आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर और बाएं हाथ के स्पिनर दिलीप दोषी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. 77 वर्षीय दिलीप दोषी का निधन लंदन में हुआ, जहां वे पिछले कई दशकों से रह रहे थे। वे दिल संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे.
दिलीप दोषी का नाम भारतीय स्पिन गेंदबाजी के उन नायकों में गिना जाता है जिन्होंने देर से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया, लेकिन अपनी सधी हुई गेंदबाजी से विरोधी बल्लेबाजों को कई बार चौंकाया. दोषी ने भारत के लिए 33 टेस्ट मैचों में 114 विकेट चटकाए, जिसमें छह बार उन्होंने एक पारी में पांच विकेट लेने का कारनामा किया. वनडे क्रिकेट में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए 15 मैचों में 22 विकेट झटके और 3.96 की किफायती इकॉनमी रेट से गेंदबाजी की.
घरेलू क्रिकेट में दोषी ने सौराष्ट्र और बंगाल की ओर से खेलते हुए अपनी पहचान बनाई और इंग्लैंड के काउंटी क्रिकेट में वार्विकशायर और नॉटिंघमशायर का भी प्रतिनिधित्व किया। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनके नाम 238 मैचों में 898 विकेट दर्ज हैं. दिलीप दोषी ने भारतीय क्रिकेट के 1970 के दशक के प्रसिद्ध स्पिन चौकड़ी के दौर के बाद टीम में जगह बनाई और 32 वर्ष की उम्र में अपना टेस्ट डेब्यू किया. उनका क्रिकेट करियर भले ही देर से शुरू हुआ, लेकिन उन्होंने हर अवसर पर अपनी उपयोगिता साबित की.
1981 में मेलबर्न टेस्ट में उनकी पांच विकेट की शानदार गेंदबाजी की बदौलत भारत को यादगार जीत मिली थी, जिसे आज भी भारतीय क्रिकेट इतिहास की खास उपलब्धियों में गिना जाता है. नॉटिंघमशायर में खेलते हुए उन्हें वेस्टइंडीज के महान खिलाड़ी सर गैरी सोबर्स का मार्गदर्शन मिला, जिसका असर उनकी गेंदबाजी पर साफ दिखा.
अपने संन्यास के बाद उन्होंने 'Spin Punch' नामक आत्मकथा में अपने क्रिकेट जीवन के अनुभव साझा किए, जिसमें उन्होंने खेल के प्रति अपने जुनून और संघर्ष को बेबाकी से बताया. BCCI अध्यक्ष रोजर बिन्नी ने उनके निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "दिलीप दोषी का जाना भारतीय क्रिकेट के लिए अपूरणीय क्षति है. वे स्पिन गेंदबाजी के सच्चे कलाकार थे। मैदान के अंदर और बाहर, वे एक सज्जन व्यक्ति थे. उनका योगदान हमेशा भारतीय क्रिकेट की स्मृतियों में जीवित रहेगा.
BCCI सचिव देवजित सैकिया ने कहा, "दोषी एक उम्दा क्रिकेटर और बेहतरीन इंसान थे. उनका खेल के प्रति जुनून हर गेंद में झलकता था. उन्होंने भारतीय स्पिन आक्रमण को एक मजबूत आधार दिया और उनकी विरासत सदैव क्रिकेट प्रेमियों को प्रेरित करती रहेगी. भारतीय क्रिकेट जगत आज एक ऐसे खिलाड़ी को विदाई दे रहा है, जिसने सीमित अवसरों में भी अपना नाम इतिहास में दर्ज करवा दिया. उनकी यादें और योगदान भारतीय क्रिकेट की धरोहर बनकर हमेशा जीवित रहेंगे.