प्रतिभाशाली युवाओं को भारत के भविष्य को आकार देना चाहिए: आईआईटी-आईएसएम के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 01-08-2025
Talented youth should shape India's future: President Murmu at IIT-ISM convocation
Talented youth should shape India's future: President Murmu at IIT-ISM convocation

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को देश के प्रतिभाशाली युवाओं से अपनी तकनीकी शिक्षा का उपयोग समाज की भलाई के लिए करने का आह्वान किया और आग्रह किया कि वे अपनी उपलब्धियों को केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित ना रखें. राष्ट्रपति धनबाद स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-भारतीय खनि विद्यापीठ (आईआईटी-आईएसएम) के 45वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं.
 
इस मौके पर उन्होंने संस्थान के एक विशेष लिफाफे सहित एक विशेष डाक टिकट जारी किया जो संस्थान के 100 गौरवशाली वर्षों की याद दिलाएगा.
 
मुर्मू ने कहा, ‘‘प्रतिभाशाली युवा मस्तिष्क को भारत के भविष्य को आकार देना चाहिए और सामाजिक एवं राष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए. एक न्यायपूर्ण भारत, एक हरित भारत के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करें जहां विकास पर्यावरण और प्रकृति की कीमत पर ना हो.’’
 
वर्ष 2024-25 बैच के कुल 1,880 छात्रों को विभिन्न विषयों में उपाधि (1,055 स्नातक और 711 स्नातकोत्तर) प्रदान की गईं.
 
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एक तकनीकी महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने विद्यार्थियों से नवाचार और ‘स्टार्टअप’ पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की.
 
उन्होंने ‘आदिवासी विकास उत्कृष्टता केंद्र’ जैसी पहलों के माध्यम से आदिवासी युवाओं और वंचित महिलाओं को सशक्त करने के लिए आईआईटी-आईएसएम के प्रयासों की सराहना की.
 
दीक्षांत समारोह के दौरान मुर्मू ने कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में शीर्ष स्थान हासिल करने वाले बी.टेक स्नातक प्रियांशु शर्मा को राष्ट्रपति स्वर्ण पदक प्रदान किया.
 
मुर्मू आईआईटी-आईएसएम के दीक्षांत समारोह में शामिल होने वालीं दूसरी राष्ट्रपति हैं. इसके पहले तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 10 मई, 2014 को आयोजित इस संस्थान के 36वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे.
 
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘दीक्षांत समारोह का विशेष महत्व है क्योंकि यह संस्थान के शताब्दी समारोह का एक अहम हिस्सा है, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के लिए 100 वर्षों के अटूट समर्पण का प्रतीक है.’
 
वर्ष 1926 में नौ दिसंबर को स्थापित इस संस्थान ने अपनी यात्रा भारतीय खान एवं अनुप्रयुक्त भूविज्ञान विद्यालय के रूप में शुरू की थी.