कैनोइंग से बदली कावेरी, दीपिका और मासूमा की जिंदगी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 11-03-2025
Dreams on water: Canoeing changed the lives of Kaveri, Deepika and Masooma
Dreams on water: Canoeing changed the lives of Kaveri, Deepika and Masooma

 

अब्दुल वसीम अंसारी/भोपाल

मध्य प्रदेश की जलधारा से निकलकर देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का परचम लहराने वाले युवा कैनोअर आज सफलता की नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं. साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले ये खिलाड़ी कठिन परिश्रम और समर्पण से इस खेल में अपनी पहचान बना रहे हैं.हालांकि इनकी कामयाबी में इनके कोच का भी बराबर की हिस्सेदारी है.

कावेरी धीमर: संघर्ष से सफलता तक

नौ साल पहले, 12 वर्षीय कावेरी धीमर अपने परिवार की मदद के लिए खंडवा जिले के बैकवाटर में मछली पकड़ने का काम करती थीं. उनके पिता पर 40,000 रुपये का कर्ज था और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी.

2016 में, तत्कालीन खंडवा जिला खेल अधिकारी जोसेफ बक्सला ने कावेरी की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें भोपाल की मध्य प्रदेश जल खेल अकादमी में लाया. वहां अनुभवी कोच पीयूष बरोई ने उनकी काबिलियत को निखारा और उन्हें एक बेहतरीन कैनोअर के रूप में प्रशिक्षित किया.

आज, 21 वर्षीय कावेरी देश की शीर्ष कैनोअर में गिनी जाती हैं. उन्होंने अब तक 45 स्वर्ण सहित 53 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक अपने नाम किए हैं. वह इस समय चीन में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप के लिए राष्ट्रीय शिविर में भाग ले रही हैं.

कावेरी का सपना अब अपने परिवार को एक पक्के घर में शिफ्ट करने का है. मार्च 2022 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें 11 लाख रुपये की सहायता राशि दी थी. इसके अलावा, उन्हें भारतीय नौसेना में हवलदार के रूप में नौकरी भी मिली है.

कावेरी ने कहा,"कैनोइंग ने मेरी जिंदगी बदल दी है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे सरकारी नौकरी मिलेगी और इतने पदक और शोहरत मिलेगी। मेरा अगला लक्ष्य अपने परिवार को एक बेहतर घर में बसाना है,"

Rein in the rapids

दीपिका धीमर: बड़ी बहन के नक्शेकदम पर

कावेरी से प्रेरणा लेकर उनकी छोटी बहन दीपिका धीमर ने भी कैनोइंग में कदम रखा. उन्होंने पिछले साल उत्तराखंड में आयोजित राष्ट्रीय चैंपियनशिप में तीन कांस्य और एक रजत सहित कई पदक जीते.

दीपिका और कावेरी के बीच प्रतिस्पर्धा भी देखने लायक रही. 500 मीटर स्पर्धा में दोनों बहनों ने एक ही पोडियम साझा किया. कावेरी ने सर्विसेज टीम के लिए स्वर्ण पदक जीता, जबकि दीपिका सहित मध्य प्रदेश की टीम ने कांस्य पदक.

कावेरी ने कहा,"हम बहनों ने खुशी के आंसू साझा किए. यह हमारी सबसे यादगार प्रतियोगिता थी,"

मासूमा यादव: झुग्गी से अंतरराष्ट्रीय कैनोइंग तक

भोपाल की 18 वर्षीय मासूमा यादव की कहानी भी प्रेरणादायक है. एक दीवार चित्रकार की बेटी मासूमा अपने छोटे भाई रोहन के साथ झुग्गी में एक कमरे के अस्थायी घर में रहती हैं. तीन साल पहले, अकादमी के मुख्य कोच पीयूष बरोई ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें प्रशिक्षण के लिए चुना.

पिछले तीन वर्षों में, मासूमा ने जूनियर और सीनियर श्रेणी में 25 राष्ट्रीय पदक जीते हैं, जिनमें उत्तराखंड में आयोजित राष्ट्रीय चैंपियनशिप के कई पदक शामिल हैं.मासूमा ने अपने भाई रोहन यादव को भी इस खेल में आने के लिए प्रेरित किया.

16 वर्षीय रोहन पहले ही 15-20 राष्ट्रीय सब-जूनियर और जूनियर पदक जीत चुका है. मासूमा का कहना है, "मैं हमेशा प्रार्थना करती हूँ कि रोहन मुझसे बेहतर प्रदर्शन करे। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारी मेहनत रंग लाए और एक दिन हम अपने परिवार को बेहतर जीवन दे सकें."

अरविंद वर्मा: संघर्ष से स्वर्ण तक का सफर

सीहोर जिले के 18 वर्षीय अरविंद वर्मा की कहानी भी संघर्ष और सफलता से भरी है. बचपन में पिता को खोने के बाद, उन्होंने अपनी मां और दो बहनों को मुश्किल हालात में देखा। उनकी मां और बहनें खेतों में मजदूरी करती थीं.

2022 में, अरविंद का चयन भोपाल की एमपी वाटर स्पोर्ट्स अकादमी में हुआ। तीन वर्षों में उन्होंने दो अंतरराष्ट्रीय पदक सहित कई राष्ट्रीय पदक जीते. थाईलैंड में एशियाई जूनियर (अंडर-23) चैंपियनशिप में उन्होंने रजत पदक जीता, जबकि हांगकांग में एशिया कप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। उज्बेकिस्तान में विश्व कैनोइंग चैंपियनशिप में वह पांचवें स्थान पर रहे.

अरविंद ने कहा, "मेरा सपना न केवल अपनी माँ के आंसू पोंछना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि मेरी बहनों को कभी किसी के खेत में काम न करना पड़े."

मध्य प्रदेश: कैनोइंग का नया केंद्र

मध्य प्रदेश जल खेल अकादमी में कोच पीयूष बरोई और खेल अधिकारियों की मेहनत से कई युवा प्रतिभाएं उभर रही हैं. सरकार और खेल संस्थाओं के सहयोग से इन खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण और संसाधन मिल रहे हैं.

कोच पीयूष बरोई ने कहा,"हमारा लक्ष्य इन युवा खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है. मध्य प्रदेश से कई विश्वस्तरीय कैनोअर निकलेंगे."

कावेरी धीमर, दीपिका धीमर, मासूमा यादव, अरविंद वर्मा जैसे युवा कैनोअर अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से अपनी और अपने परिवार की तकदीर बदल रहे हैं. मध्य प्रदेश का यह उभरता हुआ जल खेल परिदृश्य न केवल खेल में राज्य की नई पहचान बना रहा है, बल्कि युवाओं को गरीबी से बाहर निकालने और उज्जवल भविष्य की ओर ले जाने में भी मदद कर रहा है.

इस खेल में इन युवाओं की कामयाबी इस बात का प्रमाण है कि अगर सच्ची लगन हो तो किसी भी बहाव पर लगाम लगाई जा सकती है.