नई दिल्ली
राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम के तहत गठित होने वाला राष्ट्रीय खेल बोर्ड (एनएसबी) दिसंबर के अंत तक अस्तित्व में आ जाएगा। यह बोर्ड देश के सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs) को मान्यता देने, निलंबित करने और उनके वित्तीय आचरण की निगरानी करने का सर्वोच्च निकाय होगा।
खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने घोषणा की है कि अधिनियम को अगले वर्ष जनवरी के अंत तक पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक एनएसबी का गठन इस प्रक्रिया की सबसे अहम कड़ी होगा।
खेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया, “राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन अगले तीन महीनों में कर दिया जाएगा। इसकी प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और अधिनियम के नियम बनाने का काम भी जारी है।”
एनएसबी में एक अध्यक्ष और कुछ सदस्य होंगे, जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी। इन पदों के लिए ऐसे व्यक्तियों का चयन होगा जिन्हें सार्वजनिक प्रशासन, खेल प्रबंधन, खेल कानून या संबंधित क्षेत्रों का गहन अनुभव हो। नियुक्ति कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली खोज-सह-चयन समिति की सिफारिश पर होगी।
सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों को सरकारी फंडिंग प्राप्त करने के लिए एनएसबी से संबद्ध होना अनिवार्य होगा।
बोर्ड को उन महासंघों की मान्यता रद्द करने का अधिकार होगा जो चुनाव कराने में विफल रहें या जिनकी चुनाव प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियां पाई जाएं।
वार्षिक ऑडिटेड खातों को प्रकाशित न करने या सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की स्थिति में भी बोर्ड निलंबन की कार्रवाई कर सकेगा, लेकिन इससे पहले संबंधित अंतरराष्ट्रीय निकाय से परामर्श आवश्यक होगा।
राष्ट्रीय खेल बोर्ड के साथ ही राष्ट्रीय खेल पंचाट और राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल के गठन की तैयारी भी की जा रही है।
खेल पंचाट: इसका उद्देश्य खेल संबंधी विवादों को अदालतों में लंबा खींचने से रोकना होगा। इसमें एक अध्यक्ष और दो सदस्य होंगे। अध्यक्ष पद पर सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान/पूर्व न्यायाधीश या किसी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को नियुक्त किया जाएगा। इसके आदेशों को केवल सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकेगी।
राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल: इसमें चुनाव आयोग या राज्य चुनाव आयोग के पूर्व सदस्य, मुख्य निर्वाचन अधिकारी या उप चुनाव आयुक्त शामिल होंगे। इसका काम खेल निकायों की कार्यकारी समितियों और एथलीट समितियों के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना होगा।
इस तरह भारत का खेल प्रशासन अब एक सुसंगठित, पारदर्शी और जवाबदेह ढांचे की ओर बढ़ रहा है।