करियर के अंत की ओर बढ़ रहे खिलाड़ियों से बेहतर व्यवहार की जरूरत: अश्विन का BCCI को संदेश

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 09-10-2025
Players nearing the end of their careers need to be treated better: Ashwin's message to BCCI
Players nearing the end of their careers need to be treated better: Ashwin's message to BCCI

 

नई दिल्ली

टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने बीसीसीआई (BCCI) द्वारा रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ियों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर सवाल उठाए हैं और क्रिकेट में नॉलेज ट्रांसफर (KT) के महत्व पर जोर दिया है।

हाल ही में चयन समिति के अध्यक्ष अजीत अगरकर द्वारा रोहित शर्मा से वनडे कप्तानी लेकर शुभमन गिल को सौंपे जाने के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर कई तरह की अटकलें और चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। इस फैसले के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या विराट और रोहित अब 2027 वर्ल्ड कप (दक्षिण अफ्रीका) की योजनाओं में शामिल हैं या नहीं।

अश्विन ने सीधे तौर पर इन अटकलों पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन यह जरूर पूछा कि जब रोहित और विराट ने पिछले साल टी20 विश्व कप जीतने के बाद इस फॉर्मेट से संन्यास लिया था, तभी प्रबंधन ने 2027 के रोडमैप को लेकर साफ बातचीत क्यों नहीं की?

उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा:"एक तरफ है चयन और दूसरी तरफ कोहली और रोहित। ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। चयनकर्ताओं ने दिखा दिया है कि टीम अब आगे बढ़ने का मन बना चुकी है। लेकिन इस प्रक्रिया में दो ऐसे खिलाड़ी हैं जो अपने करियर के अंतिम दौर में हैं। चाहे किसी को पसंद आए या नहीं, यह सच है।
लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि ऐसे सीनियर खिलाड़ियों के साथ व्यवहार बेहतर होना चाहिए। एक फैन या संस्था की नजर से यह कहना आसान है कि अब ये खिलाड़ी बूढ़े हो गए हैं, इन्हें रिटायर हो जाना चाहिए।"

उन्होंने आगे कहा:"मुझे उम्मीद है कि रोहित और कोहली से पहले ही बातचीत हो चुकी होगी। लेकिन अगर अब बात हुई है, तो यह पहले क्यों नहीं हुई, जब इन्होंने टी20 फॉर्मेट से संन्यास लिया था?

अगर उन्हें पहले ही बता दिया गया होता कि टीम किस दिशा में जा रही है, तो वे कहते, 'ठीक है बॉस, क्या हमें खेलना है या नहीं?' लेकिन अब स्थिति अस्पष्ट है, जिससे अटकलें पैदा होती हैं – जो नहीं होनी चाहिए थीं। साफ और पारदर्शी संवाद होना चाहिए। अगर संवाद स्पष्ट नहीं है और उसमें दूरदर्शिता नहीं है, तो खिलाड़ी बहुत असहज स्थिति में आ जाते हैं।"

अश्विन के अनुसार, भले ही बीसीसीआई विश्व स्तर की संस्था हो, लेकिन भारतीय क्रिकेट में संवाद की कमी, ट्रांजिशन प्लान की कमी और नॉलेज ट्रांसफर की व्यवस्था का अभाव है। इस वजह से नेतृत्व परिवर्तन जैसे जरूरी बदलावों के लिए कोई ठोस रोडमैप नहीं बन पाता।

उन्होंने कहा:"नॉलेज ट्रांसफर का मतलब यह नहीं है कि कोहली और रोहित शुभमन गिल और अभिषेक शर्मा को नई शॉट्स सिखाएंगे। इसका मतलब है उन्हें बताना कि दबाव में कैसे खेलते हैं, चोटों से कैसे उबरते हैं।

2023 वर्ल्ड कप में कोहली और रोहित ने जिस तरह बल्लेबाजी की, उन्हें किसी को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है। लेकिन सवाल यह है कि क्या हमारे क्रिकेट सिस्टम में KT के लिए कोई जगह है?"

उन्होंने कोचिंग ट्रांजिशन का उदाहरण देते हुए कहा:"राहुल द्रविड़ एक समय कोच थे, फिर गौतम गंभीर आ गए। लेकिन क्या कोई ऐसा टेम्पलेट था जिससे तय होता कि द्रविड़ के बाद गंभीर ही कोच बनेंगे? अगर ऐसा कुछ होता तो द्रविड़ से KT लेना संभव होता। और गंभीर के बाद KT किसके पास जाएगा?
जब प्रबंधन की तरफ से कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं होता, तो खिलाड़ी भी कुछ नहीं कर सकते।"

अश्विन की यह टिप्पणी एक महत्वपूर्ण संदेश है कि भारत को विश्व स्तरीय क्रिकेट बनाए रखने के लिए सिर्फ खिलाड़ियों की प्रतिभा नहीं, बल्कि पेशेवर और पारदर्शी प्रबंधन की भी उतनी ही जरूरत है।