मंसूरुद्दीन फरीदी / नई दिल्ली
भारत और पाकिस्तान के बीच एक मैच एक युद्ध की तरह है. हालांकि इसका असर खिलाड़ियों से ज्यादा फैन्स पर दिख रहा है. यही वजह है कि भावनाओं की बाढ़ में कई चीजें उलटी-सीधी और गलत हो जाती हैं. ऐसे अवसरों का लाभ उठाने वाले देश विरोधी तत्व हमेशा तैयार रहते हैं. ऐसा ही कुछ इस बार पिछले हफ्ते टी20वर्ल्ड कप में भी हुआ. यह पाकिस्तान मैच के बाद हुआ, जब भारत 27साल में पहली बार पाकिस्तान से हार गया.
बेशक हार भी खेल का एक हिस्सा है, लेकिन इसकी तपिश में साजिशकर्ता सामने आ गए. भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी पर निशाना साधा गया. हार का श्रेय सीरिया को इस तरह गया कि वह देश का दुश्मन बन गया. देशद्रोही कहा. लक्ष्य सोशल मीडिया पर नफरत के बाजार को गर्म करना था.
लेकिन जब इस पूरे विवाद की पड़ताल की गई, तो कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिनसे दाल में काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली दिखती है.
नकली पोस्ट
हम सभी जिस घृणा अभियान को बड़ी चिंता के साथ देख रहे थे, वह एक खेल का हिस्सा था. चिंगारी वास्तव में सिर्फ 8इंस्टाग्राम पोस्ट से आई थी. फर्जी हैंडल वाले खातों से.
मामले की जांच से इसके पीछे एक फिल्म की पटकथा का पता चलता है. जैसे सब कुछ एक योजना के तहत किया गया था. किसी ने फर्जी पोस्ट की चिंगारी फैलाई, फिर सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक में आग लग गई और फिर शामी के समर्थन में एक स्वयंभू प्रबुद्ध समूह सामने आया, जिसने आग पर मशाल जलाने का प्रयास किया.
दृश्य 1ः
भारत पाक मैच की तुरही बजती है. भारतीय क्रिकेट टीम मैदान पर मैच हार गई.
मैच के बाद दिमागी खेल शुरू होता है. विपक्ष को एक मुद्दा मिल गया. भावनात्मक रूप से घायल भारतीय मनोवैज्ञानिक युद्ध की बारीकियों को नहीं समझते हैं. जब खेल शुरू हुआ, तो यही टर्निंग प्वाइंट था. जब एक ट्विटर हैंडल
हैंडल ने जाहिरा तौर पर एक तरह ‘भविष्यवाणी’ की कि मैच के बाद मुहम्मद शमी को गाली दी जाएगी. भविष्यवाणियों के अनुसार, हालिया इंस्टा अपडेट में 16अपमानजनक इंस्टा पोस्ट का खुलासा हुआ, जिनमें से 8को शमी की राष्ट्रीयता / धर्म के लिए निशाना बनाया गया.
इस पोस्ट के बाद जब जांच शुरू हुई, तो खेल और साजिश का पर्दाफाश हुआ. सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गहन जांच की गई. ताकि शमी पर और भी अभद्र पोस्ट खोजे जा सकें.
लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस दौरान हमें इन स्क्रीन शॉट्स के अलावा कोई सबूत नहीं मिला.
दृश्य 2:
खेल के बाद साजिश की चिंगारी दिखाने वाले गायब हो गए, लेकिन उसके बाद क्या हुआ? इमोशनल और लो माइंडेड लोग इसे ट्रोल करने लगे. कोई सहानुभूति में बोल रहा था, कोई उसी सोच को बढ़ावा दे रहा था, तो कोई चुपचाप ऐसे संदेशों को समूहों में बांटकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहा था.
ये नकली हैंडलर्स की असली ताकत हैं, जो इस तरह की पोस्ट को अप्रत्याशित बना देते हैं. यही कारण है कि शमी का मुद्दा भी राष्ट्रीय भावना में बदल गया है.
दृश्य 3ः
जब ऐसा माहौल बनता है, तो एक और समूह सामने आता है, जो पीड़ित के साथ खड़ा होता है. इस तरह की पोस्ट की जांच किए बिना ही उसने शोर मचाना शुरू कर दिया. यह सब एक स्व-निर्मित एकजुटता अभियान का हिस्सा था, जो एकतरफा से ज्यादा विनाशकारी था. इस कार्य को करने वालों में बरखा दत्त, आरिफ खानम और अन्य लोग शामिल थे.
दृश्य 4ः
जैसे-जैसे बहस खिंचती गई, तो बरखा दत्त ने पूरे भारतीय क्रिकेट समुदाय को घसीट लिया.
दृश्य 5ः
इस जुबानी जंग के दौरान सरहद पार से गिद्ध आते हैं. यानी पाकिस्तान के सोशल मीडिया सेल इस अपडेट का इंतजार कर रहे थे.
यह पूरी तलाश काउंटर प्रोपेगेंडा के जरिए की गई, जिसने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया. भारत में एक मुस्लिम क्रिकेटर के ऑनलाइन उत्पीड़न की अंतरराष्ट्रीय खबरों में गुमनाम हैंडल से 8अपमानजनक पोस्ट ने किस तरह सुर्खियां बटोरी, इसका खुलासा हुआ है.
विवाद के अंत में जो साबित हुआ, उसके अनुसार मुहम्मद शमी की स्थिति वही है. उनके लिए किसी का प्यार कम नहीं हुआ है. वे टीम का हिस्सा हैं. वह सबसे लोकप्रिय भारतीय क्रिकेटरों में से एक हैं और रहेंगे.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों के साथ दुर्व्यवहार और दुर्व्यवहार किया जाता है और इससे निपटने के लिए कार्यक्रम बनाए जाते हैं.
हमारे दुश्मन हमारे सामाजिक विभाजन की संभावनाओं का इस्तेमाल करने से नहीं चूकते हैं और हम उन्हें ऐसा करने देते हैं, तो सावधान रहें.