Mamata hikes grants for Durga Puja committees to Rs 1.10 lakh, opposition calls it 'election gift'
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि उनकी सरकार राज्य भर में लगभग 40 हजार दुर्गा पूजा समितियों में से प्रत्येक को 1.10 लाख रुपये का अनुदान देगी, कर माफ करेगी तथा 80 प्रतिशत बिजली रियायत देगी.
इस घोषणा से आयोजकों में खुशी है जबकि विपक्ष ने इसकी आलोचना करते हुए इसे 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले ‘‘चुनावी उपहार’’ करार दिया.
यहां नेताजी इनडोर स्टेडियम में पूजा समितियों की एक बड़ी समन्वय बैठक को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि पिछले साल की 85,000 रुपये की अनुदान राशि की तुलना में वित्तीय सहायता बढ़ाने का यह फैसला दुर्गा पूजा के सांस्कृतिक महत्व एवं यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) द्वारा मान्यता प्राप्त अमूर्त विरासत के रूप में इसकी स्थिति को मान्यता देता है.
बनर्जी ने कहा, ‘‘दुर्गा पूजा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है। यह बंगाल की सांस्कृतिक पहचान की जीवनरेखा है, हमारा ‘प्राणेर उत्सव’ (हृदय का उत्सव) है। हमें गर्व है कि ‘यूनेस्को’ ने इसे मान्यता दी है। इस गौरव को संरक्षित करना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है.
बढ़े हुए अनुदान के साथ बनर्जी ने पूजा पंडालों के लिए बिजली बिलों में 80 प्रतिशत की छूट, अग्निशमन लाइसेंस शुल्क सहित राज्य सरकार के सभी शुल्कों में छूट तथा कोलकाता नगर निगम (केएमसी), पंचायतों और नगर पालिकाओं जैसी सरकारी एजेंसियों द्वारा पूजा समितियों को कर से पूरी तरह छूट दिए जाने की घोषणा की.
पिछले वर्ष दुर्गा पूजा समितियों में से प्रत्येक को 85,000 रुपये की अनुदान राशि दी गई थी. बनर्जी ने कहा, ‘‘इस साल, अग्निशमन विभाग, नगर निकाय या कोई अन्य सरकारी सेवा प्रदाता कोई शुल्क नहीं लेगा। हम आपके साथ हैं ताकि आप बिना किसी आर्थिक तनाव के पूजा का आयोजन कर सकें.
ये घोषणाएं आवश्यक सामग्री और सेवाओं की बढ़ती कीमतों के बीच की गई हैं, जिसने पूजा समितियों, खासकर अर्ध-शहरी और ग्रामीण बंगाल में आयोजन को लेकर आर्थिक बोझ बढ़ा दिया था। कई आयोजकों के लिए राज्य सरकार से अनुदान अब उनके आयोजन के लिए वित्तीय राहत लेकर आया है.
अनुदान बढ़ाए जाने का जिक्र करते हुए बनर्जी ने कहा कि राज्य ने 2018 में कैसे 10,000 रुपये के अनुदान से शुरुआत की थी और मुद्रास्फीति एवं उत्सव की बढ़ती लागत के चलते सरकार इस अनुदान में धीरे-धीरे इजाफा करती गई.
उन्होंने कहा कि 2019 में अनुदान राशि बढ़कर 25,000 रुपये हो गई, महामारी के दौरान दोगुनी होकर 50,000 रुपये हो गई और 2024 में बढ़कर 85,000 रुपये हो गई.