तान बना दिया।

प्रेरणा बनीं लड़कियों के लिए

अफीदा मानती हैं कि माता-पिता का सहयोग उनकी सफलता की कुंजी रहा,“यह सच है कि हमने कड़ी मेहनत की, लेकिन परिवार के समर्थन के बिना यह संभव नहीं था। हमारी उपलब्धि देश की अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणा बनेगी।”

बड़े सपनों की ओर

इस साल अप्रैल में अफीदा कतर गईं, जहाँ उन्होंने विश्व कप स्टेडियम और मेस्सी का ड्रेसिंग रूम देखा। उस पल को याद करते हुए उन्होंने कहा,“2022 विश्व कप टीवी पर देखते हुए मैंने सपना देखा था कि काश मैं वहाँ होती। तब यह असंभव लगा, लेकिन अब लगता है मेरा सपना सच होने के क़रीब है।”

अगले साल ऑस्ट्रेलिया में होने वाले महिला एशियाई कप में बांग्लादेश की लड़कियाँ हिस्सा लेंगी। अफीदा और उनकी टीम का लक्ष्य है कि वे दुनिया को दिखाएँ—“बांग्लादेश सिर्फ़ सपने देखने वाला नहीं, बल्कि उन्हें पूरा करने वाला देश है।”